Talk to Sahaja Yogis, Kshma Ki Shakti Ka Mahatav, Power of Forgiveness

मुंबई (भारत)

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Kshama Ki Shakti Ka Mahatva IV 20th January 1975 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi

[Original transcript Hindi talk, Scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

कलयुग में क्षमा के सिवाए और कोई भी राक्षस है। आपके चित्त में घुसे हुए हैं । बात समझ बड़ा साधन नहीं है। और जितनी क्षमा की शक्ति में आई? अगर कोई साधु ही सिर्फ हो तो ठीक है। होगी उतने ही आप शक्ति शाली होंगे । सबको क्षमा परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्क ताम्। साधु कर दें। क्षमा वही कर सकता है जो बड़ा होता है। के साथ एक दुष्ट बैठा हुआ है तो बहुत ही प्रेम से छोटा आदमी क्या क्षमा करेगा? आज मैंने सवेरे अलग हटाना पड़ेगा कि नहीं? कितना कठिन काम कहा था कि धर्म को जानें, आपके अन्दर जो धर्म है? आप साधुता में खड़े है या आप दुष्टता में खड़े है उसको जानें। धर्म में खड़े हैं, जो आदमी धर्म में हैं यह आप पर निर्भर करता है। अगर आप साधुता खड़ा है उसकी कितनी शक्ति होती है! तो धर्म को में खड़े हैं और कोई दुष्टता चिपक रही है तो जाने। हाँ कितना सुन्दर हम धर्म में खड़े हैं, जो उसको हटा सकते हैं। लेकिन आज ऐसे अधर्म में खड़ा है वह तो अधर्मी है। उसका हमारा कितने हैं संसार में बताईए। Degree का फर्क है कोई मुकाबला नहीं है। वह तो अधर्म में खड़ा है। और जो लोग सधुता की ओर जा रहे हैं वे लोग हम तो धर्म में खड़े हुए है, हमारा तरीका ही और साधुता को बटोरें। उनको उन लोगों से मतलब नहीं है। जो धर्म में खड़ा है उसका तरीका ही और होता रखना चाहिए जो असाधु हैं । जो असाधु हैं, जो चोर हैं, जो अधर्म में होता है उसका कुछ और हैं, बिलन्दर हैं, उनका हमसे क्या मुकाबला? वे चोर हो ता है। धर्मवाले से अधर्म वाले का मेल जोड़ ही हैं और हम वो नहीं हो सकते, वे यह नहीं हो हो नहीं सकता। हमें यहाँ तकलीफें हो रही हैं, परेशानी हो रही है लेकिन हम तो अपने धर्म पर नहीं सकता। वह तो दूसरी line पर चल रहा है, हम जीव 1. शुद्ध | सकते हमसे उनका कोई मुकाबला है? यह हो ही खड़े हुए ह तो दूसरी line पर चल रहे हैं। पर धर्म में ही जागना शक्ति को अन्दर जानो जो सिर्फ धर्म स्वरूप है। सहजयोग का लक्षण है और कोई लक्षण नहीं और धर्म कुछ नहीं सिर्फ प्रेम है और जब प्रेम ही सब कुछ है तो क्षमा उसका एक अंग है। कितना सहजयोग का इन सब चीज़ों से बिलकूल भी कौन जुल्म कर सकता है, देखते हैं हमारे प्रेम के आगे। कितना कौन दुष्टता कर सकता है, कौन प्रकाश को पाना है। अपने को जानना है कोई कितना घर का भेदी होगा, कौन कितनी तकलीफें कहता है माताजी क्या करें। चक्रों को ऐसा चढ़ाएँ। देगा, कौन कितना परेशान करेगा, करने दो। प्यार अंगुली ऐसे घुमाएँ कि वैसा करें सारे यह घुमाने के आगे सब चीज़ झुक जाती है। यही एक तरीका फिराने में आदीगतियां primordial movements है जो कलयुग में बैठता है। और तो मेरी समझ में हैं। यह सारे जो में आपको बता रही हूँ, primordial कुछ नहीं आता। अगर आप सोचते हो कोई पुराने तरीके आप इस्तेमाल कर सकते हो तो यह हो नहीं शुद्ध तरह से चीज़ का प्रवाह होना। अन्दंर से अगर सकता। इसका एक कारण है आप लोग जान mixed चीज़ प्रवाहित है तो जब आप हाथ घुमाते है लीजिए, मैंने पहले भी बताया और मैं फिर बता रही तो उसमें थोड़ा mixed ही घूम रहा है । क्षमा के हूँ, कि पूर्णतया साधु और पूर्णतया सन्त संसार में सिवाय शुद्धता अन्दर नहीं आती और जब शुद्धता नहीं है। हर एक सन्त साधुओं में भी एक एक आएगी तो प्रकाश धर्म का फैलेगा, शुद्ध निर्मल । हैं न यह सबसे बड़ी बात है। अपनी है सहजयोग का सीधा हिसाब किताब है । सम्बन्ध नहीं है अपने धर्म में जागना है, अपने जो बनाई गई। लेकिन उसका अर्थ तभी होगा कि ন

र् अतः जिसके पास धर्म है उसको प्रकाश में आना अच्छी है आज । आपकी भी स्थिति बहुत अच्छी है। होगा, बोलना होगा, बताना होगा। लेकिन उसके हर लेकिन अपने ही साथ छल कपट नहीं करो। अपने व्यवहार में खुद उसको सोचना चाहिए कि धर्म ही साथ छल कपट नहीं करो। सीधा हिसाब है। दिखाई दे रहा है कि अधर्म दिखाई दे रहा है। सहजयोग के साथ आप जो भी कर रहे हैं वे आप इससे पहले, अगर realization से पहले आपको अपने ही साथ कर रहे हैं। हिसाब यह जोड यह Lecture देती तो बहुत गलत काम हो जाता है लीजिए। होँ अब यह प्रश्न बहुत बार हो जाता है क्योंकि conditioning होता है और यही बात है Adminstration में ऐसा प्रश्न होता है कि क्या कि सारे psychologist ने धर्म को खत्म कर दिया करें? यह ठीक है कि नहीं, और इतना आसान कि, और बता दिया कि जितने भी धर्म है, यह सिखाते इतना आसान है कि कोई भी decision लेने से हैं कि यह नहीं करो, वह नहीं करो। इससे पहले निर्विचारिता में जाओ। अपने आप जो decision Conditioning mind की होती है। ठीक बात है। सामने आ जाए वह करिये। कभी गलत हो ही नहीं लेकिन अब यह नहीं होने वाला है। अब आप जो भी सकता। पर decision निविचारिता में Spontaneous चाहे अपने मन से कर सकते हैं। There will be होगा और विचार में अगर आप ने कर लिए तो वह no conditioning at all. ui ego के बीच में आपका चित्त लाकर खड़ा कर biased होगा क्योंकि उसमें आपका ego और दोनों काम करते है। आपका जो कुछ दिया है. धर्म खुद ही उठ रहा है। आप नहीं उठा भी संसार है. आपने जो कुछ भी लौकिक कमाया है रहे उसका मार्ग आप ने चुना है और जो भी वह आपके पीछे में खड़ा रहेगा। लेकिन निर्विचारिता लौकिक जाना है आप ने, जो भी लौकिक जाना है, में करियेगा तो कभी न होएगा, अलौकिक होगा, संसार में ऐसा वैसा है उससे आप अलौकिक को चमत्कारी होगा चमत्कारी होगा क्योंकि हिन्दी में तोल नहीं सकते। अलौकिक का मूल्य उससे आप चमत्कारी का अर्थ होता है बड़ा ऊँचा और मराठी में नहीं जोड़ सकते। अलौकिक की बात मैं कर रही होता है चमत्कारी का अजीब । एक चमत्कारी होगा हूँ। आप लोग लौकिकता से उसको देख रहे हैं । मराठी वाला और एक होगा हिन्दी वाला। जब बात लौकिकता के तीन dimensions खत्म हो गये अलौकिकता की हो रही है तो लौकिकता के जितने चौथे dimension में जिसको ढूंढना है, गहराई से, भी आपके बने हुए मत हैं. preconceived ideas of गम्भीरता से, चौथे dimension में चलने की बातचीत human beings cannot be God. He has his मैं कर रही हूँ। लौकिक चीज़ों से आप अलौकिक own standing, his own being. आप लोग चाहेंगे चीजों का मूल्यांकन नहीं कर सकते। क्या सताया कि भगवान हमारे जैसा हो जाए। यह तो वही चीज लोगों ने? कुछ भी नहीं सताया। हम तो कहते हैं हो गई कि भगवान दो चार रुपए दे दो, उधर मैं कि हम तो बिलकुल आराम से हैं। जैसे हमने लगा देता हूँ आपका वह एक level हो जाएगा। अपनी तकलीफें देखी हैं, जैसे जैसे लोग हमने देखे वह अपना जैसे है प्रकाशित करेगा आप अपने मार्ग हैं कि उनके लिए जोड़े से गालियाँ नहीं मिलेंगी, को खोलते जाइए। अपने धर्म को अपने अन्दर जानिए। अपने धर्म को जानना बहुत ज़रूरी है । ऐसे महादुष्ट थे लेकिन समाज की स्थिति बहुत कितनी सुन्दर चीज़ है अन्दर में । इस नश्वर देह के ego Superego आपको जोड़े से उनका वर्णन नहीं मिलेगा ऐसे

अन्दर कितनी अनश्वर चीज बह रही है। जैसे कि जाएंगे, evolution stage में जैसे chimpanze को लोग जानते हैं कि वह missing link था। Evolution गंगा, यमुना और सरस्वती, तीनों के संगम की यह धारा है । इसलिए जो मिटने वाला है, जो लौकिक में वही लोग साधारण में से चुने जाएंगे। है उससे इस चीज़ को नहीं जान सकते। एक क्षण निर्विचारिता में जाकर के आप किसी भी चीज़ का बने घूम रहे हैं ये कही भी नहीं पहुँचने वाले। आप decision ले लें। आप ऐसे decision लेंगे कि देख लीजिए सब missing link हो जाने वाले हैं बड़े-बड़े लोगों के बस का नहीं, dynamic, और जो बड़े बड़े पदभूषित हैं वे भी कहीं नहीं पहुॅचने ही बहुत normal होना चाहिए। जो बड़े बड़े दण्डे सन्यासी absolutely dynamic । जब चिन्ता, भय क्रोध, वाले । कितनों को Realization दिया हमने, राजे servility, slavishness, inferiority, सारे महाराजे, secretaries, सब अपने पद पर बैठे हुए complexes झड़ झुड़ करके, बो तो अपनी शान में बोलेगा न अन्दर। और उँसकी अपनी नम्रता है, वह मुझे लिखते हैं मुझे बड़ा हैं। किसी को लगता है कुछ कि हमारे अन्दर दीप कहीं जला? चिट्ठियाँ आनन्द आ रहा है। कोई कुछ करने की सोचता है कि हमने लिया, किसी और को भी बाँटें। अपना इतना मं दु है, इतना म दु है कि किस तरह से अन्दर चला जाता है कि पता ही नहीं चलता। जैसे झर के विशेष स्थान जब होता है तो अपने को भी विशेष चाँदनी अन्दर उतर आई हो। और जब आप चुने गए हैं तो आपका महत्व होना पड़ता है। इसी साधारण सामान्य में से ही बहुत ज्यादा है। आप सोचते हैं कि हम तो ०rdinary असामान्य निकलने वाला है वही निखरने वाला आदमी हैं हम कैसे चुने गए? ordinary आदमियों है। धीरे-धीरे अपकी सब समझ आ जाएगा कि यह में से ही चुने जाएंगे और यह जितने भी extraordinary आदमी आपको दुनिया में दिखाई डॉक्टर, क्या करा जाऐ? महामूर्ख हैं; अपने को क्या देते हैं कि यह बड़े बड़े पदभूषित हैं, यह सब करना है? ज़िन्दगी बिता दी इन्होंने missing link हो जाएंगे कल। हमेशा ऐसा हुआ। सब चूल्हे में गया, अपने को क्या करना। अपना Evolution की हर एक stage में ऐसा ही हुआ है स्थान बहुत ऊँचा है और इस चीज़ का कोई अगर आप देखें। जो बहुत ऊँचे mamoth हुए हैं education नहीं हो सकता। आपका कोई जो बहुत physically developed हुए हैं खत्म हो education नहीं हो सकता कि मैं आप को बैठकर चुके। They are missing links। हाथी उनमें से बच गऐ, जो बीच के थे। इसी तरह जो mentally अनुभव से आपको देखना पड़ता है। महामूर्ख है इनसे कौन बात करे। हैं बड़े भारी कुछ नहीं किया के educate करूँ। ABCD सिखाऊँ। यह रोज बहुत developed हुए उनमे से कह सकते हैं कि fox वह missing link में गया और उससे बढ़कर कि सहजयोग में आप समरष्टि में हैं। व्यक्ति में नहीं कुछ लोग हैं। लेकिन उसमें से कुत्ता बच गया, कुत्ता बच गया। इसी तरह मनुष्य में जो साधारण अब गगनगढ़ महाराज हैं बहुत बड़े हैं। आप लोगों में से ही उठेगा। हमेशा उठता रहा साधारण में से से बहुत बड़े, बहुत ऊँचे हैं मान लिया। 21 हजार और so called असाधारण हैं three dimension में, वह कुछ नहीं करने वाले वे missing link हो बार जन्म लिया और परमात्मा के चरणों में गिरे रहे आज सवेरे मैंने बहुत पते की बात बताई है, आप समरष्टि में हैं। यह point आप जान लीजिए। वर्ष झकमारी उन्होंने, खुद कहा उन्होंने । 21 हज़ार

और जंगलों में रहे तब जाकर ये vibrations मिले है, जो गिरने का है वह गिरते जाता है। दोनों एक उनको और आज तुमको खट से क्यों मिल गए ही साथ चलता है जीवन ऐसा ही पनपता है। भई? क्योंकि यह एक नया संसार है, एक नई बात जिसको झड़ने का है वह जीवन अपना ही उसको है। यह विराट के शरीर के रोम-रोम आप लोग हो गिरा देगा । उसको मरने का है, खत्म करने का है गए है। यह एक symbolic आदमी बना दिया। हो वह कर देगा। लेकिन उसका भी storing time है, गया। उनकी बात भूलिए। आप सब समष्टि रूप में उसका storing का इन्तज़ाम है । बो भी जाते हैं, हैं। आपमें से जो भी आदमी समष्टि से हटना और कुछ कुछ तो ऐसे जाते हैं कि वहाँ से लौटकर चाहता है वह पहले जान ले कि वह cancer बन नहीं आते। पशु योनी से मनुष्य बने और क्या जाएगा और खत्म हो जाएगा। कोई बुरा नहीं है, फायदा है कि मनुष्य होने के बाद आप जाकर कीड़े आप में से कोई अच्छा नहीं है । यह अंगुली दुखती बन गए? आप का competition सब धर्म में होगा। है इसको दबाइए, यह हाथ दुखता है इस हाथ से हम क्या धर्म में हैं या नहीं? अपने बारे में यह सोचें इसको दबाइए। आप सब आपस में जुड़े हुए हैं । और दूसरों के बारे में यह सोचें कि वो कितना धर्म आपको मालूम है आप सब आपस में जुड़े हैं। जब में है। हम कितने धर्म में हैं और वो कितने धर्म में आप आपनी बाधाएँ share करते हैं तो आप अपना हैं और अगर वो अर्धम में हैं तो वो क्यों है? उसका 1. धर्म क्यों नहीं share करते? बाधा तो आप फट से कौन सा चक्र पकड़ा है? चक्र की पकड़ की वजह, पकड़ लेते हैं, धर्म क्यों नहीं पकड़ते? क्या वज़ह उसमें कोई और बात नहीं है। निरपेक्षिता से देखिए । है? सारी वजह ये है कि अभी हम चढ़ रहे हैं। छोटे सिर्फ चक्र पकड़ा है न अरे निकाल देंगे चक्र हैं: बड़े हो रहे हैं। छोटे बच्चे है; पहले थोड़ा जलेंगे, उसका भी, अगर बैठे बैठे उसके प्रति सब इच्छा पहले थोड़ा गिरेंगे, एक दिन जब बड़े होंगे तो अपनी करते हैं । अगर बहुत ही गई बीती चीज़़ है तो अंग्नुलियाँ पकड़ करके हजारों को चलाएँगे छोटे हो अभी आप। ठगे जाआगे तो कोई हर्ज नहीं । भोलेपन में रहें। लेकिन जो ठग रहे हैं और वह सहानभूति है. जिसका आपको लगता है कि वह अपने को बहुत अकलमन्द समझ रहे हैं तो उनको ठीक होगा, उसका कुछ हाल ठीक कर सकते हैं, पता होना चाहिए कि cancer बन के निकाल दिए उसके आपके पास हैं तरीके। यह primrodial जाओगे। वह एक मार्ग और भी है जहाँ जो जाता है फिर लौटता नहीं है। नर्क का भी एक मार्ग है,। आपस में share करिए, आपस के चक्र बढ़ाइए, बुरा छोड़िए उसको, cancer हो गया। छोड़िये उसको, दफना दीजिए। लेकिन जिसके प्रति आपको movements है, उनसे आप उनको ठीक करिए। उस रास्ते पर बहुत से लोग चलते हैं, उनको पता नहीं मानिए । बिलकुल भी नहीं बुरा मानना चाहिए । ही नहीं, वे सोचते हैं माताजी के सामने आओ, जिस आदमी ने बुरा मानना जाना है वह उतना ही उनके पाँव छुओ, उनके पाँव धोओ। हो गये बड़े गलत होगा जो दूसरे को दुःखी करता है। बुरा सन्त। वह भी एक मार्ग चल रहा है, साथ ही साथ मानना और दुःखी करना दोनों ही एक चीज़ हैं, एक सब चल रहा है। जब फूल खिलता है तो कली का ही क्रिया के दो अंग हैं। इसलिए बिलकुल भी जो कुछ गिरना है वह गिर जाता है और उसमें से नहीं मानना चाहिए। अगर कोई कहता है कि चक्र सुगन्ध आती है। जो कुछ पनपने का है बुरा पकड़ा है तो उपकार मानना चाहिए भईया तूने बह पनपता

पहचाना, मैंने नहीं। अगर कोई कह दे कि तुम्हारे और हृदय ही से सारा कार्य हम करते हैं और हृदय अन्दर में यहाँ से सॉप काट रहा है तो तुम उसका से ही सम्बन्ध है, तुम्हारा मेरा। इसलिए पहले हृदय उपकार मानते हो। जिसका चक्र खराब हुआ है तो चक्र को पूर्णतया आप लोग साफ करें हम अपनी तरह से चीज सोचते हैं कि यह ऐसी चीज़ है। हृदय उसको भी उपकार मानना चाहिए के यह मेरा चक्र पकड़ा है इसको निकाल दे भई, तू साफ कर दे। की तरह क्यों नहीं? कितना प्रेम हमने दिया? दूसरों कभी बुरा नहीं मानना चाहिए हालांकि और संसार को हमने कितना प्रेम दिया. दूसरों को कितनी से तो आप बड़े हैं ही क्योकिं आपकी vibrations तकलीफ दी मुझे देसाई की चिट्टी और दुनियाँ में कितने लोगों को आ रही हैं। लिए लिखा उन्होंने कि मेरी wife की बड़े मदद इतना बड़ा Pope है उसके भी नहीं है। मैंने देखा करते हैं । मुझे बड़ी खुशी हुई. बाग बाग हो गई मेरी है। बड़े बड़े लोगों से आप बड़े हैं लेकिन हैं तो अभी तबीयत यह सुन कर के। तेरे देसाई की बड़ी बच्चे ही न। सहजयोग में बच्चे हैं। Pope के पास helpless चिट्ठी आई, मेरे wife को ऐसे हुआ। मैंने तो है ही नहीं vibrations। बड़े बड़े जो बने हुए है, कहा, इतने लोगों को मैंने पार किया, यह दिया वो जिनके आगे दुनिया झुकती है और यह शंकाराचार्य दिया, वो बेचारी मर कैसे रही है? मुझे क्या ज़रूरत और ये है, बो हैं, उनके किसी के vibrations हैं है? London से उसे वहाँ vibrations भेजी। क्या, मालूम नहीं। और तुम लोग तो जाग ति भी देते बात-बात पर आपस में मदद करें, आपस में प्रेम हो और पार भी कराते हो। और सबकी कुण्डलिनियाँ करें। ऐसे बन्धन में इक्कठे हो जाएंगे हम लोग कि अंगुलियों पर फिरा रहे हो । कितनी बड़ी बात है! जैसे एक ही शरीर है विराट का और उसके सहस्रार गणेश जी के सिवाए कोई नहीं कर सकता था पे विराज मान हैं आप लोग. विराट के सहस्रार पर पहले । इसलिए गणेश जी के हाथ में वह होता है न बिठाया है आप लोगों को और क्या कर रहे हैं छोटा सा सांप, वह इसका symbolic है कि वह पागल? विराट पुरुष के सहस्रार पे एक हज़ार सबकी कुण्डलिनी घुमाते थे अब तुम्हारे कम से आदमी बिठाने के हैं। और देखने को बड़ी बात कम एक तो हाथ में आ गया है कि कुण्डलिनी तो लगती है। हाँ हाथ में vibrations कितने के आए चढ़ा सकते हैी सबकी! पर लौकिक से बनता नहीं। हैं? आए हैं न? कुण्डलिनी को समझते हैं? उसमे तो वह अलौकिक है. उसका कुछ ठिकाना नहीं है। कोई शंका नहीं आप लोगों को। हमारा क्या, खेती तोड़-फोड़ कर देता है। जितना वो नाजुक है, कर दी है, देखेंगे। सारी दुनिया के लोग करें मुझे जितना वो प्रेममय है उतना ही वो संहारी है । वो तो समझ नहीं आता कि लोग छोटी छोटी चीज़ के अपने तरीके से चलने वाले हैं। आप अपने तरीके से लिए यह नहीं हुआ, वो नहीं हुआ? अरे, यह नहीं सिर्फ इतना करिए। कहाँ है हृदय चक्र? सबसे हुआ, वो नहीं हुआ, क्या होता है? लोग कौन सी पहले हृदय चक्र को ठीक करिए। हमारा हृदय line में चले जा रहे हो और सोच क्या रहे हो? अब आई, उनके 1 1. | तुम तुम साफ है या नहीं? हमारे मन में किसी के प्रति यहाँ से अगर आपको दिल्ली जाना है तो आप क्रोध है क्या? हमारे मन में किसी के प्रति कोई सोचिएगा कि वहाँ आटे का भाव क्या है? लेकिन आशंका है क्या? अपने हृदय से पूछे। सबसे बड़ी आप को जाना है जहाँ आटा वाटा कुछ नहीं चीज़ है क्योंकि हृदय control करता है brain को चलता। धर्म चलता है। वहाँ धर्म का भाव क्या है. अ

यह जानना है। आटे दाल का भाव जानने की क्या रहा है? Now you are growing younger and जरूरत है धर्मिक लोगों को ? वहाँ क्या धर्म है, वहाँ क्या है, यह जानने की जगह वहाँ पर कौन getting younger and younger. Isn’t, हॅँ। जो younger. I am worried about you. She is सा politics पक रहा है? वह चीज़ है यह आप बोलते हैं वह सर के अन्दर से जा रहा है? दिल के जानते हैं। अगर आपके अन्दर vibrations नहीं है अन्दर से जा रहा है? दिल के अन्दर से जाना तो बात अलग है। आप जानते हैं। लेकिन यह चाहिए। सर से जाएगा तो argument करेंगे। | बहना बहुत ही कम चीज़ है, अभी तो कुछ हुआ ही नहीं, अभी तो बच्चे हैं आप। आपकी एक साल की भी साल गिरह मनाने को मैं तैयार नहीं हूँ। अभी तो हृदय चक्र को ही sacred heart कहते हैं। Christian सिर्फ जबरदस्ती का राम राम हुआ है। आप अपनी ओर देखिए कि मैं कुछ बदला कि नहीं, मुझमें कुछ और उसमें भवानी का, दुर्गा का स्थान रखा हुआ अन्तर आया कि नहीं? मेरे अन्दर कुछ शान्ति आई उसका dogma बनेगा। दिल से जाने दीजिए प्रकाश होएगा। प्रेम का मुजा उठाना है तो दिल से जाईये। | लोग जो कहते हैं sacred heart वही हृदय चक्र है है और बहुत बड़ा स्थान है उसका। दुर्गा को समझना कि नहीं? मेरे अन्दर कुछ हुआ? सिर्फ सुषुम्ना की आपके बस का नहीं है । यह जितने भी राक्षस हैं वो भी उसी के बच्चे है। जो कुछ भी संसार है उसी का हमने आपको। एक ही बारीक line पर बिल्कुल ही है। उनको जिन्होंने मारा, तुम्हारे प्यार के पीछे खींचा है, जो की कहना चाहिए कि बाल के बराबर और उनका नाश किया वह उस माँ की ही शक्ति है। सुषुम्ना खुद ही इतनी मोटी है, देखा जाए तो है । अपने ही हाथों को खींचना बहुत मुश्किल हो और वह एक के ऊपर एक चार परते हैं। लेकिन जाता है। अपने हाथ से अपने को injection देना इसी vibrations से लोगों की तबीयत ठीक हो रही बहुत मुश्किल हो जाता है, फिर अपने ही बच्चों को मारना दूसरे बच्चों को बचाने के लिए उससे भी उसका तो चेहरा एकदम अलग दिखाई दिया। वह कठिन बात है लेकिन वह मारना भी एक बड़ी कहने लगी मेरा तो asthama एकदम ठीक हो शक्ति का कार्य है क्षमा का कार्य है, एक बहुत गया है। यह कौन सी बड़ी बात है। वह ठीक हो बड़ी क्षमा का कार्य है लेकिन कलयुग में आप लोगों को कोई भवानी बनने की जरूरत नहीं है। जो अति सूक्ष्म नाड़ी है उसमें से खींचकर निकाला है यह ठीक हो रहा है। एक आई थी Lady गया, वह ठीक हो गया, ये कौन सी बड़ी बात है? इसमें रखा क्या है? cancer ठीक हो गया, इसमें शान्त हो जाइये। अत्यन्त शान्त हो जाइये। अत्यन्त कौन सी बड़ी बात है। यह तो होना ही था घर में शान्त हो जाइए। आपकी शान्ति ही हमारे कार्य को अगर बिजली जल गई तो दिखाई देने ही लगेगा बढ़ाएगी। आप मान लीजिए की लोग कहेंगे सहजयोग कम से कम । अगर बिजली जली तो जली, कि नहीं में हमने ऐसे ऐसे लोग हमने देखें है कि जो क्रोध के जली? कम से कम दिखाई तो देगी सब चीज़। बिलकुल वो थे, servlty के पुतले थे, बिलकुल दबे उसमें कोई विशेष बात नहीं हुई। लेकिन बिजली हुए लोग थे। अजीब अभिनव वो आदमी थे आप ही जलने के कारण आपमें कौन सा ज्ञान आया, आपने लोग हमारे सहारे हैं और कौन है? आप ही से लोग कौन सा New dimension देखा, आपने कौन सी कहें बढ़िया आदमी है, first class. तबीयत का बड़ा चीज़ नई करी। यह विशेषता है। हाँ, कैसा? चल है हर चीज से wide है हो रहा है, काफी हो रहा

है। पहले से बहुत फर्क आ गया है लेकिन जोरों क्योंकि स्वतन्त्रता नहीं है। और राक्षस लोगों को में हो सकता है। देखिए, उनके वो कैसे आपस में करके-आ जुट अब सब आपके ऊपर है जैसे इसको हा-हा! क्या मजा आ रहा है! इसका गला घोटा, सोचे, आपस में समझें, दूसरों की बात सुनें, शान्ति उसको मार डाला, उसकी हालत खराब। सन्तों का पूर्वक दूसरों को समझें, दूसरों को महसूस करें। । गुट जब बनेगा तो सोचिए क्या होगा? सन्तों का गुट तादात्मय पाएं, दूसरों के साथ, जैसे यह हाथ इस कभी बना नहीं है। यह पहली मरतबा हुआ है। 1 हाथ को जानता है। इस हाथ से यह brain भी सन्तों की सन्तता छूट जाएगी तो फायदा क्या ऐसे जानता है और हृदय भी जानता है, और सब चीज़ गुट का? सन्त के सारे ही लक्षण अपने अन्दर से एक साथ चल रही है integrated, ऐसे ही आप दिखने चाहिए। marathi… मैं कह रही हैूँ लाल सबको integrated होना पड़ेगा। तभी वह हजार हाथ तैयार होंगे जो मनुष्य रूपेण इस्तेमाल किए कर लीजिए फिर पूजन करिए। क्योंकि जब चढ़ जाएँगे। वही हज़ार हाथ जो सहस्रार में हैं। वो जाएगा न फिर हम कुछ बोल नहीं पाएंगे । आप मनुष्यों से ही निकलेंगे, वह भी सर्वसाधारण, कोई लोगों की meeting में जो कार्यवाही होती है, बड़े बड़े ऋषि मुनि नहीं चाहिए उसके लिए की बैठा कार्यवाही के लायक रह नहीं जाएंगे। हो गया| अब लिए चक्रों पर। जो बड़े बड़े लोग हैं वह तो चक्रों आप बता दीजिए कोई problem है क्या, बिलकुल साहब, कि आप लोगों की meeting थी पहले वह ह पर बैठे मनुष्य से निकलने वाले हैं। marathi… हूँ। घर में पूजन करिए इत्मिनान से। यह जितना भी गोबर है ही सफाई पहले। मैं कह कर रही हैूँ कि आपस में उसको लपेट कर साफ करके फेंक आएंगे फिर सांसारिक gross सब कुछ बातचीत हो जाए। फिर हुए चला रहे है। सहस्रार में तो यह सामान्य नहलाना शुरू करो vibrations से। Mrs. Lal आप बातचीत होगी दीजिए, ये आपको दें। पहले चक्र आपस में देख किसी में ज़्यादा है तो आप उसकी मदद करके उसे लीजिए फिर बाहर निकलें नहा धोकर, बाहर निकलें, ठीक कर सकते हैं। पर निर्पेक्षता रखिए । निरपेक्षता तैयार, फिर शरद मिलें, शरद की आपको सफाई आवश्यक है। आप आप नहीं है, आप निर्मल अन्दर किया। फिर उन्होंने आपके दो हाथ सफाई किये। हैं, बाहर आपे हैं। ऐसा दूसरा कोई भी है उसका सफाई करते चलिए, हो गया, सब, निर्मल हो गया भी ऐसा ही है। आप निर्ेक्षता से दूसरे के प्रति । बताएँ क्या क्या problem है। अगर मामला। दुनिया में सब आफत मची हुई है और जाग त रहें। अगर किसी में बहुत तकलीफ दिखाई दुनिया में आपको पता नहीं क्या क्या हो रहा है । देती है तो उसे ठीक करें। बुरा न मानें । अगर criminality बिलकुल आने वाली है। आपको पता कोई आदमी बुरा मानता है तो इशारे से कहें। जैसे नहीं है राक्षसों का ऐसा राज्य बना हुआ है। और आप मेरे पैर पर हैं। किसी बात से आप बुरा माने राक्षस लोग ऐसी बातचीत करते हैं कि उनका समझ लीजिए मालूम है हमें, तो दूसरों को उसका आपस में गुट हो जाता है । वे ऐसे चिपक जाते है कुछ सोचना नहीं चाहिए। जैसे कोई आदमी आपस में जैसे कोई glue होता है ना। वो ऐसे बीमार होता है उस तरह तो मैं आपको इशारों में चिपक जाते हैं । और हमारे जो कार्य करते हैं वो बताऊंगी कि आप पैर पर आ गए। समझ गए कहाँ पर हैं चलो निकालो । आपस में मिलकर के बात बात में झट गिर गये। उधर गये, झट गिर गये 8. ho

हम लोग आपस में सफाई करते हैं । प्रश्न-मां आपस में कोई भेद भाव दिखाई कौन कौन बड़े है? कौन जो बड़े बड़े बातें करने पड़ता नहीं है। उत्तरः है नहीं। लेकिन थोड़ा बहुत वाले हैं यह churning चला है जान बूझ करके यह होता है हम लोग पाँच कदम आगे चले और छ: हम कुण्डलिनी उतारेंगे, जान बूझ कर भी। बात यह कदम पीछे, फिर पाँच कदम आगे फिर छः कदम है कि जब तक उतारेंगे नहीं, चढाएंगे नहीं, उतारेंगे पीछे। सवाल उठता है कि कितने साल बाद नहीं चढाएंगे नहीं, तब तक काम नही बनेगा जानबूझ पहुंचेंगे? वे पहुंचेंगे ही नहीं वह तो उधर ही खड़े हैं। कर उतारेंगे। अभी जितने बूढे लोग हैं उन्हें पता प्रश्न: उठते तो हैं लेकिन अखिर जो नतीजा है होना चाहिए कि लौकिकता से आप ही लोग Leader ऐसी कुण्डलिनी पकड़ के रखूँगी नीचे में कि देखेूँगी उसमें भेद भाव नहीं बीच में माताजी: हूँ। वह भी चीज़ है जब आप अपनी आप ही बड़े हैं। इसलिए आपको और भी Better awareness में उतरेंगे तो वह बिलकुल एक साथ होना चाहिए। आप लोग सब एक हो जाएं। बच्चों चलेंगे। एक साथ जैसे की इतना बड़ा समुद्र है को बताएँ, बच्चे हैं आपके, कि यह लौकिकता है। उसकी भी लहर एक साथ चलेगी। एक साथ और अलौकिकता में कोई भी उठ जावे जिसकी सबका आन्दोलन चलना चाहिए। अब यही है कि द ष्टि ऊपर में है जो पहली सीढ़ी में भी खड़ा है तो एक डण्डे से चाहे, अपने को मार लो चाहे दूसरों भी वह चढ़ जाएगा। उतरा तो भी वह बार बार चढ़ को मार लो, बेहतर है अपने को मारो। इसमे बड़ा जाएगा। जो सोच रहा है कि मैं ही बड़ी ऊँची सीढ़ी छोटा कोई है ही नहीं, इसमें कोई seniority का पर पड़ता है। श्री हैं लौकिकता से संसार में आप ही लोग बुजुर्ग हैं, पर हूँ, गलत है। अन्दर में उसको सोचना चाहिए सं्वाल है ही नहीं। इसका reason है न आप लोग और देखना चाहिए कि हम चढ़े और उतरे, चढ़े और लौकिकता से आ रहे हैं जहाँ आपने देखा कि एक उतरे। सबका होता है। क्योंकि मंथन चला हुआ है। बड़ा होता है एक छोटा होता है। एक officer होता मंथन में किसी का कोई र्थान नहीं बना हुआ, यह हैं एक नीचे होता है, एक राजा होता है, एक कंगला हिसाब है। सहजयोग का तरीका बिल्कुल अभिनव होता है, एक साधु होता है, फिर एक सन्यासी होता है, नावीण्यपूर्ण है । आज तक किसी ने किया नहीं है । इसमें कुछ नहीं है सिर्फ एक वह चला हुआ है। है और न कभी मंथन हुआ है। एक आदमी, गगनगढ़ churning को क्या कहते हैं? मंथन है यह । मंथन महाराज सालों तक बेचारे तपस्या करते हुए जंगल चला हुआ है। एक ऊपर एक नीचे, बस मैं मंथन ही में बैठे रहे। उनसे आप लोगों का कोई लेन देन नहीं कर रही हैूं। अब मक्खन कौन चुराएगा वह देखना है। इस मामले में कुछ और आपको समझा नहीं है। अकलमंद जो होगा वह मक्खन चुराएगा यह तो सकूगी। वह उनका मंथन नहीं हुआ। उन्होंने अपने चला ही हुआ है churning. खूब, कभी ठण्डा दम पर अपने को बनाया है अकेले ने उनकी बात आएगा कभी गर्म आएगा। यह चला हुआ है और और है। उनका guidance यह है कि जैसे की मक्खन ऊपर आएगा, और तैर जाएगा मक्खन गणेश जी की guidance है। आपके पास माथा हल्केपन से। कोई ऊँचा नीचा है ही नहीं इसमें । पीटते हैं बहुत बार, भई इनको कैसे समझायें। तुम जिसने सोचा कि मैं ऊँचा हूँ और नीचा हूँ तो फिर गणेश हो। यह गणेश नहीं है, बच्चे हैं। सोचो तुम एक महमाया भी बैठी हुई है, समझ लीजिए। फिर गणेश हो, बहुत बड़े हो माना, लेकिन यह बच्चे हैं

ाभ भ हैर पार हुए हैं बेचारे। उनके एक रहे आपस में। एक आदमी अगर ज्यादा ओलें और समझा रहे हैं तो ठण्डे हो जाओ, ठण्डे हो जाओ, ठण्डे हो जाओ। आपको। एक बात सही है, चाहे व शंकराचार्य हो ठण्डा आता है न। ठण्डा आना भी चाहिए। गर्भ या कोई, vibration के बारे में, इतनी बड़ी बात नहीं, ठण्डे हो जाओ। ठण्डापन, संजीदापन, ठण्डेपन कोई भी नही जानता था। इतनी technicalities, को अन्दर आने दो। धर्म ठण्डा है, absolute zero अभी। और हमारे मंथन में फैसे बीच का जुआ हम ही हैं। primordial movements, सारे कोई नहीं जानता पर, धर्म बसता है absolute zero पर | टण्डा लोग था, चाहे आप शंकराचार्य पर डालिए या कोई और हिमालय पर जाते थे इसी लिए। तुम्हें हिमालय की पर डालिए कहीं भी नहीं लिखा है। पर यही बड़े ज़रूरत नहीं है। आप लोग अपना airconditioner बड़े जीव आए हैं संसार में। मैं आपसे बताती हूैं कि खोल दीजिए इसी वक्त। अपनी ओर सचेत रहें । 1 क्या जीव है एक एक! बाप रे बाप! दस बाहर साल अपने दोषों को देखें, चक्रों को देखें और दूसरों के से तैयारी हो रही है। तैयार हो जाएंगे अन्दर। तब चक्रों में मदद करें, secretly । पहले बाद में बताने तक आप लोग मेरे सब platiorm न तोड़ दीजिए, की ज़रूरत नहीं है secretly जब आप कर सकते कुश्ती कर कर के अगर मेरा platiorm ही तोड़ हैं तो क्या है? रास्ते में चलते ही चलते जब दिया तो मेरे बच्चे क्या करेंगे? संसार में इतना बड़ा जाग तियाँ हो रही हैं तो फिर क्या है? जितना खेल करने को आए हैं थोड़ा बहुत ठीक है। हूँ secretly करेंगे उतना पवित्र होगा, उतना ही प्रेमपूर्वक organisation कैसा है कि सब चीज अपने आप होगा बड़ा अच्छा लगता है कोई काम secretly सहज ही ठीक हो जाएगी जब आपस में आन्दोलन करें।

[Hindi transcription version 2 – Dharm Va Adharm, Part 1]


संतोष शांति सहज (uncleared Marathi text 2)ये तीन शक्ति है(Uncleared marathi text 3-4) 

कलीजुग(कलयुग) में क्षमा के सिवाय और कोई भी बड़ा साधन नहीं है मनुष्य के पास में ये जान ले, और जितनी क्षमा की शक्ति होगी उतने ही आप शक्तिशाली सबको क्षमा…  क्षमा वही कर सकता है जो बड़ा होता है छोटा आदमी क्या क्षमा करेगा। आज मैंने कहा सवेरे कि धर्म को जाने! अपने अंदर जो धर्म है उसको जाने, धर्म में खड़े हैं जो आदमी धर्म में खड़ा है उसकी इतनी शक्ति होती है अंदर से उस धर्म को जानिए अहा कितना सुंदर है हम धर्म में खड़े हैं जो अधर्म में खड़ा है उससे हमारा कोई मुकाबला थोड़ी है वह तो अधर्म में ही खड़ा है हम तो धर्म में खड़े हुए हैं हमारा तरीका ही ओर है जो धर्म में खड़ा है उसका तरीका ओर होता है और जो धर्म में होता है उसका ओर होता है धर्म वाले से अधर्म वालो के साथ अपना मेल जोड़ ही नहीं सकता है वो। हमें हर तकलीफ हो रही है परेशानियां हो रही है लेकिन हम तो अपने धर्म पर खड़े हुए हैं ना, यह सबसे बड़ी चीज है। अपनी शक्ति को अंदर जानो जो सिर्फ धर्म स्वरूप है और धर्म कुछ नहीं सिर्फ प्रेम है और जब प्रेम ही सब कुछ है तो क्षमा उसका एक अंग ही हो जाता है। कितना कौन जुल्म कर सकता है देखते हैं हमारे प्रेम के आगे! कितना कौन दुष्टता कर सकता है, कौन कितना घर का भेदी होगा, कौन कितनी तकलीफ देगा, कौन कितनी कृतज्ञनता करेगा, करने दो! प्यार के आगे सब चीज डुब जाती है यही एक तरीका है कलजुग(कलयुग) में बैठता है और तो मेरे कुछ समझ में नहीं आता अगर आप सोचते हो की पुराने कोई तरीके इस्तेमाल करें तो हो नहीं सकता! उसका एक कारण आप लोग जान लीजिए मैंने पहले भी बताया और अब फिर बता रही हूं कि पूर्णतया साधु और पूर्णतया संत संसार में नहीं है हर एक संत साधु में भी इन लोगों ने एक- एक राक्षस है, आपके चित्त में ही घुसे हुए हैं वो लोग! बात समझ में आई, अगर कोई साधु ही सिर्फ हो तो ठीक है “पवित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्टता” पर साधु के साथ एक दुष्ट बैठा हुआ है तो बहुत ही प्रेम से उसको अलग हटाना पड़ेगा कि नहीं कितना कठिन काम है बताइए आप! आप साधुता में खड़े हैं कि दुष्टता में खड़े हैं यह आप पर निर्भर है लेकिन आप अगर साधुता में खड़े हैं तो अगर कोई दुष्टता चिपक रही तो उसको हटा भी सकते हैं लेकिन आज ऐसा शुद्ध जीव कितने हैं संसार में बताइए। डिग्रीस(degrees) का फर्क!  और जो लोग साधुता की ओर जा रहे हैं वह साधुता को (बटेरे) बटोरे, उनको उन लोगों से कोई मतलब नहीं रखना चाहिए जो असाधु है, वह असाधु है जो चोर है बिलंदर है उसका हमसे क्या मुकाबला भई वो चोर ही है और हम ये ही। हम वो नहीं हो सकते और वो ये नहीं हो सकता हमसे उनका कोई मुकाबला है!  हो ही नहीं सकता वह तो दूसरी लाइन पर चल रहा है हम तो दूसरी लाइन पर चल रहे हैं। और धर्म में ही जागना सहजयोग का लक्ष्य है और कोई लक्ष्य नहीं सहजयोग का सीधा हिसाब किताब है इसका सहज योग का इन सब चीजों से बिल्कुल ही संबंध हि नहीं होता। अपने धर्म में जागना है, अपने प्रकाश को पाना है, अपने को जानना है। कोई कहता है माताजी क्या करें चक्र को ऐसा चढ़ाएं कि उंगली ऐसा घूमाए कि वैसा करें सारे ये घुमाने फिराने में आदिगतियाॅ है, प्रायर्मोडीयल मूवमेंट्स (primordial movements) है ये सारी जो मैं आपको बता रही हूं! आदिगतियाॅ है प्रायर्मोडीयल (primordial) जो बनाई गई है लेकिन उसका अर्थ तभी ही होगा कि शुद्ध तरीके से चीज का प्रवाह होना अंदर से अगर मिक्सड(Mixed) चीज़े प्रवाहित है तो आप जब हाथ घुमाते हो तो उसके साथ मिक्सड(Mixed) भी घूम रहा है। क्षमा के सिवाय शुद्धता अंदर नहीं आ सकती और जब शुद्धता आएगी तो प्रकाश धर्म का होगा शुद्ध निर्मल! अर्थात जिसके पास धर्म है उसको प्रकाश मे आना होगा, बोलना होगा, बताना होगा लेकिन उसकी हर व्यवहार में खुद उसको सोचना चाहिए कि धर्म दिखाई दे रहा है कि अधर्म दिखाई दे रहा है। इससे पहले रियलाइजेशन(realisation) से पहले मैं आपको ये लेक्चर देती तो बहुत गलत काम हो जाता क्योंकि कंडीशनिंग (conditioning) होता है और यही बात है कि सारे साइकोलॉजिस्ट(psychologist) धर्म को खत्म कर दिया और बता दिया कि जितने भी धर्म ये सिखाते हैं कि यह नहीं करो,वो नहीं करो-वो नहीं करो इससे कंडीशनिंग माइंड का होता है ठीक बात है! लेकिन अब नहीं होने वाला अब जो भी आप चाहेंगे अपने मन से कर सकेंगे there will be no conditioning at all क्योंकि इगो(Ego) और सुपर इगो(super ego) के बीच में आप का चित्त लाके खड़ा कर दिया है। धर्म खुद ही उठ रहा है आपके अंदर, आप नहीं उठा रहे उसका मार्ग आपमे है और जो कुछ लौकिक जाना है आपने, जो कुछ भी लौकिक जाना है संसार में ऐसा है वैसा है वैसा! उससे आप अलौकिक का तौल नहीं कर सकते अलौकिक का मूल्य उससे आप नहीं जोड़ सकते! यह अलौकिक की बात मैं कर रही हूं आप लोग लौकिकता से उसको देख रहे हैं लौकिकता के तीन डायमेंशन(dimension) खत्म हो चुके है चौथे डायमेंशन(dimension) मैं जिसको घूमना है गहराई से गंभीरता से चौथे डायमेंशन में चलने की बातचीत में कर रही हूं। लौकिक चीजों से आप अलौकिक चीज का मूल्यांकन नहीं कर सकते! …..क्या सताया लोगों ने कुछ भी नहीं सताया हम तो कहते हैं हम तो आराम से हैं लेकिन जैसे हमने अपनी-अपनी तकलीफें देखी है और जैसे जैसे लोग हमने देखे हैं कि उनके लिए जोड़े से गालियां नहीं मिलेंगी आपको, जोड़ों से उनका वर्णन नहीं हो सकता, ऐसे ऐसे महादुष्ट लोग। लेकिन समाज की स्थिति बहुत अच्छी है आज, और आपकी भी स्थिति बहुत अच्छी है लेकिन अपने ही साथ छल कपट नहीं करो – अपने ही साथ छल कपट नहीं करो, सीधा हिसाब-किताब है सहजयोग के साथख जो भी आप कर रहे हैं वो आप अपने हि साथ कर रहे हैं हिसाब यह जोड़ लीजिए आप। ….. हां यह प्रश्न बहुत बार हो जाता है एडमिनिस्ट्रेशन (administration) ऐसा प्रश्न होता है कि क्या करें ये ठीक है या नहीं, और इतना आसान है – इतना आसान है कि कोई सा भी डिसीजन (decision) लेने से पहले निर्विचारीता मैं जाओ! अपने आप डिसीजन(decision) सामने जो आ जाए वह करिए कभी गलत हो ही नहीं सकता, पर डिसीजन(decision) निर्विचारीता में स्पॉन्टेनियस(spontaneous) होगा और विचार में आपने अगर कर लिया तो वो बायस्ड(biased) होगा। क्योंकि उसमें आपका इगो(Ego) और सुपर इगो(super ego)दोनों काम कर है आपका जो कुछ भी संस्कार है आप जो कुछ भी लौकिक कमाया हैं वह आपके पीछे में खड़ा रहे, लेकिन अगर निर्विचारिता मे करिएगा तो एक अभिनव होयेगा, एक अलौकिक होगा, एक चमत्कारिक होयेगा, चमत्कार होगा! क्योंकि हिंदी में जो चमत्कारीक का अर्थ होता है वह बड़ा ऊंचा और मराठी में होता चमत्कारिकताजी.…. एक तो चमत्कारिक होएगा मराठी वाला और एक होएगा चमत्कारिक जो है वो हिंदी वाला.. (आइए)! तो जब बात अलौकिकता कि हो रही है तो लौकिकता के जितने भी आप के बने हुए मत है preconceived ideas of human being cannot guide God he has his own(unknown text1) his own being आप लोग चाहे कि भगवान हमारे जैसा हो जाए, तो तो वही चीज हो गई कि जो लोग भगवान को बेचते  है भई ₹4 दे दो उधर में लगा देता हूं आपका वही लेवल (leval) हो जाएगा वो अपना जैसा है प्रकाशित करेगा, आप अपने मार्ग को खोलते जाइए अपने धर्म को अंदर जानिए धर्म को जानना बहुत जरूरी है कितनी सुंदर चीज है अंदर में देखिए। इस नश्वर देह के अंदर कितनी अनिश्वर चीज बह रही है जैसे की गंगा,सरस्वती और यमुना तीनों का संगम होता है धारावह! इसलिए जो मिटने वाला है जो लौकीक है उससे इस चीज को नहीं जान सकते। एक क्षण निर्विचारीता में जाकर के आप किसी भी चीज का डिसीजन(decision) ले ले आप ऐसे ऐसे डिसीजन(decision) लेंगे की बड़े-बड़े लोगों के बस का नहीं होगा dynamic absolutely dynamic कुछ चिंता भय क्रोध servility clevishness inferiority सारे complexes झड़ झुड़ करके वो तो अपनी शान में बोलेगा ना अंदर और उसकी अपनी नम्रता है क्योंकि इतना मृदु है वो इतना मृदु है कि वो किस तरह अंदर चला आता है पता ही नहीं चलता, जैसे झर के चांदनी अंदर उतर आई हो! और जब आप चुने गए हैं तो आप का महत्त्व बहुत ज्यादा है। अब आप सोचते हैं कि आप एक ऑर्डिनरी(ordinary) आदमी है हम कैसे चुने गए,ऑर्डिनरी(ordinary) ही आदमियों में से चुने जाएंगे और ये जितने भी एक्स्ट्राऑर्डिनरी(extraordinary) दुनिया में लोग दिखाई देते हैं आपको जो बड़े-बड़े पदभुषित है ये सब मिसिंग लिंक (missing link) हो जाएंगे हमेशा ऐसा हुआ है। इवोल्यूशन(evolution) के हर एक स्टेज में ऐसा ही हुआ है आप अगर देखें तो, जो बहुत ऊंचे मैमथ(Mammoth) हो ओर बड़े-बड़े जो बहुत फिजिकली डिवेलप(physically develop) हो गए खत्म हो चुके हैं, they were missing link! हाथी उसमे से बच गया जो बीच में,हाथी बचाया। इसी तरह से जो मेंटली (mentally) बहुत डेवेलपड(developed) हुए उनमें से कह सकते हैं आपकी कोहला जिसे कहते हैं फॉक्स(fox) वो मिसिंग लिंक मे आया और उससे भी बढ़कर कुछ लोग हैं लेकिन उनमें से कुत्ता बच गया, कुत्ता बचा। इसी तरह मनुष्य में है जो साधारण में से ही उठेगा हमेशा उठते रहा साधारण में से ही और जो सो कोई असाधारण है थ्री डायमेंशन(3 dimension) में वो कुछ नहीं करने वाले वो मिसिंग लिंक हो जाएंगे इवोल्यूशन(evolution) की स्टेज में लोग उनको जानेंगे जैसे चिंपांजी(chimpanzee) को लोग जानते हैं कि मिसिंग लिंक था। इवोल्यूशन में वही लोग जो साधारण में से ही चुने जाएंगे बहुत ही नॉर्मल(normal) होना चाहिए! जो बड़े-बड़े दंडे संन्यासी बनकर घूम रहे हैं ये कहीं भी नहीं पहुंचने वाले आप देख लीजिएगा सब मिसिंग लिंक मैं जाने वाले और जो बड़े-बड़े पदभुषित है ये भी कहीं नहीं पहुंचने वाले! कितने को रिलाइजेशन(realisation) दिया हमने आपको मालूम है बड़े-बड़े राजे महाराजे सेक्रेटरी फेक्रेटरी क्या किस काम के सब अपने पद पर बैठे! किसी को लगता है कुछ के हमारे अंदर दिप क्यों जला! चिट्टियां मुझे लिखते हैं हमें बड़ा आनंद आ रहा है आनंद आ रहा है कोई कुछ करने की सोचता है कि हमने लिया किसी और को भी बांटे। अपना विशेष स्थान जब होता है तो अपने को भी विशेष होना पड़ता है इसी साधारण सामान्य में से ही असामान्य निकलने वाला है, वही निखरने वाला है धीरे-धीरे आपको खुद समझ में आ जाएगा कि ये महामूर्ख है इनसे कौन बात करें, है बड़े-बड़े भारी डॉक्टर क्या करें महामूर्ख बैठे रहे अपनी जगह पे जिंदगी बिता दी इन्होंने कुछ नहीं किया चलो चूल्हे में गया अपने को क्या करना आज(uncleared Marathi text 2) अपना स्थान बहुत ऊंचा है और इस चीज का कोई इजुकेशन(education) नहीं हो सकता आपका कोई इजुकेशन(education) नहीं हो सकता कि मैं आपसे एज्युकेट(educate) करूं बैठे कर के एबीसीडी(ABCD) सिखाउ नहीं! यह रोज के अनुभव से आपको देखना है और आज जो सवेरे मैंने बहुत पते की बात बताई जो आपको जानना चाहिए कि सहजयोग में आप समष्टी में है व्यक्ति में नहीं,आप समष्टी मे है! ये पॉइंट(Point) आप जान लीजिए। अब गगनगढ़ महाराज है बड़े, बहुत बड़े हैं आप लोग से बहुत ऊंचे पुरुष है मान ले सब कुछ! लेकिन 21000 वर्ष झकमारी उन्होंने बेचारों ने खुद कहा हुआ है 21000 बार जन्म लिया और परमात्मा के चरणों पे गिरे रहे जंगलों में रहे तब जाकर के ये वाइब्रेशनस(vibrations) मिले उनको और आज तुमको खट से क्यों मिल गए भई क्योंकि एक नया संसार है एक नई बात है ये विराट के शरीर के रोम रोम आप लोग हैं वो एक सिंबॉलिक(Symbolic) आदमी बना दिया हो गया उनकी बात भुलिए। आप सब समष्टी रूप में आपमे से जो भी आदमी समष्टी से हटना चाहता है वो पहले जान लें कि वो कैंसर बन जाएगा और वो खत्म हो जाएगा कोई बुरा नहीं है आप में से और कोई अच्छा नहीं पुरा! ये उंगली दुखती है ये उंगली से उसको दबाइये, ये हाथ दुखता है इस हाथ से दबाइये, आप सब आपस में जुड़े हुए है आपको मालूम है आप सब आपस में जुड़े हुए हैं जब आप अपनी बाधाएं शेयर(share) करते हैं तो अपना धर्म क्यों नहीं शेयर(share) करते। बाधा तो आप फट से पकड़ लेते हैं (uncleared Marathi clause) बाधा तो फट से पकड़ लेते हैं धर्म क्यों नहीं पकड़ते। क्या वजह है, सारी वजह यह है कि अभी हम चढ़ रहे हैं, छोटे हैं बड़े हो रहे हैं छोटे बच्चे हैं पहले थोड़े जलेंगे, पहले थोड़े गिरेंगे एक दिन जब बड़े होंगे तो अपनी उंगलीया पकड़ कर के हजारों को चलाएंगे। अभी छोटे हैं-छोटे हैं ठगे जाओगे तो कोई हर्ज नहीं छोटे हैं अभी आप भोलेपन में रहो, लेकिन जो ठगा रहें है वह अपने को बहुत अक्लमंद समझ रहे हैं तो उनको पता होना चाहिए कि कैंसर बन कर निकाल दिए जाएंगे वो एक मार्ग और भी है जहां जो जाता है फिर लौटता नहीं! नर्क का भी एक मार्ग है उस रास्ते पर बहुत से लोग चलते हैं उनको पता ही नहीं है वो सोचते हैं कि माताजी के सामने आओ उनके पाव छुओ उनके पांव धोओ ओहो….हो गए बड़े संत! वो भी एक मार्ग  चल रहा है साथ ही साथ सब चल रहा है जब फूल खिलता है तो कली का जो कुछ गिरना है वह गिर जाता है और फूल खिल जाता है और उसमें से सुगंध आ जाती है जो कुछ पनपने का है पनपता है जो कुछ गिरने का है वो गिरते जाता है दोनों एक ही साथ चलता हैं जीवन ऐसा ही पनपता है जिसको झड़ने का है वह जीवन अपने ही उसको गिरा देगा जो मरने का है खत्म करने का है वो कर देगा लेकिन उनके भी स्टोरींग(storing) का टाइम है उसका भी स्टोरिंग का इंतजाम है वो भी जाते हैं और कुछ कुछ तो ऐसे जाते हैं कि वहां से लौट कर नहीं आते। पशु योनि से मनुष्य बने और क्या फायदा है कि मनुष्य योनि से जाकर आपकी किडे बनिए। आपस का कोंपटीशन(competition) धर्म में रखें,हम क्या धर्म में हैं या नहीं अपने बारे में ये सोचे! और दूसरों के बारे में ये सोचे कि वो कितना धर्म में है। हम कितने धर्म में हैं और वो कितने धर्म है और अगर वह अधर्म में है तो वह क्यों हैं उसका कौन सा चक्र पकड़ा है चक्र की पकड़ की वजह से; उसमें कोई और बात नहीं है निरपेक्षता से देखिए सिर्फ चक्र पकड़ा है ना अरे निकाल देंगे चक्र उसका भी इधर बैठे बैठे उसके गतिसमीक्षा करके उसका चक्र हम निकालेंगे और अगर कोई बहुत ही गई बीती चीज है तो छोड़िए उसे कैंसर हो गया छोड़िए! उसको दफना दीजिए, लेकिन जिसके प्रति आपको सहानुभूति है जिसके प्रति आपको लगता है कि वह ठीक होगा या उसका कुछ हाल ठीक कर सकते हैं, उसको आप आपके पास है तरीके ये प्रायर्मोडीयल मूवमेंट्स (primordial movements) है उनसे आप उनको ठीक करिए। आपस में शेयर(share) करिए,आपस के चक्र बढ़ाइए बुरा नहीं मानना चाहिए बिलकुल नहीं बुरा मानना चाहिए जिस आदमी ने बुरा मानना जाना है वो उतना ही गलत होगा जो दूसरे को दुखी करें। बुरा मानना और दुखी करना दोनों एक ही चीज है एक ही क्रिया है के दो अंग है इसलिए बिलकुल बुरा नहीं मानना चाहिए अगर कोई आपसे कहता है चक्र पकड़ा है तो उसका उपकार मानना चाहिए तूने पहचाना मैंने नहीं पहचाना भैया ठीक कर दे। अगर कोई कह दे कि तुम्हारे अंदर में यहां से सांप काट रहा है तो तुम उसका उपकार मानते हो! जिसका चक्र खराब हुआ है उसको भी उपकार मानना चाहिए कि ये मेरा चक्र पकड़ा है बड़े उपकार; उसको निकाल दे भाई तू साफ कर दे, कभी बुरा नहीं मानना। हालांकि और संसार से तो आप लोग बड़े है ही क्योंकि आपके वाइब्रेशंस(vibrations) आए हैं और दुनिया में कितने लोगों के आए हैं इतना बड़ा पॉप (Pop) है उसके भी नहीं है मैंने देखा हहा…… बड़े-बड़े लोगों से आप बड़े हैं लेकिन है तो अभी बच्चे ना! सहज योग में बच्चे है पॉप(Pop) के तक तो है नहीं वाइब्रेशन बड़े-बड़े जो बने हुए है जिनके आगे दुनिया घूमती है और ये शंकराचार्य वो ढमके वो ठमके और सब के किसी के वाइब्रेशंस(vibrations) क्या है ये मालूम नहीं और तुम लोग तो जागृति भी देते हो और पार भी करा देते हो और सब की कुंडलीनीया उंगलियों पर फिरा रहे हो कितनी बड़ी बात है ये गणेश जी के सिवाय कोई नहीं कर सकता था पहले इसीलिए गणेश जी के हाथ में जो वो होता है ना छोटा सा सांप वो इसका सिंबोलीक(Symbolic) है कि वो सबकी कुंडलिनीया घुमा देते थे अब तुम्हारे कम से कम एक तो हाथ में आ गया कि कुंडलिनी तो चढ़ा सकते हो सबकी(uncleared marathi phrase) वो अलोकिक है-वो अलोकिक है उसका कुछ ठिकाना नहीं तोड फोड के सब ठीक कर डाले। जितना वो नाजुक जितना वो प्रेम-मइ उतना ही वो सहांरी भी। वो तो अपने तरीके से चलने वाली आप अपने तरीके से सीख- सीखना चले (uncleared marathi phrase) सबसे पहले हृदय चक्र को अपने ठीक करें हृदय अपना साफ करें हमारा हृदय साफ है या नहीं हमारे मन में किसी के प्रति क्रोध है क्या, हमारे मन में किसी के प्रति कोई आशंका है क्या! अपने हृदय को चेक(check) करे सबसे बड़ी चीज है क्योंकि हृदय कंट्रोल(control) करता है ब्रेन(Brain) को और हृदय ही से सारा कार्य हम लोग करते हैं और हृदय से ही संबंध है तुम्हारा मेरा पूरी तरह से इसलिए पहले हृदय चक्र को पूर्णतया आप लोग बिलकुल पूर्णतया साफ कर लै। हम अपनी तरह से चीज सोचते हैं कि ऐसी चीज है हृदय चक्र क्यो? कितना प्रेम हमने दिया दूसरे को हमने कितना प्रेम दिया! दूसरे की हमने कितनी तकलीफ दि!  मुझे तेरे देसाई की चिट्ठीया आई इनके लिए लिखा उन्होंने कि मेरी वाइफ की बड़ी मदद करते हैं मुझे बड़ी खुशी… कितनी मेरी तबीयत बाग-बाग हो गई सुनकर करके आहहा.. तेरे देसाई की बड़ी हेल्पलेस चिट्ठीयाॅ आई मेरी वाइफ की ऐसी स्थिति है मैंने कहा इतने लोगों को मैंने बात कि ये दिया वो दिया वो बेचारी मर कैसे रही है मुझे क्या जरूरत है लंदन से वहां वाइब्रेशन को भेजने की तुम लोग किस दिन के लिए बनाए हुए हो और जो दूसरी चिट्ठी आई (uncleared marathi phrase) तबीयत बाग-बाग हो गई।आपस मैं मदद,आपस में प्रेम,ऐसे बंधन में इकट्ठे हो जाएंगे हम लोग बिलकुल एक शरीर है एक ही शरीर है विराट का। और उसके सहस्रार पे विराजमान हैं आप लोग विराट के सहस्त्रार पर बिठाया है आप लोगों को और क्या कर रहे हैं ये पागलपन! विराट पुरुष के सहस्त्रार पे 1000 आदमी बिठाने के अब दिखने को बड़ी बात लगती है हैय। हाथ में वाइब्रेशंस कितनो के आए हैं, आए हैं ना! कुंडलीनी का समझता है वो उसमें तो किसी को शंका नहीं आप लोगों को! हमारा क्या, खेती कर दी है देखेंगे (uncleared marathi paragraph) सारी दुनिया के लोग करें मेरे समझ में नहीं आता पर तुम लोग छोटी छोटी चीज के लिए ये नहीं हुआ वो नहीं हुआ, वो नहीं हुआ अरे ये नहीं हुआ वो नहीं हुआ क्या होता है तुम कौन सी लाइन में चले जा रहे हो और सोच क्या रहे हो। अब यहां से आपको अगर दिल्ली जाना है तो आप सोचिएगा की वहां आटे का भाव क्या है लेकिन आपको वहां जाना है जहां आटा-वाटा कुछ नहीं चलता है धर्म चलता है तो वहां धर्म का भाव क्या है ये जानना। आटे दाल का भाव जानने की क्या जरूरत है धार्मिक लोगों को! कि वहां क्या धर्म है और वहां क्या है ये जानने की जगह वहां पर कौन सा पॉलिटिक्स (politics) पक रहा है, और वो चीज है ये आप जानते हैं मतलब आप के अगर वाइब्रेशंस(vibrations) कह दे तो बात करने की बात नहीं वो तो आप जानते हैं लेकिन यह बहना बहुत ही कम चीज है ये तो कुछ हुआ नहीं अभी! अभी तो बच्चे ही हैं अभी तो आपकी 1 साल की भी सालगिरह मनाने को मै तैयार नहीं हुं। ये तो सिर्फ अभी जबरदस्ती का राम-राम हुआ है। आप अपनी और देखीये मैं कुछ बदला कि नहीं, मुझमें कुछ अंतर आया कि नहीं, मेरे अंदर कोई शांति आई कि नहीं, मेरे अंदर कुछ हुआ।सिर्फ सुषुम्ना की जो अति सूक्ष्म नाड़ी है उसके अंदर से खींच के निकाला है हमने आपको, एक ही बारीक लाइन से बिलकुल खींचा है,जो कि बिलकुल कहना चाहिए कि बाल के बराबर। सुषुम्ना खुद ही इतनी मोटी है देखा जाए तो और एक के ऊपर एक चार परते हैं उसकी; लेकिन इसी वाइब्रेशन से लोगों की तबीयत ठीक हो रही है ये ठीक हो रहा है आज वो एक आई थी  लेडी (lady) उसका एकदम चेहरा ही अलग दिखाई दिया कहने लगी कि बस मेरा तो अस्थमा ठीक हो गया,ये क्या बड़ी भारी चीज है अस्थमा ठीक हो गया वो ठीक हो गया और ढिकाना! इसमें रखा क्या है कैंसर ठीक हो गया, ये हो गया वो, इसमें कौन सी बड़ी भारी बात है ये तो होना ही हुआ है यह तो कोई विशेष बात नहीं हुई अब घर के अंदर में बिजली चल गई अभी तो सब कुछ दिखाई देने ही लगेगा वो तो होना ही चाहिए़। कम से कम अगर बिजली जली तो जली किस दिन के लिए; कम से कम दिखाई तो दे सब चीज, इसमें कोई विशेष बात नहीं हुई लेकिन बिजली जलने के कारण आप में क्या इंतिहान आया,आपने कौन सा न्यू डाइमेंशन देखा,आपने कौन सी चीज नई करी ये विशेषता है। हं.. कैसा… चल रहा है.. now you are going younger and younger, I am worried about you now (maa laughs) She is getting younger and younger (uncleared marathi text)जो बोलते हैं वो सर पे से जा रहा है कि सर के अंदर से जा रहा है कि दिल के अंदर से जा रहा है? दिल के अंदर से जाना। सर से जाएगा तो अरगुमेंट्स(arguments) होंगे उसका डाग्मा बनेगा। दिल से जाने दीजिए प्रकाश होयेगा प्रेम का मजा उठाना है तो दिल पे लाइए!  हृदय चक्र को ही सैक्रेड हार्ट(sacred heart) कहते हैं क्रिश्चियन लोग जो कहते हैं सैक्रेड हार्ट वही हृदय चक्र है और उसमें भवानी का स्थान रखा हुआ है दुर्गा का! और बहुत बड़ा स्थान है उसका दुर्गा को समझना आपके बस का नहीं है (की उस)ये जितने भी राक्षस है वो भी उसी के बच्चे हैं जो कुछ भी संसार है उसी का है उनको जिसने मारा तुम्हारे प्यार के पीछे में और उनका नाश किया उस मां की शक्ति को जानिए अपने ही हाथों को खिंचना बहुत मुश्किल हो जाता; अपने ही आपसे अपने को इंजेक्शन देना बहुत मुश्किल हो जाता है फिर अपने ही बच्चों को मारना दूसरे बच्चों को बचाने के लिए उससे भी कठिन बात है। लेकिन वो मारना भी एक बड़ी शक्ति का कार्य है क्षमा का कार्य है बहुत बड़े क्षमा का कार्य है वो भी उनकी क्षमा है लेकिन कलयुग में अब आप लोगों को कोई भवानी बनने की जरूरत नहीं! शांत हो जाओ अत्यंत शांत हो जाओ, अत्यंत शांत हो जाओ आपकी शांति हमारे कार्य को बढ़ाएगी आप मान लीजिए कि लोग कहेंगे कि सहजयोग में ऐसे ऐसे हमने लोग देखे हैं जो क्रोध के बिल्कुल वो थे सर्विलिटी के बिल्कुल पुतले थे, बिल्कुल दबे हुए लोग थे, एक अजीब अभिनव आदमी थे।आप ही लोग तो हमारे इश्तिहार है और कौन इश्तिहार है। आप ही से लोग कहे बढ़िया आदमी,फर्स्ट क्लास,तबीयत का बड़ा है,हर चीज से वाइडर(Wider); हो रहा है काफी हो रहा है पहले से बहुत फर्क आ गया है लेकिन जोरो में हो सकता है।

[Hindi transcription version 2 – Dharm Va Adharm, Part 2]

अब सब आपके ऊपर है जैसा इसको सोचे आपस में समझे, दूसरों की बात सुने, शांतिपूर्वक दूसरों को समझें, दूसरों को महसूस करें, तादाद में पाए दूसरों के साथ! जैसे ये हाथ इस हाथ से जानता है और इस हाथ से ये ब्रेन भी जानता है और हृदय भी जानता है और सब चीज एक साथ चल रही है इंटीग्रेटेड(Integrated) ऐसे ही सब आप को इंटीग्रेट(Integrat) होना पड़ेगा; तभी वह हजार हाथ तैयार होंगे जो मनुष्यरुपेण इस्तेमाल किए जाएंगे वही हजार हाथ जो सहस्त्रार में है विराट! वो मनुष्यों से निकले हैं और सर्वसाधारण, कोई बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों नहीं चाहिए उसके लिए वो बिठा दिए चक्रों पे। जो बड़े-बड़े लोग हैं वो बैठ गए चक्रों पर, बैठै वो अपने चला रहे।  सहस्रार में तो यही सामान्य ही मनुष्य निकलने वाला है सामान्य (uncleared marathi paragraph) घर में ही सफाई पहले, मैं कह रही हूं कि आपस में नहलाना शुरू करो वाइब्रेशंस(vibrations) से! Mrs Charles को आप दीजिए और ये आपको दे। पहले चक्र आपस में देख लीजिए फिर बाहर निकले नहा धोकर के तैयार होकर के। फिर शरद मिले शरद के आपने सफाई किया उन्होंने आपके दो हाथ सफाई किए। सफाई करते चलिए, हो गया सब निर्मल हो गया सब मामला! वो दुनिया को सब आफत मची हुई है, दुनिया में आपको पता नहीं क्या-क्या हो रहा है, क्रिमिनालिटि(criminality) बिल्कुल आने वाली है आपको पता नहीं है राक्षसों का ऐसा राज्य बना हुआ है और राक्षस लोग ऐसे बातचीत करते हैं कि उनसे आपस में गुठ हो जाता है वो ऐसे चिपक जाते हैं आपस में कि जैसे कोई ग्लू होता है नी वैसे सब चिपक जाते हैं और हमारे जो कार्य करते है,वो तो बात बात में झप वो गिर गया उधर गए फट वो गिर गया क्योंकि स्वतंत्रता में और राक्षस लोगों को देखिए वो कैसे आपस में जुटकर के आहाहा.. क्या मजा आ रहा, इसका गला घोटा उसको मार डाला उसकी हालत खराब। संतों का गुठ जब बनेगा, तो सोचिए क्या होयेगा! संतों का कभी गुठ बना ही नहीं, ये पहली मर्तबा हुआ है देख लीजिए। अगर संत की संतता छूट जाएगी तो फायदा क्या ऐसे गुठ का; संत के सारे ही लक्षण अपने अंदर से दिखने चाहिए।(uncleared Marathi phrase) मैं कह रही हूं लाल साहब आप लोग की मीटिंग थी वह कर लीजिए, फिर पूजन करिए क्योंकि जब चढ़ जाएगा ना तो फिर हम कुछ बोल नहीं पाएंगे आप लोग की तो मीटिंग कार्यवाही का जो मतलब होता है ना वो कार्यवाही के लायक नहीं रह जाएंगे। …हो गया … अब आप बता दीजिए कोई प्रॉब्लम क्या है बिल्कुल संसारीक रोज सब कुछ बातचीत हो जाएगी और फिर पूजन करें इत्मीनान से ये जितना भी गोबर है इसको लपेट के साफ करके फेंक आएंगे उसके बाद फिर बातचीत होगी बताएंगे (uncleared Marathi text 4) अच्छा किसी में अगर ज्यादा है तो आप लोग उसकी मदद कर के उसको ठीक कर सकते हैं पर निरपेक्षता रखिए निरपेक्षता निरपेक्षता रखिए! आप आप नहीं है आप निर्मल अंदर हें बाहर आप है ऐसे ही दूसरा कोई है उसका भी वैसा ही है आप निरपेक्षता से दूसरे आदमी के प्रति जागरूक रहें अगर किस में बहुत तकलीफ दिखाई देती है तो उसको ठीक करें। बुरा ना माने, अगर कोई आदमी बुरा मानता है तो इशारे से कहें जैसे आप मेरे पैर पे आए हैं अब आप बुरा मान जाए किसी बात का; समझ लीजिए मालूम है हमें, तो उसका कुछ दूसरों को ये नहीं सोचना चाहिए जैसे कि कोई आदमी बीमार होता है ना उस तरह से आप पैर पर आ गए तो इशारों से (बताओं) बता सकते हैं समझ गए कहां पर है सब यही इशारा करेंगे समझ गए कहां पर है चलो निकालो आपस में मिलकर के हम लोग सब आपस में सफाई कर रहे है 

सहज योगी :-आपस में कोई भेदभाव दिखाएं नहीं पड़ता!

श्री माताजी :- है नहीं, है ही नहीं

लेकिन जो कुछ भी थोड़ा बहुत ये चलता है ना वो होता ये की पांच(5) कदम चले और छः(6) कदम पीछे फिर पांच(5) कदम फिर छः(6) कदम और फिर सवाल हुआ कि कितने साल बाद पहुंचेंगे, वो पहुंचेंगे ही नहीं वो तो उधर ही खड़े है यह बात है।

सहज योगी:-होते तो हैं लेकिन आखिर तो जो नतीजा है उसमें भेदभाव कैसे? बीच में जब पड़ता है ।

नहीं! वह भी ठीक है; जब आप अपनी अवेयरनेस(awareness) पे उतरे हैं जब आप अपनी उस पर हैं तो बिल्कुल एक साथ चलिएगा एक साथ। जैसे कि इतना बड़ा समुंदर है उसकी भी लहर एक साथ चलती है। एक साथ सबका आंदोलन चलना चाहिए, अब यही है कि एक डंडे से चाहे अपने को मार लो चाहे दूसरों को मारो; बेहतर है अपने को मारो। कोई इसमें बड़ा छोटा आप में कोई हैय नहीं, इसमें कोई सीनियोरिटी(seniority) का सवाल नहीं! बात इसका रीज़न (reason) है ना कि आप लोग तो लौकिकता से आ रहे हैं ना जहां आपने देखा है कि एक बड़ा होता है एक छोटा होता है एक अफसर होता है एक नीचे होता है एक राजा होता है एक ठमका होता है फिर एक साधु होता है एक दंडे सन्यासी होता है एक होता है। इसमें यह सब कुछ नहीं है आप लोग सब; वौ चला हुआ है क्या (चर्निंग churning को क्या कहते हैं) मंथन…ये मंथन चला हुआ है एक ऊपर तो एक नीचे – तो एक ऊपर तो एक नीचे ऐसा मंथन चला हुआ है ये समझ लीजिए बस मैं मंथन ही कर रही हूं और कुछ कर ही नहीं रही हूं! अब मक्खन कौन चुराता है ये देखने का है। अकलमंद जो होगा वह मक्खन चुराएगा, यह तो चला ही हुआ है चर्निंग(Churning) खूब जोरो में; कभी ठंडा आएगा कभी गर्म आएगा कभी कुछ और। ये चला हुआ है और मक्खन ऊपर आ जाएगा तैर जाएगा मक्खन हलकेपन से। कोई ऊंचा और नीचा हैय नहीं इसमें; कोई भी ऊंचा नहीं नीचा नहीं जिसने सोचा कि मैं ऊंचा हूं और नीचा हूं तो फिर एक महामाया भी बैठी हुई है समझ लेना। वो ऐसे कुंडलिनी को पकड़ कर रखूंगी मैं नीचे की पता देख लूंगी मैं के कौन कौन बड़े है, बहुत बड़े-बड़े दानी बनने वाले हैं। ये चर्निंग(Churning) चला है जानबूझकर के भी थोड़े बार हम कुंडलिनी उतारेंगे,जानबूझकर के भी! क्योंकि बात यह है कि जब तक उतारेंगे नहीं चढ़ाएंगे नहीं उतारेंगे नहीं चढ़ाएंगे नहीं तब तक काम नहीं बनने वाला। जानबूझकर उतारेंगे; अभी जितने बुड्ढे लोग हैं उनको यह पता होना चाहिए के लौकिकता के आप ही लोग लीडर है लौकीकता के संसार में। आप ही लोग बुजुर्ग है, आप ही बड़े हैं इसलिए आपको को तो और भी स्पेशली(specially) बैटर(better) होना चाहिए। आप लोग सब एक हो जाए और बच्चों को बताएं, बच्चे हैं आपके लौकीकता में, और अलौकिकता में कोई भी उठ जावे; जिसकी दृष्टि ऊपर में है वो तो पहली सीढ़ी पर खड़ा हो तो भी वो चढ़ जाएगा। उतरा तो भी उसको जाने का है ना ऊपर तो वो बार-बार चढ़ेगा, लेकिन जो सोच रहा है कि मैं ही बड़ी ऊंची सीढ़ी पे; गलत है अंदर में उसका सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि हम चढ़े और उतर गए – चढ़े और उत्तर गए, सबका होता है क्योंकि मंथन चला हुआ है मंथन में किसी का कोई स्थान नहीं है बना हुआ ये हिसाब है। सहजयोग का तरीका अभिनव है और बिल्कुल नाविन्यपूर्ण है आज तक कभी किसी ने किया नहीं है और ना कभी मंथन हुआ है। एक आदमी गगनगढ़ महाराज सालों तक बेचारे तपस्या करते  जंगल में बैठे रहे उनसे आप लोगों का कोई लेनदेन ही नहीं इस मामले में और कुछ वो आपको समझा नहीं सकते क्योंकि वो उनका मंथन नहीं हुआ है, उन्होंने अपने दम पे अपने को बनाया अकेले ने उनकी बात और है! हां उनका गाइडेंस यही है जैसे गणेश जी का गाइडेंस है आपके पास; जो माथा पीटते हैं बहुत बार! भई इनको कैसे समझाए। अभी तुम गणेश हो, ये गणेश नहीं है बच्चे हैं सोचो तुम, तुम गणेश हो बहुत बड़े माना लेकिन ये बच्चे हैं और हमारे मंथन में फंसे हुए हैं बेचारे!ये भी है उनके बीच का दुआ हम हैं और समझा रहे हैं आपको। क्योंकि एक बात सही है कि वो चाहे शंकराचार्य रहे हो चाहे कोई हो वाइब्रेशंस(vibrations) के बारे में इतनी बात कोई भी नहीं जानता था इतनी टेक्नीकालीटिस(Technicalities)  प्राइमोर्डीयल(primordial) सारे मूवमेंट्स(movements) कोई भी नहीं जानता था, आप चाहे शंकराचार्य पर डाले चाहे कोई पड़ डाले; कहीं भी है कहीं लिखा हुआ, कहीं नहीं लिखा हुआ। कलयुगी बड़े-बड़े जीव आए हैं इस संसार में, मैं आपसे बताती हूं 200-250 क्या जीव है एक-एक बाप रे बाप! ये तो 10-12 साल के अंदर में तैयारी हो रही है तैयार हो जाएंगे। पर तब तक आप लोग सब प्लेटफॉर्म नहीं तोड़ दिजीए मेरा, कुश्ती खेल-खेल के आप लोग ने अगर प्लेटफॉर्म ही टूट गया तो मेरे ये बच्चे क्या करेंगे भई! संसार में बड़ा खेल करने को आए हुए हैं थोड़ा बहुत ठीक है पर अंगि तांडव नृत्य नको। ऑर्गेनाइजेशन (organisation) का ऐसा है कि अपने आप सब चीज सुधर हो जाएगी अगर आपस में आंदोलन एक रहे आपस में। एक आदमी अगर ज्यादा बोले तो ठंडे हो जाओ – ठंडे हो जाओ, ठंडे हो जाओ! ठंडा आता है ना ठंडा होना भी चाहिए ना। गरम है ठंडे हो जाओ ठंडापन,संजीदापन,ठंडापन अंदर आने दो। धर्म ठंडा है एब्सल्युट(absolute) 0 पर धर्म बसता है -273° एब्सलूट(absolute) जीरो पे रहता है ठंडे हो जाओ! लोग हिमालय से जाते थे इसीलिए, वो हिमालय की जरूरत नहीं है यही पे सभी आप लोग सब अपना-अपना एयर कंडीशनर(air conditioner) खोल दिजिए। अपनी ओर सचेत रहें। अपने दोषों को देखें अपने चक्रों को देखें और दूसरों के चक्रों की मदद करें; सिक्रेटली पहले बाद में; बताने की कोई जरूरत ही नहीं सिक्रेटली हाथ मार सकते हैं जब तो क्या है रास्ते में चलते ही चलते जब जागृतियॉ हो रही है तो फिर क्या है। जितना सिक्रेटली करेंगे उतना ही वो पवित्र होगा और उतना ही वह प्रेम फुल होगा। बड़ा अच्छा लगता है कोई काम सिक्रेटली हो।