Mahashivaratri Puja

पुणे (भारत)

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Mahashivaratri Puja 15th February 2004 Date: Place Pune Type Puja

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

कठिन है। कल्याण’ माने हर तरह से साफल्य, हर तरह से प्लावित होना, हर तरह से अलंकृत होना। जब आशीर्वाद में कोई कहता है कि तुम्हारा “कल्याण” हो तो क्या होना चाहिए? क्या होता है? ये कल्याण क्या है? यह वही कल्याण है जिसको हम आत्मसाक्षात्कार’ कहते है। बगैर आत्मसाक्षात्कार के कल्याण नहीं हो सकता। उसकी समझ भी नहीं आ सकती और उसको आत्मसात भी नहीं किया र जा सकता। ये सब चीजें एक साथ कल्याणमय होती हैं और जिसकी वजह से मनुष्य अपने को अत्यन्त सुखी, अत्यन्त तेजस्वी समझता है। इस कल्याणमार्ग के लिए आपको जो करना पड़ा वो कर दिया, जो मेहनत करनी थी सो कर ली. जो विश्वास धरने थे वो धर लिए । लेकिन जब कल्याण का मार्ग अब मिल गया, जब आपको गुरु ने मन्त्र दे दिया कि आपका कल्याण हो जाए तो क्या ा क चीज घटित होगी? आपके अन्दर सबसे बड़ी चीज समाधान। इसके वाद कुछ खोजना नहीं। अब आप स्वयं भी गुरु हो गए अब आपको कुछ विशेष प्राप्त होने वाला नहीं है। किन्तु इस समाधान का जो आशीर्वाद है उसको आप महसूस कर सकेंगे उसको आप जान सकेंगे और उसमें आज हम लोग यहाँ गुरु की पूजा करने के आप रममाण हो सकेंगे पहले तो देखिए, सबसे लिए उपस्थित हुए हैं। गुरु को सारे देवताओं से, बड़ी चीज है शारीरिक-शारीरिक तकलीफें, शारीरिक देवियों से ऊँचा माना जाता है। वास्तविक ये गुरु दुर्बलता इस कल्याण के मार्ग से साफ हो जाएंगी। कौन हैं? इसमें सबसे ज्यादा कौन-सी शक्ति आपकी शारीरिक तकलीफे खत्म हो जाएंगी। यह संचरित है। ये गुरु तत्व जो है. यही शिव है । शिव नहीं हुई तो सोचना है कि अभी कल्याण नहीं स्वरूप जो शक्ति है उसी को हमें गुरु की शक्ति हुआ। उसके बाद आपकी मानसिक दुर्बलताएं जो समझना चाहिए क्योंकि जब आप गुरु की शक्ति हैं वो भी कल्याण में सब खत्म हो जानी चाहिएं। प्राप्त करते हैं और आपके अन्दर वह शक्ति प्लावित जो दुर्बलता आपके अन्दर मानसिक है, जिसके कारण आप पूरी तरह से खिल नहीं पाते, वो कार्य जो इस शक्ति का है वो है आपका “कल्याण। शक्ति इसमें है और आप इसको जब प्राप्त करते जिसको यह शक्ति प्राप्त होती है उसको यह समझ हैं तो आपका वाकई कल्याण हो जाता है, माने आप पार हो जाते हैं इसमें भी श्री महादेव जी “कल्याण’ का मतलब छोटे शब्दों में देना बड़ा सहायक हैं। जब आपकी कुण्डलिनी आपके सहस्रार महाशिवरात्रि पूजा (पुणे 15 -02-2004) होती है तब आप स्वयं भी गुरु हो जाते हैं। पर लेना चाहिए कि अब उसका ‘कल्याण’ हो गया। करई

कि को छेंदती है सो वहाँ महादेव बैठे हुए हैं। इसीलिए मनुष्य जब प्राप्त करता है तो उसका सारा शरीर उनको महादेव कहते हैं। देवों में देव महादेव होते रोमांचित हो जाता है। माने किसी अद्वितीय शक्ति ने उनकी आलिंगन किया हो। और उनके अन्दर ये इस कल्याण मार्ग में और बहुत सी शक्ति भी जिससे वो सारी दुनिया की परेशानियाँ, उपलब्धियाँ हैं। इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि है उथल पुथल, असन्तुलन, सब से ऊपर उठकर एक शान्ति, मानसिक शान्ति, शारीरिक शान्ति और सन्तुलन में विचरण करते हैं । इसलिए इस शक्ति सबसे बढ़कर सांसारिक शान्ति। संसार की अनेक को प्राप्त करने के लिए लोग बहुत कोशिश करते व्याधियाँ हैं, अनेक तकलीफें हैं! वो सब इसको हैं। और वो दूसरे मनुष्य से, मानव से ही इसे प्राप्त हैं। पाकर, इस कल्याण को पाकर खत्म हो जाती है। करते हैं जो स्वयं भगवान स्वरूप हो जाता है और उसका अस्तित्व ही नहीं रहता है। ऐसे लोग आप देख सकते हैं दुनिया में होते हैं जो कि इस प्रवचन (अंग्रेजी से अनुवादित) जो स्वयं ही इस चीज़ को प्राप्त किए हुए हैं। कल्याण की शक्ति को प्राप्त करके आराम से अपने स्थानापन्न होकर के ध्यानस्थ हो जाते हैं। ये ऐसा विषय है जिसे केवल हिन्दी भाषा ें ही वर्णन किया जा सकता है। इसमें बताया गया है यही कल्याण है जिससे मनुष्य में पूरी तरह का कि गुरु पद किसी अन्य व्यक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है परन्तु स्वयं उस व्यक्ति में भी यह लिए आपको सिर्फ गुरु शरण लेनी चाहिए। गुरु के शक्ति होनी चाहिए, आरम्भ में मानसिक शान्ति की शरण जाने से आपमें वो सन्तुलन आ जाएगा। कि शक्ति तथा सभी सांसारिक, मानसिक तथा शारीरिक आपको ऐसा लगेगा कि आपने सब कुछ पा लिया समस्याओं पर विजय पाने कि शक्ति। गुरु के अब और कुछ पाने का नहीं। इस प्रकार का आशीर्वाद तथा अपने मानसिक सन्तुलन से आप सन्तुलन एक विलक्षण शक्ति देता है। और वो इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं जब शक्ति, मैं उसे प्रेम की शक्ति कहती हूँ. जिसे आप स्वयं गुरु बन जाते हैं तो आप में भी अन्य सन्तुलन आ जाता है। और बो सन्तुलन पाने के

[Hindi translation from English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

बाद आपको भी यही शक्ति प्राप्त होती है। गुरु बनने के लिए व्यक्ति को प्रयत्न नहीं करना चाहिए। ऐसा करना व्यवहारिक नहीं है। गुरु बनने का यदि आप प्रयत्न करेंगे तो आप कभी गुरु नहीं बन पाएँगे। बिना मांगे, बिना प्रयत्न किए, यह स्थिति स्वतः आप में आनी चाहिए। ध्यान ही इस स्थिति को प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग है ध्यान अर्थात Meditation केवल ध्यान करें, कुछ मांगे नहीं। ध्यान ही आपको बह शरीर यन्त्र प्रदान करता है जो की महान शक्ति को धारण कर की गुरु सके। और तब स्वतः आप यह शक्ति अन्य लोगों को भी देते हैं। इसके लिए आपको परिश्रम नहीं करना पड़ता। आपकी उपस्थिति मात्र से ही लोगों को पूर्ण सन्तोष की यह शक्ति प्राप्त हो जाती है तथा आपको और अन्य लोगों को मोक्ष मिल जाता है। इस प्रकार उत्थान यात्रा के मार्ग की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और स्वर्गीय शान्ति एवं आनन्द ा ति लोगों को आशीर्वादित करने को शक्ति आ जाती के आशीर्वाद में आप शराबोर हो जाते हैं। इसी है। आशीर्वाद देने की इस शक्ति से आप बहुत से कारण से इसे ‘कैवल्य कहा गया है अर्थात केवल लोगों को गुरु बना सकते है। एक बार जब कोई आशीर्वाद । इसके लिए कोई अन्य शब्द नहीं बनाया गुरु बन जाता है और उसमें शक्ति होती है तो यह जा सकता। इसका वर्णन करने का कोई अन्य मार्ग अत्यन्त तुष्टेदायी और श्रेयस्कर होती है। व्यक्ति नहीं है । आपने इसी स्थिति में उन्नत होना है आप में इतना संतोष होता है कि उसे किसी चीज की जानते हैं कि आप उस अवस्था में हैं। यह इतनी आवश्यकता नहीं रहती। यह श्री शिव की शक्ति उच्चावस्था है कि एक बार इसमें पहुँचने के पश्चात् हैं। आपने देखा है कि श्री शिव के पास बहुत मांगने के जैसा कुछ नहीं रह जाता। आप इतने अधिक कषड़े नहीं हैं। वे कोई श्रंगार नहीं करते, हर संतुष्ट हो जाते हैं। इस विशिष्ट शक्ति के विषय में समय ध्यान अवस्था में बैठे रहते हैं। किसी चीज़ मैं लगातार बोल सकती हैँ। अतः कृपया मैंने जो की उन्हें आवश्यकता नहीं रहती। अपने आप में वे कुछ कहा है उस पर घ्यान लगाएं। आप सबमें ये इतने संतुष्ट हैं कि उन्हें किसी चीज़ की चाहत नहीं अवस्था प्राप्त करने की योग्यता है, पूर्ण शान्ति एवं हैं। यदि आपका कोई गुरु है जो उस स्तर का है आनन्द की अवस्था प्राप्त करने की। और योग्य है तो आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने के परमात्मा आपको धन्य करें।