Birthday Puja

New Delhi (भारत)

Feedback
Share
Upload transcript or translation for this talk

Birthday Puja 21st March 2002 Date: Place Delhi: Type Puja

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

आप इसको महसूस कर सकते हैं। इसको जान सकते हैं कि ये प्यार, परमात्मा का प्यार, परमात्मा की शक्ति सिर्फ प्यार है और प्यार ही की शक्ति है जो कार्यान्वित होती है। हम लोग इसे समझ नहीं पाते। किसी से नफरत करना, किसी के प्रति दुष्ट भाव रखना, किसी से झगड़ा करना, ये तो बहुत ही गिरी हुई बात है। आप तो सहजयोगी हैं, आपके मन में सिर्फ प्यार के और कुछ भी नहीं होना चाहिए। अपने देश में आजकल जो आफत मची है, इसको देखते हुए 1 मैं देख रही हैं कि ये सारे प्यार की समझ में नहीं आता है कि धर्म के नाम पर महिमा कैसे फैल गई, कहाँ से कहाँ पहुँच इतना प्रकाण्ड रौरव इंसान ने क्यों खड़ा गई, कितने लोगों तक, इसकी खबर ही कर दिया? इसकी क्या ज़रूरत थी? एक नही है! किन्तु इसका पूरा शास्त्र समझ में चीज़ शुरु होती है फिर इसकी प्रतिक्रिया आ गया । प्यार का भी कोई शास्त्र हो आती हैं और प्रतिक्रिया शुरुआत की एक सकता है? प्यार का कोई शास्त्र नहीं। क्रिया से भी बढ़कर होती है। इस तरह से प्यार जो है एक महामण्डल की तरह सब परमात्मा का जो भी आपको अनुभव है वो दूर छाया हुआ है। इसका एहसास हमें कम होता जाता है। अब समझने की कोशिश नहीं, उसे हम जानते नहीं। लेकिन परमात्मा करना चाहिए कि हम प्यार को कैसे बढ़ावा का प्यार, ये तो सारे दूर, सारी सृष्टि में, दे सकते हैं, प्यार को हम कैसे दिखा सारे संसार में, हरेक देश में फैला हुआ है। आपके आत्मसाक्षात्कार होने के बाद ही सकते हैं? सकते हैं और उसको हम कैंसे पनपा

सबसे पहले तो हमें अपने बच्चों की है बचपन से ही बच्चों को समझाया जाए ओर ध्यान देना चाहिए। हम अपने बच्चों कि तुम मुसलमान हो या तुम हिन्दू हो या को क्या सिखा रहे हैं? उसको किसी ने तुम फलाना हो, या तुम ढिकाना हो, इससे गर एक थप्पड़ मारी तो क्या हम कहते हैं बच्चे को यही समझ में नहीं आता है कि जाकर उसे मारो, उल्टे अगर आप उसे देखने में तो मैं इन्हीं के जैसा हूँ । मेरा समझाएं कि कोई बात नहीं, नाक, नक्श, मुँह तो सब तो वही है, फिर नासमझ है उसने तुम्हें इस तरह से क्यों समझा रहे मारा तो ठीक हो जाएगा। वो फिर से दोस्ती हैं, इस तरह से मुझे ये क्यों लोग करते हैं? तो ये धृणा, कर ले गा। १० क्योंकि बच्चे और ये जो का हृदय जो सारी बातें हैं. है बहुत सरल, अबोध होता है। एक पल में वो ठीक हो लालच, ये सब हमारे अन्दर की दुष्ट जाएगा। फिर उसको गर समझाया जाए प्रवृत्तियाँ हैं और ये प्रवृत्तियाँ हमकों जो कि बेटे देखो तुमको वो मारता है, ये बुरी बात है, फिर तुम भी बुरी बात मत करो। चाहिएं, पूर्णतया जानी चाहिए। तभी आपको बच्चा समझ जाएगा कि मार पीट अच्छी समझ में आएगा कि परमात्मा क्या हैं, और चीज़ नहीं है। ये बचपन से ही चीज बननी आती हैं वो सहजयोग से नष्ट हो जानी हम क्या हैं?

[Hindi translation from English, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

ह० ह० ब म १ मैं इन्हें प्रेम के विषय में बता रही हूँ, तक चाहें इस घुणा को तर्कसंगत ठहराते सर्वशक्मिान परमात्मा के सर्वव्यापी प्रेम के रहें । हमारा देश जो कि अत्यन्त परिपक्व विषय में। उन्होंने ही सारा किया है एवं शान्तिप्रिय देश माना जाता है यहाँ भी पूरा वातावरण बनाया है। प्रेम की पूर्ण ऐसे लोग हैं जिनका मार-धाड़ और भावना दी है परन्तु यह उन्हीं लोगों के हत्या में ही विश्वास था इसे मार दो, उसे लिए है जो बच्चों की तरह से अबोध हैं। मार दो। अतः इन चीजों में विश्वास न यदि आप घृणा में परिपक्व हैं तो कोई करने वाले इस देश में भी लोग बहुत आपकी रक्षा नहीं कर सकता। अपनी घृणा पुराने समय से भिन्न प्रकार की हिंसा को न्यायोचित ठहराने के लिए आपके पास करते चले आ रहे हैं । परन्तु मूलतः हम अनगिनत तर्क मिल जाएंगे। जिस सीमा शान्तिप्रिय लोग हैं क्योंकि शान्ति के बिना सृजन हुए प्पार] उ

उत्क्रान्ति हो ही नहीं सकती। पूर्ण शान्ति का बँटवारा हुआ था जिसमें बहुत से लोगों का होना आवश्यक है। आपके हृदय में को जान और माल गँवाने पड़े थे। ये सब यदि शान्ति है, आपके चहूँ ओर यदि शान्ति मैंने स्वयं देखा है! ऐसी स्थिति में लोग है, केवल तभी आप सुन्दर राष्ट्र के रूप में किसी को क्षमा कर पाने में असमर्थ थे । अतः क्षमा अन्य लोगों के दुःख और के कारण नही। परन्तु आपके हृदय में तकलीफों को समझने का बहुत अच्छा यदि पूर्ण शान्ति है तभी न केवल आप मार्ग है परन्तु ये गुण आपको अपने अन्दर चिकसित करना होगा ब्रोधित और प्रतिशोध शान्ति भी प्रसारित होती है। ऐसा व्यक्ति की भावना से परिपूर्ण की अपेक्षा आप यदि शान्ति प्रसारित करता है। उसके पास अपने अन्दर वो शान्ति विकसित कर लें, जाने वाले हर व्यक्ति को शान्ति प्राप्त परमेश्वरी प्रेम के माध्यम से यदि आप बो होती है और उसमें शान्ति की भावना आ मानसिक शान्ति प्राप्त कर लें तो आपको और करने की आवश्यकता नहीं होगी। आप सभी सहजयोगी हैं आपको आत्म यही शान्ति आपके हृदय में है इसे महसूस साक्षात्कार मिल चुका है अर्थात आपकी करें आप शान्त व्यक्ति हैं जल्दी से उत्तेजित आत्मा प्रेम एवं चैतन्य लहरियों का प्रसार होने वाले व्यक्ति नहीं। अपने क्रोध के लिए करने लगी है। आप जहाँ भी होंगे शान्तिमय या लोगों का मिजाज बिगाडने के लिए चैतन्य लहरियों का प्रसार करेंगे शान्ति आप कोई सफाई नहीं देंगे, आप ऐसा कुछ का आप सृजन करेंगे शान्ति का सृजन भी नहीं करेंगे। आप इस क्रोध और मूर्खतापूर्ण करने की विधियाँ खोज निकालेंगे कि प्रतिशोध से ऊपर उठ सकते हैं । जो लोग आत्मसाक्षात्कारी नहीं हैं उन्हें 1 उन्नत हो सकते हैं, किसी भय या दबाव भयमुक्त होते हैं परन्तु आपके अन्दर से जाती है। कुछ चातावरण में शान्ति किस प्रकार स्थापित करनी है। हमारा इस प्रकार से उन्नत समझा पाना कठिन है क्योंकि उनसे यदि होना महत्वपूर्ण है कि हम शान्ति का सृजन मैं बात करूंगी तो उन्हें अच्छा न लगेगा । करें, अन्य लोगों को शान्ति प्रदान करें और वो यदि आत्मसाक्षात्कार ले लें केवल तभी हम उनसे बातचीत कर सकते हैं । अतः सर्वोत्तम कार्य यह है कि सहजयोग इसका उदाहरण बन जाए। मुझे विश्वास नहीं होता कि दिल्ली में भी इतनी अधिक संख्या में लोग साक्षात्कारी को फैलाएं । इसे सर्वत्र, सिखों में मुसलमानों हो सकते हैं । मैंने कभी इसकी आशा न की थी। आरम्भ में तो मुझे तब तक प्रतीक्षा हिन्दुओं में फैलाएं क्योंकि आज कल मुझे करनी पड़ी जब तक लोगों में मेरे कार्य को लगता है हिन्दू लोगों ने भी अपने देश तथा समझने का विवेक न आ गया क्योंकि देश इसकी संस्कृति की समझ पर पकड़ खो में और इसाईयों में तथा विशेष रूप से साचिमि

दी है। यही कारण है कि वो प्रतिशोध लेते लेना-देना? निश्चित रूप से मैं इस बात हैं। इस प्रकार का प्रतिशोध मेरी समझ में को जान सकती हूँ और आप सब जान नहीं आता। परन्तु क्या किया जाए? लोग सकते हैं कि बाबरी मस्जिद ही वह स्थान उस स्तर तक पहुँच गए हैं, उस अधम था जहाँ श्री राम का जन्म हुआ। स्तर पर, जहाँ वे बहुत सी चीजें नहीं समझ पाते। उदाहरण के रूप में लोग नहीं चाहते बनने से किसी को क्या कष्ट हो सकता वहाँ यदि मन्दिर बन जाए तो लोगों को क्या परेशानी हो सकती है। वहाँ मन्दिर कि एक स्थान विशेष पर श्री राम का है? कहने से मेरा अभिप्राय है कि यह तो मन्दिर बने । इसका कारण उनका केवल सम्मान और भावनाओं का प्रश्न है। सहजयोगी न होना है मैं उन्हें बता सकती हूँ क़ि यह वही स्थान है जहाँ श्री राम का उनका नाम लेते हैं क्योंकि इससे अत्यन्त जन्म हुआ। हमें उनके अवतरण को पूर्ण सुख और शान्ति मिलती है। परन्तु जिस सम्मान देना चाहिए। यदि वही उनका प्रकार से लोग इस चीज़ को देखते हैं यह मैं श्री राम का नाम लेती हैूं. सभी लोग हम इस तथ्य को अत्यन्त कठिन कार्य है। आप उनसे बात जन्म-स्थल है तो चैतन्य-लहरियों पर महसूस कर सकते नहीं कर सकते। हैं। तो क्यों इस वास्तविकता, इस सच्चाई को नकारें? केवल इसलिए की आप इस रहे हैं कि कश्मीर में मोहम्मद साहब का कार्य को नहीं चाहते। उन लोगों से एक बाल हैं अब किसी ने कह दिया है अब वे एक अन्य मूर्खता की बात कर बात-चीत करना बहुत कठिन है। हमारे लिए समझने की बात ये है कि जानते हैं? ये निर्णय करने का आपका क्या बाबर ने हमारे लिए क्या किया? बाबर मापदण्ड है कि ये बाल किसका है? आप कौन था? बाबर एक विदेशी था जिसने हैरान होंगे कि मैं जब कश्मीर गई थी तो कि यह बाल उनका नहीं है। आप कैसे इस स्थान को बनाया तक नहीं। नहीं, हम कार से कहीं जा रहे थे। अचानक उसने नहीं बनाया ये तो उसकी सेना के मुझे बहुत तेज चैतन्य लहरियाँ महसूस किसी अधिकारी ने किया था और इसीलिए हुई. तब मैंने चालक से पूछा, “तुम कार को इस ओर क्यों नहीं ले चलते?” वह परन्तु आइए देखते हैं कि इन श्रीमान कहने लगा, क्यों? “क्योंकि मैं जाना चाहती बाबर के साथ क्या हुआ? उनकी मृत्यु हो हूँ।” वह कहने लगा, “ये एक पुरानी सड़क गई। परन्तु आए वो विदेश से ही थे वो है और बहुत थोड़े से लोग यहाँ पर रहते तो भारतीय भी नहीं थे तो भी कोई बात हैं” “कोई बात नहीं। आप गाड़ी ले चलो।” वह उस स्थान के समीप पहुँचता गया । इसे बाबरी मस्जिद कहा जाता है। नहीं। परन्तु उस स्थान से उनका क्या o নe,

वहाँ पर मुसलमानों के कुछ घर थे हमने स्थान है । किसी तरह से । मैं नहीं जानती, उन्हें बुलाया और उनसे पूछा, “यहाँ क्या हो सकता है किसी ने उन्हें बताया हो, मैं हो रहा है?” उन्होंने उत्तर दिया. “यह नहीं जानती उन्हें किस प्रकार पता चला हज़रत बल है।” नाम से ही इतनी शान्ति परन्तु चैतन्य लहरियों का ज्ञान तो उन्हें प्राप्त होती है। यह मोहम्मद साहब का एक नहीं है। अभी तक मुझे ऐसे बहुत से हिन्दू नहीं मिले हैं जिनमें चैतन्य-लहरियाँ हों-मेरा अब हिन्दू मोहम्मद साहब के विषय में कहने का अभिप्राय इन धर्मान्ध लोगों से नहीं जानना चाहते और मुसलमान श्री राम है। उन्हें कभी चैतन्य लहरियाँ नहीं आतीं। के विषय में । यह आश्चर्य की बात है! मैं हैरान होती थी कि किस प्रकार उन्हें सबने अपनी दुकानें खोली हुई हैं और पता चला कि यह श्री राम की जन्मभूमि है। हो सकता है किसी तरह से उन्हें बाल था। अपनी-अपनी चीजें बैच रहे हैं उन्हें इस बात की समझ नहीं है कि जो वो बेच रहे इसका पता चल गया हो। परन्तु इससे वे हैं अन्य लोग भी वही बेच रहे हैं। उदाहरण कुछ प्रमाणित नहीं कर सकते। यदि वो के तौर पर वो अल्लाह का नाम लेते हैं । आत्मसाक्षात्कारी होते, यदि हमारे उच्च अल्लाह कौन हैं? सहजयोग के अनुसार न्यायालय के न्यायाधीश साक्षात्कारी होते, अल्लाह श्री विष्णु के अतिरिक्त कोई अन्य यदि हमारा मंत्रीमण्डल साक्षात्कारी होता नहीं और श्री विष्णु ही श्री राम के रूप में तो उनसे बात की जा सकती थी। परन्तु अवतरित हुए। अतः जिस अल्लाह की वे वे सब, मैं क्या कहूँ, पूरी तरह से बाधित बात करते हैं वे स्वयं श्री राम हैं। इस बात लोग हैं। किस प्रकार उन्हें बताया जाए कि को केवल एक सहजयोगी ही समझ सकता ये झगडा सिर्फ मूर्खता है! वहाँ श्री राम का है। मैं जब इसके विषय में बात कर रही हूँ मन्दिर बनाया जाना बिल्कुल ठीक है आप यदि अपने हाथ फैलाएं तो ये जानकर आप जो चाहे कहते रहें। समस्या ये है कि आप हैरान हों गे कि कितनी चैतन्य-लहरियाँ बह रही हैं क्योंकि श्री राम ही अल्लाह हैं। अपनी मूर्खता के कारण आप उन्हीं का अपमान करने का प्रयत्न देखें कि आत्मसाक्षात्कारी लोग पर्याप्त मात्रा सर्वप्रथम उन सबको आत्म-साक्षात्कार लेना अच्छी होगा। अभी, जब हम ये बात कर रहे हैं, आप कर रहे हैं। अतः यह मोहम्मद साहब के शिष्यों की अभी कोई मुझसे बता रहा था कि वह मूर्खता है या हिन्दुओं की। हिन्दू भी इस व्यक्ति जो महन्तों को आत्मसाक्षात्कार दे बात को नहीं समझ रहे हैं। किसी तरह से रहा था, महन्त वो लोग होते हैं जिन्हें सन्त में नहीं हैं। आप सब आत्मसाक्षात्कारी हैं। उन्हें यह ज्ञान है कि यह श्री राम का जन्म समझा जाता है, कि जब उन महन्तों को

यह आम बात है। बहुत से लोगों ने मुझे बताया, “हमने एक पादरी को आ रहा था कि वह उनका क्या करे? कहीं आत्मसाक्षात्कार दिया, उसका पर्दाफाश हो भी ऐसा घटित हो सकता है चाहे वो इसाई गया ।” “अर्थात क्या हुआ?” “श्रीमाताजी, उसकी पोल खुल गई। उसे कैद में डाल आत्म साक्षात्कार मिल गया तो उनका पर्दाफाश हो गया उसकी समझ में नहीं चर्च हो या यहूदी हों। सर्वत्र आपको ये समस्या मिले गी। आप यदि उन्हें दिया गया।” “अरे! यह तो ज्यादती है। आत्मसाक्षात्कार देंगे तो उनका पर्दाफ़ाश आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने के पश्चात् वह हो जाएगा अतः उन लोगों को परेशान जेल चला गया!” करने का क्या लाभ है जिनकी श्रद्धा इन अंतः यह समस्या है। प्रेम में आप पाखण्डी महन्तों में है और जो इन्हें बहुत महान नहीं हो सकते प्रेम में तो आपको पावन व्यक्तित्व होना होगा। स्वयं को पवित्र करने लहरियों के माध्यम से ही समझा जा सकता के लिए संघर्ष करें। आपको परिवर्तित होना है। परन्तु प्रेम के वशीभूत होकर मैं उन्हें है। अब भी यदि आपको क्रोध आता है, बता नहीं सकती कि आप लो ग अब भी यदि आप में लालच है, अब भी आत्मसाक्षात्कारी नहीं हैं। श्री राम या मोहम्मद यदि आप में ये दोष बने हुए हैं तो प्रेम साहब के विषय में बातें करना आपका कार्यान्वित नहीं होगा यह कार्य न करेगा। किसी को भी दिव्य प्रेम करने से पूर्व अब समस्या अज्ञानियों तथा ज्ञानवान हमें पावनता का मूल्य समझना होगा क्यों लोगों में है। पहले इनकी दूरी बहुत अधिक मैं बच्चों से प्रेम करती हूँ? क्योंकि वे अबोध (निश्छल) हैं । उनमें ये सब दोष करता था, तो लोग उसे पत्थर मारा करते नहीं है जैसे हमारे देश में भ्रष्टाचार महामारी थे, पीटते थे तथा सभी प्रकार से सताते की तरह से फैलने लगा है – महामारी की थे। अब आप लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं। तरह से। यह साधारण बात नहीं है किसी इस अवस्था में भी आप यदि कोई प्रदर्शन को भी आप देखें, हर तीसरे व्यक्ति को करें तो कोई आपको नहीं सुनेगा। मैं आपसे भ्रष्टाचार का रोग लगा हुआ है! क्यों? एक ही प्रार्थना करूंगी। अधिक से अधिक क्योंकि सभी धन-लोलुप हैं। ठीक है। परन्तु लोगों को आत्मसाक्षात्कार दें-इन तथाकथित उस पैसे से वो करते क्या हैं? उनकी आध्यात्मिक लोगों को नहीं, सर्वसाधारण समझ में नहीं आता कि इसे किस तरह से समझते हैं । इन लोगों को केवल चैतन्य परे हैं। काम नहीं है । वे आपसे बहुत | थी । कोई एक व्यक्ति आत्मसाक्षात्कारी हुआ छुपाएं। इस धन को वे किसी मटके आदि लोगों का तो पर्दाफ़ाश हो जाता है, इन्हें में डाल देते हैं और अन्ततः यह सारा धन खो जाता है। ऐसा यदि न भी हुआ तो वे लोगोंको-क्योंकि इन तथाकथित आध्यात्मिक साक्षात्कार देने का क्या लाभ है? ০

पकड़े जाते हैं। यह सब बातें महत्वपूर्ण पूरे विश्व को अपने पाश में बांध ले । यह नहीं हैं। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यह शक्ति है. यह कार्यरत है । आपको तो लालच होना ही क्यों चाहिए? धनवान लोग केवल इसका माध्यम बनना होगा, ऐसे निर्धन लोगों की अपेक्षा कहीं अधिक लालची व्यक्ति जो इस प्रेम का संचार कर सकें । हैं क्योंकि निर्धनों को परमाल्मा का कुछ तो प्रेम के इस खज़ाने पर आपका पूर्ण अधिकार डर है! धनवान अत्यंत लोभी हैं। वे सदैव किसी न किसी चीज के पीछे दौड़ते रहते मैं हैं। इस दौड का कोई अन्त नहीं है । में सोचते हैं धन प्रेम का दुश्मन है। मैं आश्चर्य की बात है कि हमारे इस देश में आपको विश्वास पूर्वक बताती हूँ कि यदि भी यह रोग लग गया है! इसी रोग के अब भी आपका रूझान धन की ओर है तो कारण, कुछ लोग सहजयोग को व्यापार आप कभी सहजयोग में उन्नति नहीं कर बना रहे हैं और सहजयोग से धन एकत्र सकते। है। इसे आप सर्वत्र फैला सकते हैं। परन्तु देखती हैँ कि यहाँ भी लोग धन की भाषा मैं मानती हूँ कि मैं निराश हूँ। मेरी कर रहे हैं। यह लालच आपके विकृत दायें पक्ष (Right समझ में नहीं आता कि किस प्रकार चीजों Side) की देन है और आप इसे न्यायोचिित में रुचि लूं। इसमें रुचि लेने वाला क्या है? ठहराने लगते हैं दायीं और की विकृतियों लोग मुझ पर हँसते हैं कि “आप को में प्रेम का कोई स्थान नहीं है । सीधी-सीधी सी चीजों का भी ज्ञान नहीं है, आप रुपये गिनना भी नहीं जानतीं? मैंने अब ये लालच इस सीमा तक बढ़ गया है कि पूरा देश इससे नष्ट हो रहा है । इस कहा, “मैं जानती हूँ।” मैं आपको वैसे ही बता सकती हैूँ कि कितना पैसा है, पर प्रकार हम कभी उन्नत नहीं हो सकते। इस दोष के रहते हम कोई भी उपलब्धि इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है दिलचस्पी नहीं पा सकते। आप यदि अपने देश को लेने के लिए बहुत सी अन्य चीजें हैं । आप प्रेम करते हैं. देश प्रेम यदि आपके हृदय में बच्चों को देखें. अच्छे-अच्छे लोगों को देखें। है तो कभी भी आप लालच नहीं करेंगे विश्व में बहुत से अच्छे लोग हैं, सुन्दर परन्तु उस प्रेम का अभाव है। वे प्रेम करते लोग हैं. सुन्दर चीजें हैं। बेंकार की चीजों हैं मेरी समझ में नहीं आता कि वो किसे पर क्यों चित्त बर्बाद करना है? ये तो आती प्रेम करते हैं! अपने बच्चों से वे इस प्रकार जाती रहती है । परन्तु आकर्षकतम चीज प्रेम करते हैं जीवन ही नष्ट कर देते हैं! प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। फ्रेम तो खराब है। लोग कहते हैं भारत सबसे भ्रष्ट असीम होना चाहिए। इतना असीम प्रेम कि देश है, परन्तु मैं नहीं जानती। मैंने कभी कि उस प्रेम से बच्चों का भी तो यहाँ विद्यमान है । मेरे विचार से भारत में स्थिति सबसे

ऐसा कुछ नहीं देखा। व्यक्ति को सच्चा होना चाहिए। आज जैसे अवसर पर यह है? देखें, हर समय वे क्या सोचते हैं-किस सोचना अत्यन्त शुभकर है कि आपके लिए प्रकार यह फैशन किया जाए? फैशन, क्योंकि धन का कोई मूल्य नहीं है। यह मूल्यहीन आपके पास यदि धन नहीं है तो आप वो है। और आपको आश्चर्य होगा कि आपको फैशन नहीं कर सकते। आजकल फैशन धन की कभी कमी न होगी। कभी नहीं। इतनी आम बात हो गए हैं कि सभी लोग सहजयोग में आपने यह स्थिति प्राप्त करनी फैशन के पीछे भटक रहे हैं। फैशन तक आत्महत्या क्यों करते? उनका क्या लाभ है कि धन का कोई मूल्य नहीं। धन में यदि वे नहीं पहुँच पाते तो वो सोचते हैं कि कोई रुचि नहीं। आपका वैभव तो इस बात उनमें कोई कमी है। परन्तु आप लोगों पर में है कि आप कितने लोगों को सहजयोग यह बात लागू नहीं होती क्योंकि आप में लाए, कितने लोगों को सहजयोग का सहजयोगी हैं। आनन्द प्रदान किया आपने इसे खरीदा नहीं था। किसी ने भी सहजयोग को खरीदना आपने क्या करना है? ऐसे लोगों पर दया नहीं है। यह तो सर्वत्र निःशुल्क प्रसारित करें उनका तिरस्कार न करें, उन पर है। ये आनन्ददायी है। धन से इसके दया करें। उन्हें बतायें कि “तुम क्या कर अतिरिक्त आप क्या पाने की आशा करते रहे हो? क्यों अपना समय बरबाद कर रहे हैं? कुछ नहीं। धन से तो केवल सिर दर्द, हो? आत्मसाक्षात्कार रूपी जीवन के भय और सभी प्रकार की समस्याएं आती महानतम लक्ष्य को पाने का, आपके लिए हैं। अतः हमारे सहजयोग के समानान्तर चीजों के पीछे दौड़ रहे हैं? यह चूहा दौड़ स्वतन्त्र जीवन, पूर्ण स्वतन्त्रता एवं आनन्द दौड़ने के लिए आपको कौन विवश करता होना चाहिए। किसी चीज़ की चिन्ता न है?” हो। धन पर कुछ भी निर्भर नहीं। मैंने अत्यन्त निर्धन अवस्था में रहने वाले लोगों और लोग इसके विषय में सोच रहे हैं । को भी अत्यन्त प्रसन्न एवं आनन्दित देखा परन्तु आप ही वह लोग हैं जो समाधान दे है । और जिन लोगों के पास बेशुमार दौलत सकते हैं। आप इसे बहुत ही विस्तृत स्तर है, विशेषतः विदेशों में, उन्हें उदासी और पर कार्यन्वित कर सकते खिन्नता से पीड़ित पाया है। वहाँ बड़ी अजीब स्थिति है। वहाँ लोग आत्महत्या ऐसे लोग देखे हैं जिनके पास कुछ कर लेते हैं। क्यों? यदि धन ही सब कुछ वे आध्यात्मिक भी नहीं हैं। वे आत्मसाक्षात्कार होता तो इन वैभवशाली देशों के लोग भी नहीं दे सकते, कुछ भी नहीं दे सकते। आप यह सब घटित होते देखते हैं. अब यह सर्वोत्तम समय है। क्यों आप व्यर्थ की मेरे विचार से सर्वत्र यह पराकाष्ठा है कहने से मेरा अभिप्राय ये है कि मैंने नहीं।

परन्तु क्योंकि वे सामाजिक कार्य कर रहे और अधिक अभिव्यक्ति करें, अन्य लोगों हैं, इसलिए वे प्रसिद्ध हैं। सामाजिक कार्य से कार-व्यवहार करते हुए उस प्रेम की क्या है? गरीबों आदि की देखभाल करना अभिव्यक्ति करें। इस प्रकार से अपना प्रेम या ऐसा ही कोई और कार्य। जब आपका अभिव्यक्त करें कि अन्य लोगों को इससे प्रेम जो कि इतना महान है, प्रभावशाली है, खुशी मिले। इसके विषय में विचार किया कार्य करने लगता है तो आप में यह भाव जाना चाहिए। आप यदि सच्चे सहजयोगी आता है कि आप कुछ करें। ऐसी स्थिति हैं तो किस प्रकार परस्पर झगड़ सकते हैं? जब आएगी तो. आप हैरान होंगे, किस यदि वो सहजयोगी हैं तो किस प्रकार आप उनका अपमान कर सकते हैं? आप यदि अभी तक सहजयोग ठीक है, लोग बहुत सहजयोगी हैं तो कैसे आप धोखा दे सकते अच्छे हैं, बढ़िया हैं, सन्त-सुलभ हैं. सभी हैं? यह सम्भव नहीं है इन चीज़ों में कुछ है। परन्तु इसका प्रभाव दिखाई पड़ुना आपकी रुचि नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने चाहिए, आपके प्रेम का प्रभाव लोगों को का अर्थ ये होगा कि आपका समाधान हो है । गया है, आप स्वच्छ हो गए हैं और अब आपको क्षमा करना है। लोग अत्यन्त मूर्ख आप निर्मल हैं। कोई आपको छू नहीं सकता। इस प्रकार का दृष्टिकोण होना चाहिए। कितने मूर्ख हैं! अतः किसी चीज़ की चिन्ता अपने प्रति आपमें सम्मान भाव होना चाहिए। करने की आवश्यकता नहीं है। आप यदि आपकी भूमिका क्या है? आपका पद क्या विवेकशील व्यक्ति हैं तो विवेक पूर्वक हर है? आप को ज्ञान होना चाहिए कि आप चीज़ को परखें तथा फैशन आदि के शिकंजे आत्मसाक्षात्कारी हैं और आत्मसाक्षात्कारी । समूह बिल्कुल न बनाएं। इसकी व्यक्ति के रूप में अपने कर्त्तव्यों का ज्ञान कोई आवश्यकता नहीं हैं हम सहजयोगी आपको होना चाहिए। अन्य पागलों की हैं। हम आत्म-निर्भर हैं। हमें किसी चीज़़ तरह आप चूहा-दौड़ नहीं दौड़ रहे और न की आवश्यकता नहीं। आप यदि एक हैं तो ही किसी प्रकार की प्रतियोगिता में भाग ले से हैं तो रहे हैं। आप प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं ले रहे प्रकार लोग सहजयोग को समझते हैं! दिखाई देना चाहिए। सर्वप्रथम ‘क्षमा हैं। अभी मैंने आपको बताया है कि लोग में न फसे हम सब ठीक हैं। आप यदि बहुत । आप तो बस अपने प्रेम तथा आशीवाद से अब आप लोग जान लें कि आपने एक उन्नत हो रहे हैं। मैं जानती हूँ कि किस अत्यन्त उच्चावस्था पा ली है। आपने प्रकार आशीर्वाद कार्य करता है। परन्तु परमात्मा के उस प्रेम को, उस अनन्त प्रेम सर्वप्रथम आपको इस आशीर्वाद के योग्य बनना होगा अन्यथा कोई सहायता नहीं अतः अपनी दिन-चर्या में उस प्रेम की कर सकता। केवल आपका प्रेममय स्वभाव भी हम ठीक हैं। को छू लिया है ।

सहायक हो सकता है। इसी लिए ईसा सहायता करें तो, मुझे पूर्ण विश्वास हैं, मसीह ने कहा था कि परमात्मा के साम्राज्य सहजयोग बहुत से ऐसे कार्य कर सकता में प्रवेश करने के लिए आपको बाल-सुलभ है जो हम अभी तक नहीं कर पाये। होना पड़ेगा। बच्चे कितने अबोध, कितने सहज होते हैं। छोटी-छोटी चीजों से वो क्या कहा है। इसके विषय में सोचें । आपको रीझ जाते हैं। उन्हें किसी विशेष चीज की अन्तर्अवलोकन की आश्यकता है, सूझ-बूझ आवश्यकता नहीं होती कितनी आश्चर्य की आवश्यकता है “सहजयोगी के रूप में की बात है कि किस प्रकार हमारा प्रेम जो मैंने अपने जीवन में क्या किया?” तब आप कि दिव्य प्रेम से ज्योतित है, पूरे विश्व को जान पाएंगे कि आप बहुत कुछ कर सकते परिवर्तित कर सकता है। किस प्रकार मुझे हैं-बहुत कुछ। यही सब कार्य होते हैं। यह विचार आया और किस प्रकार ये समृद्ध अब घर पहुँच कर आप सोचें कि मैंने परमात्मा आपको धन्य करें। हुआ? इस कार्य में यदि आप सब मेरी