Adi Shakti Puja (Hindi). Jaipur (India), 11 December 1994.
[Original transcript Hindi talk, scanned fromo Hindi Chaitanya Lahari]
आज हम लोग आदिशक्ति का पूजन कर रहे हैं। जिसमें सब कुछ आ जाता है। बहुत से लोगों ने आदिशक्ति का नाम भी नहीं सुना। हम लोग शक्ति के पुजारी हैं, शाक्तधर्मी हैं और महामाया स्वरूप था। आदिशक्ति को महामाया स्वरूप होना जरूरी है क्योंकि सारा ही शक्ति का जिसमें समन्वय हो, प्रकाश हो और हर तरह से जो हरेक शक्ति विशेष कर राजे-महाराजे सभी शक्ति की पूजा की अधिकारिणी हो उसे महामाया का ही स्वरूप करते हैं। सबकी अपनी-2 देवियाँ हैं और उन लेना पड़ता है। उसका कारण ये है कि जो प्रचण्ड शक्तियाँ इस स्वरूप में संसार में आती सब देवियों के नाम अलग-2 हैं। यहाँ की देवो का नाम भी अलग है, गणगौर। लेकिन आदिशक्ति हैं. सबसे पहले सुरकभि के रूप में आई थी ये का एक बार अवतरण इस राजस्थान में हुआ जो शक्ति, जो एक गाय थी। उसमें सारे ही देंबी वो सती देवी के रूप में यहाँ प्रकट हुई। उनका देवता बसे हैं और उसकोे बाद एक बार सती बड़ा उपकार है जो राजस्थान में अब भी अपनी देवी के रूप में, एक ही बार इस राजस्थान में अवतरित हुई। मैंने आपसे बताया कि मेरा संबंध संस्कृति, स्त्री धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, राजधर्म हरेक तरह के धर्म को उनकी शक्ति ने इस राजस्थान से बहुत पुराना है क्यांकि हमारे पूर्वज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सिसौदिया वश प्लावित किया, Nourish किया। सती देवी की गाथा आप सब जानते हैं। मुझे नए तरीके से बताने की ज़रूरत नहीं; पर वे स्वयं गणगौर थीं। उनका विवाह कर दिया गया के थे। आदिशक्ति की अनंत शक्तियाँ हैं और ऐसी कोई शक्ति नहीं जो उनके पास नहीं। परन्तु विवाह करके जब वो जा रही थीं तब कुछ गुण्डों ने घेर लिया और उनके पति को भी मार दिया। तब पालकी से बाहर आ कर उन्होंने लेकिन उन शक्तियों को छिपा कर ही रखना पड़ता है। उसके दो कारण हैं। एक तो कारण ये कि लोग गर जान जाएं कि ये आदिशक्ति हैं तो क हर प्रकार के लोग उन पर प्रहार कर सकते हैं अपनी रूद्र रूप धारण किया और सबका सर्वनाश क्योंकि ये लोग सब बिल्कुल दुष्ट हैं, जाहिल है करते हुए खुद भी उन्होंने अपना देह त्याग दिया। इसमें जो विशेष चीज़ जानने की है कि बचपन से शादी होने तक किसी भी हालत में उन्होंने नाम पर पैसा कमाते हैं और उसका दुर्व्यवहार अपना स्वरूप किसी को बताया नहीं क्योंकि वो करते हैं । ये सारे ही लोग गर जान जाएँ कि और परमात्मा के विरोध में खड़े हैं। भगवान के
Original Transcript : Hindi आदिशक्ति संसार में आई हैं तो या तो भाग खड़े होंगे या सब जुट कर के ये कोशिश करेंगे कि किसी तरह से आदिशक्ति का कार्य इस कलयुग में हो न पाए। उसके लिए बहुत जरूरी है कि आफिसर, उनके दिमाग में आया कि आज तक कोई अंग्रेज सीधी-सादी हमारी हिन्दी भाषा नहीं बोल सकता तो ये कौन माई का लाल निकला है जिसने गीता को लिखा है संस्कृत में कुछ तो महामाया का स्वरूप ले लिया जाए। दूसरा इस गड़बड़ होगी। तो उन्होंने एक किताब खोली तो देखा कि उसमें व्हिस्की! समझ गए, सारी किताबों स्वरूप से एक बड़ा गहरा काम, सूक्ष्म काम करना है जो कभी भी किसी ने आज तक नहीं के अंदर व्हिस्को और ऊपर से गीता। तो मतलब ये कि गीता बहुत उच्च चीज़ है हिन्दुस्तानियों के लिए. गीता का नाम लेते ही चाहे वो कुछ जाने या ना जाने, माथे पर लगा लेते हैं। लेकिन… किया। वो है सामूहिक चेतना। सामूहिक तो छोड़िये, एक ही आदमी को पार कराने में लोगों को सालों लग जाते हैं। इस कार्य को करने में और बो भी बखूबी इस तरीके से कि किसी को कोई भी हानि नहीं पहुँचे। ऐसे ही जैसे नाव में बिठा करके आराम से दूसरे किनारे पहुँचाया जाए! मैंने कल भाषण अपने में बताया कि धर्म कितना विपरीत हो गया है। धर्म की बाते जिन्होंने करीं वो तो ठीक थे लेकिन जिनसे कहीं वो लोग अंग्रेजों में इस तरह से जो छिपाने की शक्ति हैं वो कमाल की है, कि गीता को इस्तेमाल करो । कोई सी भी समझ लीजिए यहाँ टेवल गदी हो गई तो उसमें फौरन हम प्लास्टिक विछा कर दूसरा टेबलक्लॉथ विछा कर उसको हम सुन्दर कर लेंगे और बार- बार मैं भी देखती हूँ कि गड़बड़ थे। सो उन्होंने धर्म को समझा नहीं. धर्म कहीं भी जाइये तो बहुत से पर्दे लगे होंगे मैंने को एक बड़ी भ्रान्ति में डाल दिया कि गर कोई कहा ये क्या है तो कुछ नहीं, कुछ नहीं। पदां आदमी यह सोचने लग जाए अपने धर्म के बारे हटाइये तो ऊपर से बहुत सारे गंदे कपड़े, ये वा। में तो वो भाग खड़ा हो जाए क्योंकि धर्म के नाम सी ऐव छिपाने की भी हमारे महामाया शक्ति में एक बहुत बड़ी त्रुटि है। क्योंकि ये लोग कही से हैं। कहीं तो स्त्रियों की अवहेलना, कहीं तो कुछ सीख कर आए ही होंगे। चाहे हमने नहीं के पीछे जो-जो तौर तरीके हैं वो बहुत भयंकर बच्चों का दमन, तो कहीं लूटमार। हर तरह के सिखाया हो पर किसी ने तो सिखाया ही होगा गलत काम धर्म के नाम पर होते हैं। एक बार कि ये ऐव अपने कैसे छिपाए जाएँ और छिपा के बंबई में बहुत सी गीता छप करके बाहर से उसको कैसे पचा लिया जाए। जो हमारे ऐैब हैं आई. तो लोग बड़े खुश हुए कि अब हमारी उसको हटाने के लिए हम प्रयत्नशील नहीं होते। उसको छिपाने में प्रयत्नशील होते हैं दूसरों के ऐैव देखने में हम बड़े होशियार होते हैं। अब ये बिल्कुल विपरीत बात है। गीता लंदन में छपने लगी। इससे बढ़ करके और क्या बात होगी! हिन्दुस्तानी तो वैसे ही अंग्रेज के पैर पे लोटता रहा और अब गीता अगर वहाँ छप और गई तो हिन्दुस्तानियों ने सोंचा वाह-2, कि वाह महामाया की शक्ति इसलिए बनी है और क्या कमाल हो गया! पर एक कोई थे कस्टम विकीर्णित हुई कि आपके अंदर जो दोष हैं 3
Original Transcript : Hindi वो निकाले जाएँ और उसको अपने शरीर में आत्मसात किया जाए की पकड़ का मतलब क्या है? सबसे पहले तो आप अपने Past के बारे में सोचते रहते हैं। और फिर उसकी सफाई की जाए। दूसरी बात कि मेरे बाप ये थे और मेरे बाप के बाप ये थे, ये सोचते रहते हैं। नसीब है उनको था शुरू-2 में। लेकिन ऐसे कोई खास ऐव वाले अपना पूर्वजन्म याद नहीं आता, पर ये पूछेगे माँ लोग आए नहीं मेरे पास जो कि मुझे बड़ा दु:ख मैं पूर्वजन्म में कौन था? अब मैं एक साहब ने उठाना पड़े, सही बात तो ये है। वो लोग मुझे मुझे बहुत तंग किया मैं पूर्वजन्स में कौन था, देखते ही भाग जाते हैं शायद इसलिए ये मेरे कौन था? फिर मैंने कहा देखो बेटे मैं तुमको सामने कभी प्रश्न खड़ा नहीं हुआ। पर आश्चर्य नहीं बता रही हूँ तो इसका मतलब कुछ गड़बड़ी की बात है कि जो लोग भूत से ग्रसित हैं या है । क्यों मुझसे पूछ रहे हो? इस जन्म में अच्छा जो लोग हमेशा बुरे काम करते हैं और जो है तुम मेरे साथ हो। क्यों मुझे बार-बार पूछ रहे लोग गुरूघंटाल हैं वो सब मुझे अच्छी तरह हो? इस जन्म में अच्छा है तुम मेरे साथ हो। से जानते हैं, ना जाने कैसे! या तो उनकी क्यों मुझे बार-2- पूछ रहे हो कि में पूर्वजन्म में ये कार्य बडा कठिन है, ऐसा मुझे लगता आंखें पीछे की ओर हैं या जो भी कहिए वो कौन था। उससे तुम्हारा क्या लाभ होने वाला है। मुझे पहले पहचानते हैं। सहजयोगी नहीं पहचान नहीं मुझे अच्छा लगेगा । अच्छा अगर मैंने कहा पाते। हो सकता है उनकी आंखें चकाचौंध हो कि तुम पूर्वजन्म में जयपुर के महाराजा थे, जाती हों, मुझे समझ में नहीं आता। पर आप किसी भी भूत ग्रस्त आदमी को ले आइये। वो वहाँ जाओगे तो वहाँ से भगा देंगे सब। तो थर-धर काँपने लगेगा और ऐसा भागेगा कि सोचे पूर्वजन्म की बात क्यों करते हो? क्योंकि मुझे समझ लो, तो तुमको क्या गद्दी मिल जाएगी? जैसे किसी ने हंटर मारा है। लेकिन सहजयोगियों एक ज्योतिषी ने बताया था कि मैं पूर्वजन्म में का ऐसा नहीं। उनको पहचान भी इतनी नहीं है। कहीं का राजा था? मैंने कहा लक्षण तो दिखते अच्छी बात है, क्योंकि आदिशक्ति का एक नहीं तुम्हारे अंदर राजा होने के। अब तुमको स्वरूप जो महाकाली का है उसे आप देख लें तो ज्योतिषी ने बताया, तुमसे पैसे ऐंठने के लिए। वो यूरा गया काम से, भयंकर है, ये देख सकते तुमने राजा जैसे कुछ गले का कंठा वंठा दिया हैं! हाथी-आथी भी देख सकते हैं। घोड़े भी देख उसको कि बस ऐसे ही पैसों में टाल दिया ? सकते हैं। पर बाकी किसी को दिखाना बड़ी उन्होंने कहा कि आप मज़ाक कर रहे हैं । मैंने कठिन बात है। न जाने यहाँ-कितने लोग बैठेंगे? कहा कि तुम बेवकूफी की बात कर रहे हो तो लेकिन महाकाली का स्वरूप होना बहुत में क्या करू? यहाँ तुम अपनी पूर्वजन्म पूछने के लिए मेरे पास आए। मैं कोई ज्योतिष शास्त्र तो जरूरी है। जब तक महाकाली प्रकट नहीं होती। आपके अंदर बसी बाई ओर (left side) की जानती नहीं हूँ। मुझे इसमें कोई भी, किसी भी तरह की दिलचस्पी नहीं है। तुम ज्योतिष शास्त्री पकड़ जा नहीं सकती। बाई ओर (Left side) 4
Original Transcript : Hindi के पास जाओ और बो तुमसे कहेगा, तुम इंग्लैंड उन्होंने कहा ये महाशय जो हैं, इनका नाम में के राजा थे तो दे दो उसको कुछ। इंग्लैंड के नहीं वताऊँगी, ये डाक्टर साहब हैं और ये भागे राजा वगैरह कुछ नहीं देते बैसे। उधर के लोगों हुए हैं आनंदमा्ग से। तो कहने लगे आपको आश्चर्य होगा माँ, ये आनंदमार्ग के बड़े भारी बैठ गए कि पिछले जन्म में मैं ये था और प्रचारक थे। दुनिया भर में घमे, खूब पैसा कमाया और फिर इनके गुरु जो थे वो इनको अपना आद्य शिष्य मानते थे। तो हुआ क्या? ये कलकत्ते में देवी के मन्दिर में थे। जहाँ बकरा काटा जाता में विश्वास ही नहीं । अब इसी बात को ले कर पिछले जन्म में बो था। तब महाकाली का स्वरूप अगर दिखाएँ तो सारे ही जन्म भूल जाएँगे! इसकी बहुत जरूरत है। महाकाली के स्वरूप के सिवाय ऐसे पागल छूट नहीं सकते। अब मैंने देखा कि जो भागे तो फिर आए है। ये बात तो सही नहीं। वो बकरा इसलिए काटते हैं देवी के सामने, कि उसके अंदर भूत नहीं। फिर उन्होंने सामना’ नहीं किया मेरा। अब ये तो बिल्कुल सोचिए कि बहुत छोटी सी बात डाल कर के, और जो भूतग्रस्त है उसका भूत से समें डाल कर के उसको उस भूत छुटकारा है। पर उसके अलावा महाकाली को जरूरत है हो। हम लोग तो नींबू पर ही उतार देते हैं। कि जिन लोगों को ये गुरूओं ने भूत लगा दिया शाकाहारी (Vegetarian) अपना तो सब मामला। है। अब गुरूओं के भूत ऐसे होते हैं कि या तो क्योंकि बहुत से बनिए आ गए हैं न सहजयोग आप गुरु का कहना मानो और बिल्कुल उनके में सो नींबू को काट करके निकल जाता है भाग जाता है। तो ये जो भूतग्रस्त लोग हैं उनके भूतों को महाकाली दिखाई देती है। वही रूप डालो, तो उसको मार डालों। ये करो, तो वो दिखाई देता है और थर-थर-थर-थर कॉपते हैं ऐसे और कोई कहेगा? अब ये क्यों थर-थर काँप रहे हैं? और अनेक तरह के भूत लग जाते आपके पीछे। आपसे कहा किसी को मारो। हैं और आश्चर्य मुझे लगता है कि अहँ (Ego) जैसे हो जाओ। वो कहें तुमसे कि जा कर उनके घर में डाका डालो, तो डाका डालो। उसकी मार करीं। एकदम गुरु की हाथ में आप शीष नवा करके घूमो तो ठीक है नहीं तो गुरु लग जाएगा उसको नहीं मार सके तो दूसरे से कहेगा। इसी को मार डालो। एक अच्छी बात भी है। ऐसे झूठे का अगर भूत लग गया तो उसको भी महाकाली का रूप दिखाई देता है। गुरु एक तरह से अपना और अपने शिष्यों का ही नाश करते रहे लेकिन यहाँ देखती हूँ कि हो रहा था तो उन्होंने कहा कि माताजी तो ब्राह्मण नाश हो रहा है तो भी उन्हों के चरणों में चले नहीं हैं, तो हमारे यहाँ पर प्रोग्राम नहीं हो सकता। जा रहे हैं! हमारे यहाँ एक साहब पुलिस के साथ आए। मैं शायद अशोका होटल में थी। तो मेरे कार्यकर्त्ता थे उन्होंने कहा, अच्छा ठीक है, हम पति ने कहा, ये क्या झगड़ा है? पुलिस काह पेपर में दे देते हैं कि माता जी ब्राह्मण नहीं है आई? मैंने कहा पता नहीं, देखो तो सही। तो यहाँ प्रोग्राम नहीं हो रहा | दूसरी जगह प्रोग्राम और पूना का किस्सा। पूना में एक प्रोग्राम प्राग्राम जो ब्राह्मण होगा चो ही आए। तो वहाँ के जो 5
Original Transcript : Hindi करते हैं। ना-ना. ना-ना ऐसा नहीं करो। ये रही, तो उसने कहा कि इतनी महँगी कैसे हो हमको नहीं दिखाना है, यहीं करते हैं प्रोग्राम। गई? एक रु. की 10 रु. में! उसने कहा कि मुझे किसी ने कुछ बताया नहीं तो मैंने कहा एक माता जी आई हैं वो हौंडिया, हॉंडियों पे अच्छा आप लोग. पता नहीं कैसे ये दिमाग हैडिया, सब बिक गई। ये सब लोग हँंडियां लिए में आया? आप में से जो कोई ब्राह्मण है मेरी ओर चल पड़े। में हाथ करे दोनो ऐसे, अब उनके लगे हाथ हिलने! अरे माँ बंद करो बंद करो माँ! आप शक्ति हों, मैने कहा पूना इतने भूत, बाप रे! कुछ समझ में ही नहीं आया। मैंने कहा हॉडिया ले के हो? मैंने तो नहीं आओ, नींबू ले के आओ तो वैठे। पर वो नहीं लाए. उनकी आँखें लगी घूमने, वो लगे घूमने। मैं तो उठ के चली गई कि तो सारा यहाँ भूतों का जमघट है। जो लोग हाडया ले के बैठे थे वो तो छोड़ो। कहा, अपने आप ही हिले जा रहे हो! मैंने कहा था तुमसे हिलने को। मुझे क्यों कह रहे हो? तुम लोग क्यों हिल रहे तुम्हीं रोको? रुकता ही नहीं, करें क्या? तो मेंने कुछ ठीक थे पर बाकी के जो थे बो खडे हो कर के हो हो, हा हा. ही ही करने लगे। तो मैंने कहा कि भई ये गर महाकाली की शक्ति कुछ कहा मेन तो नहीं कहा। यर पता नहीं क्यों बड़ा भय लग रहा है, पता नहीं क्या हो रहा है? अब उनको ये घमण्ड था कि वो बड़े ब्राह्मण हैं। तो कम हो जाए तो अच्छी बात है। अब ये एक कहने लगे माँ उधर भी कुछ ब्राह्मण बैठे हुए हैं चीज ठीक करने के बाद दूसरे आ गए। माने उनके भी हाथ हिल रहे हैं। मैंने कहा झूठ, जरा उनसे पूछो वो लोग कीन हैं। ब्राह्मण है? अरे कौन जिसको आप साइको-सोमेटिक कहते जैसे कैंसर, मस्कुलर, ये वो दुनिया भर की बीमारियाँ जिसको डाक्टर लोग नहीं ठीक कर सकते । अच्छा मानेंगे नहीं, डॉक्टर मानते नहीं जब तक नहीं बाबा हम लोग ब्राह्मण नहीं हैं। हमे लोग प्रमाणित (Certified) पागल हैं, थाना से आए है। वहाँ पर आपकी माताजी के पास जा कर रोगौ मर नहीं जाएगा। खींचो पैसे। एक साहब को हैं। हम लोग ब्राह्मण नहीं हैं। अब उनके आँखें गुर्दा रोग (Kidney trouble) हो गया तो मैंने कहा मैं आपकी किडनी ठीक कर दूँगी। एक एक पागल ठीक हो गया था। इसलिए हम आए खुलो। मेंने कहा समझ गए आप। वो भी पागल शर्त ये है कि आप अपना धंधा बद करिये कि और आप भी पागल। दोनों ही पागल। तब उनके जो लोगों को ये जो आप टैेबलों पे चढ़ा-चढ़ा के हाथ छूटे। शुरुआत में तो बहुत ज्यादा महाकाली सारा पैसा खींचते हो उससे वो ठीक नहीं होता। का प्रताप है। कुछ समझ ही में नहीं आता था कि ये महाकाली जी अपना प्रताप कुछ कम करें मरने से पहले Bankrupt हो जाता है। Dialysis बंद आप करो तो मैं तैयार हूँ। हाँ-हाँ माँ आप तो में दूसरे भी काम करू। पूना में तो ये हाल मेरी किडनी ठीक कर दो। ठीक कर दी पर दो हो गया कि मेरी एक भर्तीजी (Neice) है उसे मैंने कहा कि एक हॉडिया ले आओ। तो बाज़ार महीने बाद फिर चालू उनकी दुकान। डाक्टर हैं और कब झूठ बोलते रु. में बिक लोग कव सच बोलते गई. ता एक रुपये की हँडी 10
Original Transcript : Hindi जरूरी है नहीं तो ये भगवान जाने। फिर उनको Kidney Trouble स्वरूप और वो रुद्र बहुत Negativity भागने वाली नहीं है। ये सिर्फ रुद्र स्वरूप से ही। एकादश रुद्र में जो ।। रुद्र हैं वो हो गई। वो मैंने कहा साहब इस बार क्या हुआ? कहने लगे फिर से Kidney Trouble है। मेंने कहा वो नहीं है अब Cancer चल पड़ा है। ग्यारह ही रुद्र में महाकाली की ही शक्ति विराजमान है। और वो हमारे मेधा पर यहाँ ग्यारह चक्रों में समाई हुई हैं। गर किसी आदमी अब घबड़ा गए। मैंने कहा मैंने आपसे कहा था। आपने फिर से चालू कर दी अपनी दुकान। अब माँ मैं रुपये की पेट कैसे भरूगा? मैंने इतने मशीनरी मँगवाई है. ये कर रहा हूँ, वो कर रहा तो कैसर या कोई न कोई left sided भयंकर हूँ। मैंने कहा का एकादश पकड़ गया तो सोच लीजिए उसको है। बेच डालो मशीनरी को खत्म करो। TIS I incurable Disease सुना है वो अब हैं नहीं महाराज सहजयोग में तो सारी जितनी left side की बीमारियाँ हैं, जितनी सहजयोग का Science जो हैं वो पूरी तरह से उत्तम है। उसमें कोई आप दोष नहीं निकाल सकते। अब लोग आए कैंसर लेकर, हैं साइको-सोमेटिक Disease जिसका कोई Cure नहीं है वो सब महालक्ष्मी की कृपा से ही ठीक हो सकती है। इसीलिए महालक्ष्मी का ही मंत्र कहना पड़ेगा और महालक्ष्मी को जब तक आप Neurosis, फलाना ढिकाना, पचास तरह के एड्स, और कहने लगे कि माँ हम तो कभी किसी गुरु के पास गए नहीं। अरे भई गुरु के पास गए नहीं, तुम्हारी माँ गई होगी। तुम्हारे बाप गए होंगे नहीं बो भी नहीं हुआ हाँ रजनीश की किताबें पढ़ो थीं और सत्य साई बाबा का फोटो हमारे घर में है। और एक दो देख लो मैंने कहा। दो चार और बीमारियाँ आ जाएंगी। फिर आना । वहाँ जाएँगे। बीमारियाँ पकड़ेंगे और यहाँ आएँगे। प्रकट नहीं करियेगा ये बीमारियाँ ठीक नहीं हो सकतीं। और इतनी गर्मी इन लोगों से निकलती हैं कि समझ में नहीं आता! London में जबकि सब लोग हीटर लगाते हैं आप एक कैंसर Patient को ले आइये और उसकी कुण्डलिनी जागृत कर दीजिए। हीटर का खर्चा गया। इतनी गर्मी निकलती हैं। जिसकी तो उन पर तो रुद्र स्वरूप ही देवी का दिखना कोई हद नहीं। इधर गर्मी निकलती है उधर वो चाहिए ना क्या भूतों से कहा जाए कि आ रोते रहते हैं अक्सर, क्योंकि इसके साथ रोना वैठ-बैठ, तू खाना खा, ले पान। बहुत से लोग चलता है। महालक्ष्मी के दर्शन हों तो रोना रुके। पूछते हैं कि माँ देवी का रुद्र स्वरूप कैसे हो माँ सरस्वती के दर्शन तो दूर ही रहे, ये तो माँ सकता है? गर वो माँ है तो माँ का स्वरूप रुद्र काली के ही दर्शन होंगे। अब उनको देखकर कैसे हो सकता है? क्यों नहीं। बच्चों को ठीक रोना ही आएगा। अब उनसे कहें क्या? सूक्ष्म करने के लिए रुद्र स्वरूप भी धारण किया। रूप से आप देखिये कि महालक्ष्मी का जो सौम्य स्वरूप, ये बच्चों के लिए हानिकर जाना स्वरूप है। अति रौद्रा। देवी के उसमें कहते हैं अतिरौद्रा अतिसौम्या पर महालक्ष्मी अतिरौद्रा। रुद्र जा सकता है उनका रुद्र स्वरूप बहुत जरूरी है। उसके 7 शe ihe ho
Original Transcript : Hindi सिवाय वो ठीक ही नहीं हो सकते। परन्तु रुद्र स्वरूप में किसी को हानि नहीं पहुँचाई। ये विशेष बात है। जैसे कि पहले महाकाली ने जो स्त्रीत्व था बो तो कम हो ही जाता है। पुरुषत्व ज्यादा आ जाता है। स्त्रीत्व कम आ जाता है। और स्त्री का जो सबसे बड़ा गुण है शालीनता वो खत्म हो जाता है। वो शालीनता जो स्त्री का स्वरूप है उसको रणांगन में जाने की जरूरत नहीं है। पद्मिनी ने इसको मारा, उसको मारा, इसकी जीभ खींची, ये किया, एसा कुछ नहीं। आज का जो महाकाली का स्वरूप है वो है रुद्र। इसकी कोई जरूरत ही अपने को 3000 ऑरतों के साथ चित्तौड़गढ़ के किले पर ही जला लिया था। वो कोई तलवार नहीं, ये सब करने की। मनुष्य एसे ही घबड़ा कर के ठीक हो जाता है। उस स्वरूप को देखते ही ठीक हो जाता है और जब वो उस स्वरूप लेकर बाहर नहीं गई। यर जब जरूरत पड़ी तो को देखता है अपने आप उसकी बीमारियाँ ठीक झाँसी की रानी हाथ में तलवार ले कर खड़ी हो हो जाती हैं क्योंकि उसके अंदर जो Negative गई! तब मुझे याद है अंग्रेज ने कहा था कि चीज़ है वो भाग जाती है। तो किसी की गर्दन हमारी तो विजय है लेकिन गौरव तो झाँसी की काटने की या जीभ काटने की या आँख निकालने रानी का है। अपने देश में अनेक तरह की की कोई जरूरत नहीं है। माँ काली का स्वरूप उज्जवल चरित्र वाली औरतें हुई हैं। पति परायण गर इस्तेमाल ही न किया जाए तो सहजयोग का र्त्री धर्म में अत्यंत उच्च ऐसी औरतें हो गई कार्य हो न हो सके क्योंकि Negative forces जिन्होंने अपनी सूझबूझ से अपना घर संभाला। के कारण सारे चक्र पकड़े जाते हैं और चक्र ठीक किए बगैर कुण्डलिनी चढ़ेगी नहीं। इसलिए चूड़ियाँ व सब जेवर निकाल दिए। राणा प्रताप जब गाँधी जो ने ललकारा तो औरतों ने अपनी माँ काली का स्वरूप बहुत वंदनीय है, बहुत का हो किस्सा है कि राणा प्रताप ने देखा कि सराहनीय है जो कि किसी को शारीरिक, उसकी लड़की की घास की बनाई हुई रोटी भी मानसिक, बौद्धिक, किसी भी प्रकार की एक विलाव उठा कर ले गया. हानि नहीं पहुँचाती। सिर्फ उसके स्वरूप से जो तो उनके मन में ये शंका हुई कि मैं क्यों ऐसा कर रहा हूँ, अपने अहंकार के लिए? मैं अकबर की शरण क्यों नहीं जाता? तो वो चिट्ठी लिखने बेठे अकबर बुरी बातें हैं वो भाग जाती हैं। अब मियाँ- बीबी के झगड़े ये सबसे बड़ा प्राब्लम है। आजकल क्योंकि बीवियाँ पढ़ गई को। उस वक्त क्षत्राणी, उनकी पत्नी की शक्ति और मियाँ चाहते हैं कि बीवी बिल्कुल देहाती हो। अब वो देहाती तो है कैसे बनाएँगे? एक बार शहरी हो गए, तो शहरी हो गए। चाहे आप लँहगा पहन लीजिए और चाहे आई है। तब राणा प्रताप की आँखें खुली। तो आप पैट पहन लीजिए। दिमाग तो शहरी हो गए। अब जो शहरी दिमाग हो गए तो उसके बाद पिछलो बात सोचे कि रणांगन में अपने पतियों ा। जागृत हुई। हाथ में भाला ले कर उसने अपनी नही, उसको देहाती लड़की पर लगाया और कहा कि में तुझे मार डालती हूँ जिससे ये जो कमजोरी इनके अंदर हमारे यहाँ औरतों ने गर सोचना ही है तो ০
Original Transcript : Hindi हँसी में टाल दे और हँस कर के हज़ारों प्रश्न की को टीका लगा कर वो लड़ने भेजती थी। इन अंग्रेज़ों से कौन लड़े आदमी? पर शक्ति औरतों की है। क्योंकि आजकल औरतें समझने के लिए मैंने कहा था आप शरदचन्द्र हल कर दे। ये जो बारीकी होती है इसको अशक्त हो गई और आदमी भी नि:शक्त हो गए। पढ़िए। उसमें सबकी नोंक-झांक औरते कैसे ये शक्ति जो है ये स्त्री की शालीनता है। और संभालें? ये होशियारी की बातें हैं। हम लोगों को वाता जब तक ये शालीनता क्रियान्वित नहीं होती तो गृहलक्ष्मी की शक्ति उसके अंदर प्रकटित ही नहीं होती। लेकिन चतुर होना चाहिए। गृहलक्ष्मी को चतुर होना चाहिए और दूसरे उसमें सूझबूझ होनी चाहिए। सो ये कहें कि जब महाकाली शक्ति अत्यंत शांत हो जाती है तो वो गृहलक्ष्मी हो जाती हैं । महाकाली शक्ति। तो हम फातिमा बी को मानते हैं कि वो गृहलक्ष्मी का सिंहासन सुशोभित करें। महाकाली की इस शक्ति से स्त्री अपने बच्चे को ठीक रास्ते पर रखती है। अपने Politics में जाने की जरूरत नहीं, और इस गंदे Economics में तो जाने की विल्कुल भी जरूरत नहीं। लेकिन समाज की सारी धुरी, समाज का सारा कार्य स्त्री पर निर्भर है। जो स्त्री अपने बच्चों को अच्छा बनाती है, अपने घर की अच्छा बनाती है. अपने पति को स्वास्थ्य देती है वो स्त्री एक बहुत बलिष्ठ समय बनाती है। और कल मैंने कहा भी कि हमारे हिन्दुस्तान की औरतों की जह से ही आज हमारा समाज ठोक है। पर स्त्री का स्वभाव शालीन होना चाहिए और उनकी शक्ति भी साक्षी हैं कि एक पतिव्रता स्त्री के शालीनता में है। उद्यमता में नहीं है। उसकी दंड पतिव्रत को कोई नष्ट नहीं कर सकता क्योंकि ठोकने की ज़रूरत नहीं है। बिल्कुल नहीं। उसकी ये शक्ति है। ये महाकाली की शक्ति है, लोग जो शालीनता है उस शक्ति पर वो सारी दुनिया डरते हैं एक पतिव्रता स्त्री से। और पतियों को को जीत ले। उसकी चाल-ढाल. उसका ढंग चरित्र को उज्जबल रखती है और हम लोग इस चौज के भी जान लेना चाहिए कि उनके अंदर जो कार्य एक देवी स्वरूप होना चाहिए। वो महाकाली शक्ति है वो भी स्त्री से ही आती है। और वो शक्ति है। वो अनेक चीजों में बैठती हैं। उसके शक्ति गर स्त्री से आती है तो स्त्री में पहली अपने-अपने वाहन हैं लेकिन वो जब हाथी पर चीज़ शालीनता है या नहीं। गर स्त्री जबरदस्त है, बैठती है तो उसे ललिता गौरी कहते हैं। इधर बैठ, उधर बैठ, ये चल, वो कर, जी ऐसे कला, हावभाव उसके सब बहुत इज्जतदार सुन्दर अँगुली दिखाना शुरू कर दी तो, वो चुप। पति होते हैं। जरूरी नहीं कि आप घूंघट लें, का अधिकार है। लेकिन शालीनता से आप जीत ज़रूरी नहीं कि आप सर ढकें, लेकिन आँखों सकते हैं। उसमें चतुरता चाहिए। ये शालीनता के में शालीनता होनी चाहिए। शालीन बहुत लिए कोई किसी को मार-पीट चिल्लाना, कुछ बड़ा शब्द है इसमें बहुत सी चीजें समाई हुई नहीं। एक तो शालीन स्त्री में हास्यरस बहुत हैं। क्योंकि वो रुद्र स्वरूपा हैं उस रुद्र स्वरूपा को बहुत सौम्य स्वरूपा होना है इसीलिए कहा प्रस्फुटित होना चाहिए। किसी भी चीज़ को वो
Original Transcript : Hindi है कि आप घूंघट ले लो, सर ढक लो। बुका ले गए। देश के बारे में न जाने लोगों ने क्या-क्या लो क्योंकि आप महाकाली हैं। जो आपको देख लिखा? अब वो सब कविताएँ चली गई और ये सब गंदै फिल्मी गाने बजते रहते हैं। और गणेश आपको देखे वो ही खत्म हो जाए। आपके जी के सामने क्योंकि सुबुद्धि ही नहीं है मुनध्य सुरक्षण के लिए नहीं, Protection के लिए नहीं में सुबुद्धि नहीं है। वो बेकार के काम करते रहता है। बुद्धि से कुछ भी निकाल ले। इसमें ऊपर बुरी निगाह डाले वो भस्म हो जाए नष्ट हो सबसे बढ़ कर गर कोई है तो मैं कहूँगी ये फ्रायड। इससे बढ़ कर कोई औलिया मैंने देखा ही नहीं। निस्संकोच उन्होंने अपने विचार सबके ले वो हो भस्म हो जाए। जो बुरी निगाह से लेकिन जो दूसरे के लिए नहीं लेकिन जो आपके जाए। वो भस्म हो जाए। ऐसी ही ये महाकाली की महान शक्ति है। देखने में तो बहुत उज्जवल बहुत ही शालीन पर अंदर से, उसकी सामने रख दिए और सबने उसे मान लिया। अब शक्ति तो अंदर से क्रियान्वित होती है। तो मैं यहाँ नहीं आपको बताऊँगी क्योंकि यहाँ बताने महाकाली को लोग कहते हैं कि ये एक बड़ी लायक हैं नहीं उसके ग रुद्र शक्ति हैं माँ किन्तु इसकी शालीनता आप गंदे-गंद विचार वो तो अच्छा है हिन्दुस्तान में नहीं आए नहीं तो सब Tना। देखें तो आश्चर्य होता है कि क्या ये महामाया उसको काट कर फेंक देते। और उस आदमी हैं? तो ये महाकाली और इतनी शालीन जैसे का लिखा, एक line आप पढ़िए तो आप जान नववधु, वाह व्राह! ऐसी शर्मायगी ऐसे मीठे जायेंगे कि ये बड़ा हो बेशर्म आदमी है या भूत बोल बोलेगी जैसे फूल झड़ रहे हों! ऐसे प्यार है या राक्षस हैं। जो भी है, ये उसने अपनी करेगी कि विश्वास ही नहीं होता। लेकिन ये लेखनी का और बुद्धि का उपयोग किया है महाकाली की शक्ति है। इसको जिसने पा लिया उसको कोई न तो भूत छू सकता है। उसकी लिख दिया उन्होंने। अव सब जगह शुरु हो गई शारदा के विरोध में सब लिखा और कौन छुएगा. वो ही भूत को पकड़ेगा। और जो कि हममें तो साहब भक्ति है। हम चाहे जो स्त्री ऐसी होती है उसके एक नज़र से वो लोगों लिखें। आजकल के अखवार वाले भी वैसे ही हैं। उनके भी ऊट पटाँग जो समझ में आती है बात वो लिखते रहते हैं. और कोई अच्छी वात तो लिखना ही नहीं जानते। कौन मर गया कितने को भस्म कर सकती है। अब दूसरी शक्ति है महासरस्वती की जिससे की हमें बुद्धि में अनेक तरह को कलात्मक और अनेक तरह के विचारक प्रकाश आते हैं। मर गए? अभी मर रहा है, वो रोज़ देंगे। मर रहा है तो भई मर जाने दो फिर लिखो। भई काहे को रोज़-रोज सबको सताते हो। वो मरता ही नहीं है. सरस्वती की कृपा से। शारदा…शारदा की कृपा से हमारे अंदर अनेक विचार बड़े सुन्दर, बड़े शांत, बहुत शीतल, बहुत कविताएँ आती हैं पर रोने गाने वाली नहीं, ऐसी आती हैं कि जिससे रोज़ इतना सारा लिख देंगे। मरा नहीं, अभी मरता नहीं। एक बार मरने के बाद इत्मीनान से लिखो। मरने तो वाले हैं ही। अब क्यों रोज़-रोज़ ये सब आप जागरूक हों। बड़े-बड़े राष्ट्रीय गीत लिखे 10
Original Transcript : Hindi बातें। किसने पूछा है आपसे? फिर लिखेंगे. बोलते हैं ये लोग। डर नहीं उन्हें शारदा क्या है कि कृष्ण जो थे ये शूद्र धर्म के थे या क अशुद्र थे. काले थे और राम जो थे वो ब्राह्मण महाझूठ देवी का। शारदा देवी तो हैं सत्य को देने वाली धर्म के थे अरे मैंने कहा काहे…और इसलिए और सत्य की अधिष्ठात्री हैं। जो अपने सर में इनको शूद्र मानते हैं और उनको ब्राह्मण मानते सत्य का प्रकाश आता है वो शारदा का ही है। हैं। मैंने कहा अच्छा! ये कौन से शास्त्र में से आप जब लिखते हैं तो आप सोच नहीं रहे कि आपने पढ़ा? सच बात तो बताऊँ कि जवाहर लाल जी ने भी जो किताब लिखी हैं वो Discovery किसी और चीज की होगी। India आपके अंदर ये लेखन शक्ति कहाँ से आई। ये किसने आपको लेखन शक्ति दी है? शादा देवी ने या किसी भूतनी ने आपको दी है? इसी प्रकार मैंने देखा है। बहुतों ने ऊट-पटाँग कुण्डलिनी के बारे में बातें लिखी हैं। एक अरबिन्दो साहव हैं. वो तो बस पता नहीं कहाँ से कहाँ, कहाँ से कहाँ, कहाँ से कहाँ चले गए! कुछ उसमें अर्थ ही नहीं है, वो क्या लिखते हैं पता नहीं। उनका की Discovery नहीं। इतनी superficial इतनी ओछी किताब! ये हिन्दुस्तान की बात लिख रहे हैं । कोई गहराई नहीं उनमें। जो देखो वो किसी पे भी लिखना शुरू कर देता है! अभी तक मैंने कुछ नहीं लिखा। मैं सोचती हूँ सबकी खोपड़ी में जाए ऐसी बात लिखो। अभी तो सबकी खोपडियाँ इतनी जहाँ उसकी खोपड़ी गई वही लिखता गया, खुली नहीं हैं। और किसी ने भी नहीं लिखा। हाँ लिखता गया. लिखता गया। और कुछ भी उसमें मोहम्मद साहब ने तो कुछ भी नहीं लिखा। की बात सत्य नहीं। अब वो सावित्री की गाथा उनको तो लिखना ही पढ़ना नहीं आता था बेचारों गाई उन्होंने, अब सावित्री का ये अरे क्या करने को। चालीस आदमियों से उन्होंने बताया कि भई का है। और उनकी वो जो भी उनका रिश्ता रहा ये मुझका मालूम हुआ। Revelation हुआ ये हो, पता नहीं वो जो माता जी थीं वो पचासों तो ऐसे-ऐसे हैं। उनको भी लिखना पढ़ना नहीं आता बड़ा नाम है अरबिन्दों मार्ग। मैं हमेशा उस मार्ग से नहीं जाती क्योंकि पता नहीं कहाँं चला जाए? उनके मुँह पर शिकनें पड़ी हुई हैं और कहें ये था। तो चालीस साल तक कुछ लिखा नहीं गया। जवान होने वाली है। वो मर गई, गाड़ दिया तो भी अभी जवान तो हुई नहीं। और उनकी किताबों पे किताबें। ऊट-पटाँग ऐसे। ऐसे धर्म के ने जाने कितने लोग हैं। फिर आज के एक बड़ा दुष्ट आदमी था। उसका नाम था…कुछ ऐसा ही नाम था ये मेरे पिता ने मुझे बात बताई और अब ये पक्का है ये पता है ये सच है। उस महाशय ने बड़ा दुष्ट था। हज़रत अली को मारा उसके लड़के को मारा। उसके बाद खलीफा को मारा फिर दूसरे खलीफा को मारा और उसका intellectuals निकल आए हैं दूसरे हाल में मैंने पढ़ा एक साहब हैं अपने को बड़े भारी लेखक समझते हैं। नाम मैं भूल गई। पंजाबी हैं पंजाबी। जिंगर उसकी माँ खा गई। ऐसा ये गंदा आदमी। कभी उन्होंने संस्कृत पढ़ा नहीं होगा और लिखते व औरतों का वो….था। उसने कुरान को Edit 11
Original Transcript : Hindi किया। अब बताईये और कुरान-कुरान लिए गर आप पढ़िए तो आप कहानी लिखना शुरू घूमते हैं! इसकी authenticity कुछ है नहीं और कर देंगे। ऐसे-ऐसे लेखक अपने यहाँ हो गए इस भारत वर्ष में कि ऐसे कहीं नहीं हुए होंगे । टालस्टाय हो गए बहुत बड़े, मैं मानती हूँ पर नाम भर के ईसाई हैं। चलो अच्छा है क्योंकि उनसे भी बढ़ कर शरतचन्द्र। महाराष्ट्र में तो वहुत ही ज्यादा। एक… उनके नाम बताने से बाईबल में भी Paul ने सारा सत्यानाश करे दिया। ये तो ईसाई कम से कम मानते हैं। वो एसी-ऐसी बातें किसी से कही तो मारने को दौड़ेगे। जिस कुरान के लिए लड़ते हैं उसका ये इतिहास है, ये सच्ची बात है। उसमें शारदा देवी फायदा नहीं। लेकिन किसी ने उनको translate ही नहीं किया क्योंकि ये सब मामला Political है भई। ये Political क्या है। शारदा देवी कोई का क्या हाथ? शारदा देवी की कृपा से बहुतों ने ना। बहुत कुछ लिखा। ज्ञानेश्वर जी ने ज्ञानेश्वरी लिखी और उसके बाद एक और किताब। इतनी Political हैं। ये Political मामला है कि आपके Chief Minister साहब गर कहे ती Academy सुन्दर है कि ऐसा लगता है कि आप अमृत पी रहे हैं। संतों ने लिखा जिन पर शारदा देवी की बनेगी। हमारे Chief Minister साहब महाराष्ट्र के. वो तो अंग्रेजी भी बोलना नहीं जानते, मराठी भी नहीं जानते वो क्या करेंगे? अनपढ़ आदमी जैसे कृपा हुई। ज्ञानेश्वरी की शुरूआत में शारदा देवी की कृपा से वो लिखते हैं कि मेरे वचन जो भी मैं कह रहा हूँ वे में शारदा देवी को प्रसन्न करने के लिए कह रहा हूँ लेकिन ये शब्द किसी भी तरह से आपको दुःख नहीं पहुँचाएंगे। जिस तरह से पंखुड़ियाँ धीरे से आ कर जमीन पर गिर जाती हैं उसी तरह मेरे शब्द भी आपके हदय पर गिरें और आपको सुगन्धित करें। क्या लिखना। हैं। सब अनपढ़ ही होते हैं आजकल तो Chief Minister? वो क्या recommend करेंगे? उनको क्या मालूम? Recommend करने के लिए कोई पढ़ा लिखा आदमी हो। उनको कोई जानने वाला हो, बना दिया recommend करने के लिए। हरेक चीज़ को वो ही recommend करते हैं। नहीं तो ऐसी-ऐसी सुन्दर चीजें। यकि इतनी सुन्दर कविता और इतना सौम्य उसका दक्षिण में कोई उत्तर के एक कवि हैं। स्वरूप! ऐसे लगती है कि जैसे आप अमृत का रस पी रहे हों! अब इसलिए कि मैं मराठी भाषा उनकी कविताएँ इतनी सुन्दर कि मैं आपसे क्या जानती हूँ. पर अंग्रेजी में भी कई बड़े कवि हो बताऊँ। शारदा देवो की अत्यंत कृपा अपने देश गए और उनकी कविताएँ हम लोगों ने विजन नाम की किताब में दी हुई हैं आप पढ़िए। उनका नाम था विलियम ब्लेक। और इतनी भारतीय लोग हैं। उनमें पैसा नहीं है पर सरस्वती पर है। सबसे बढिया लेखक अपने देश में हैं। ये westernised नहीं बल्कि असली हिन्दुस्तानी जोशीली कविता कि आप के अंदर जोश आ की बड़ी कृपा है। एक से एक। अब राजस्थान जाए। शारदा जैसे उनकी कविताओं में से निकल कर आपके अंदर बस गईं हों। वैसे ही शरदू-चन्द्र, पर उस की बड़ी कृपा रही। यहाँ बड़े-वड़े कवि हो गए और यहाँ से Alexander भी यहाँ की 12
Original Transcript : Hindi संस्कृति देख कर इतने अचंभे में पड़ गए। तो एक विलियम ब्लेक की हम बात कहेंगे बो भी इसलिए। लेकिन बाकी। एक साहब हैं उन्होंने वापस गए और अपने साथ चंद्रवदाई को ले गाए। एक बड़े भारी कवि हैं चंद्रवर्दाई। यहां के हैं राजस्थान के हैं। उनको अपने साथ ले गए और राजस्थानी language में उनका बड़ा वर्णन किया। फ़िर सूफियों में खुसरों हैं, क्या कविताएं हैं! कविता लिखी। मार रोने की कविता। जैसे अपने यहाँ गज़लें होती हैं वैसे रोने की कविता उन्होंने लिखी। कि अच्छे भलें घर में बैठे खाते-पौते आदमी हैं पर नाटक बना कर कविता लिखी कि कबीर दास हैं। गुरु नानक साहब का तो कहना में कहीं पे जा कर कंद हो गया। क्यों हुए, कुछ ही क्या, बो तो गुरु हैं। रामदास स्वामी। बंगाल में नहीं होते तो पता चलता और कैद में ये हुआ भी क्या एक से एक कवि हो गए। और ये स्व और मेरे बाल सफेद इसलिए नहीं हुए और शारदा देवी की कृपा से हैं। सारे शब्दों से मानो धर्म बहता हो। प्रकाश और सारे ही शब्द इनके ऐसे-ऐसे अरे भाई ऐसा अगर तुम्हें तकलीफ हो फलाना नहीं हुआ और ढिकाना नहीं हुआ। है मानो निर्विचारिता में रही थी तो तुम कहीं वहीं डूब व्यवस्थित। एसा लगता जात। अच्छा लिखे गए हों। इतने शुद्ध वर्णन। ये हम जरूर रहता। एसी रोने वाली कविता! जो कविता उठाओ कहेंगे कि सबसे ज्यादा संस्कृत में और उसके वो रोने वाली। और अच्छे भले बैठे हैं। मतलब उनको काई तकलीफ होने पर लिखो तो भी समझ में आता है। अच्छे भले बैठे हैं पैसा कमा रहे हैं। सबको रुला रहे हैं और आप पैसा खा रहे हैं। और लोगों को भी रोना बड़ा अच्छा बाद मराठी में ही आध्यात्म पे किताबें बढ़िया लिखीं। ना जाने बड़ी गहराई से , आध्यात्म पे काम किया गया। अब कोई कहे कि अंग्रेजी में भी इतना लिखा जाता है माँ तो वहाँ क्या शारदा का काई वो नहीं? अब यही सोचिए कि अंग्रेज़ं लगता है! हमारे एक मुसलमान पहचान में, तो भाषा में आत्मा के लिए spirit शब्द है. है ना? शराब को भी spirit और भूत को भी spirit । ये कहने लगे माताजी ये गज़ल लोग क्यों गाते है? मैंने कहा उन्हीं से पूछो जो गाते हैं। मुझे तो पसंद नहीं। कहने लगे जितने लोग गजल पसंद करते कोई भाषा हुई? ये शारदा देवी की कृपा से ऐसी हैं वो अपनी बीबी से प्यार नहीं करते, वो कुछ और ही से प्यार करते हैं। मैंने कहा आपने कैसे जाना? मैने देखा है ये बात है और रोते रहते हैं। उसमें awareness के लिए कोई शब्द नहीं। अरे अपनी बीवी है क्यों रो रहे हैं, ये बीबी बैठी और उसमें आत्मा के लिए जितने दारू के लिएजिन्दा। उसी के साथ रहो. आराम से मजा उठाओं। अब तीसरे के लिए रो रहे हैं। तू नहीं ये सब उन पर आशीर्वाद हुआ। वे बड़े-बड़े मिला और तेरी छाया नहीं मिली। ये क्या शारदा लेखक हो गए, सब जो भी लेखक वहाँ हुए हैं देवी के आशीर्वाद में से होती है ऐसी कविताएँ? राजकारणी लोग, राजकरण पर लिख गए। हाँ ये सिर्फ लोगों को मुर्ख बनाने के लिए एक और भाषा नहीं। और फ्रेंच भाषा तो उससे भी गई बीती। एक दम। उसमें चेतना के लिए कोई शब्द नहीं। अंग्रेजी में कम से कम awareness. शब्द हैं वो लगा दीजिए आत्मा के साथ। 13
Original Transcript : Hindi साड़ी पहन के और राधा बनते थे और कृष्ण के तरह के लोग होते हैं। एक साहब हमारे यहाँ आए थे। बहुत शराब पे कुछ सुना दिया। बड़े मशहूर आदमी हैं। शराब से ये होता है, फिर मधुशाला होता है और फलाना होता है। मैंने कहा जो रस्ते में मरते हैं वो साथ नाचते थे अब ये रोमॉँटिकपना जो है, दिन पहले की बात हैं तो उन्होंने उसमें कोई अर्थ नहीं, बेकार की बात है। साधू संतों को इससे क्या मतलब? वो तो कबीर को भी लोग कहते हैं कि कबीर ने कह दिया कि “सैंया निकस गए मैं न लड़ी थी” अरे बाह, भी तो कहों। मैंन फिर उनको एक कविता सुनाई उसी वक्त मैं तो शीघ्र-कवि हूँ। मैंने कहा क्यों सैंया निकस गए माने क्या कि प्राण निकल गए, ना प्याला झुमता है, पी वही मदहोश हाला। खुसरो ने लिखा “छाप, तिलक सब दीन्हीं, तो प्याला क्यों नहीं झूमता, वो क्यों नहीं झमता? से नैना मिला के” अरे सूफी आदमी वो किससे और तुम क्यों झूमते हो। तुम तो प्याले से भी नैना मिलाना सिवाय परमात्मा कं? छाप माने कमजोर हो। इसके बाद उन्होंने शराब की बात मुसलमानों की पहचान और तिलक माने हिन्दुओं नहीं करी। कुछ समझ ही में नहीं आता। जब की, सब मैंने छोड़ दिया, तुझसे जब मेंने आँखें बीबी मर गई तो उसका सुनाया उन्होंने उस पर मिलाई। उन्होंने देहाती भाषा में, इस तरह की भाषा में लिखा। ऐसे जैसे “मेरा नैहर छूटो ही बाद उन्होंने शादी भी कर ली और फिर उस पर जाए”, अब तो क्या वो बहुरानी थे के क्या नेहर दूसरी कविता बना ली। जैसा मौका लग गया छोड़ने के क्योंकि गहराई नहीं हैं तो सृफियों को भी हम सोचते हैं कि वो Film Star हैं, फिल्मी गाने गा रहे हैं गहराई नहीं है ना. समझ नहीं। तो शारदा जी भी जो हैं, वो भी कभी-कभी महामाया एक कविता बना ली और सुनते हैं कि 15 दिन वैसे ही। इस प्रकार अपने देश में बहुत सस्ते टाईप के कवि पैदा हुए और विशेषकर वो कवि जी कि भगवान को सब चीज़ में घसीटते हैं और परमात्मा को मनुष्य के जैसा दिखाते हैं। ये तो स्वरूप हो जाती हैं। जैसे 2en, zen के जो कवि लिखते हैं वो एक सहजयोगी ही समझ सकता है और कोई नहीं समझ सकता। वो जिस तरह से कोई चीज का वर्णन करते हैं । छोटी सी भी, जिस तरह के वो चित्र बनाते हैं वह बहुत ही सूक्ष्म और उसकी संवेदना सिर्फ एक योगी जन ही कर सकते हैं और कोई नहीं। अब कव्वाली में लोग मुजरा गाते हैं और मुजरे में कव्वाली। ये कोई शारदा देवी का आशीर्वाद नहीं। किसी भी महापाप है और उन पर शारदा देवी की जो भी कृपा है वह महाकाली के दरवाज़े में जाने वाली है। माने विद्यापति साहब एक लेखक थे। अब राधा और कृष्ण का पता नहीं साहब क्या श्रृंगार सजा रहे हैं। अरे उस कृष्ण को कहाँ टाइम। उस राधा को कहाँ टाइम कि श्रृंगार करें? सारे विश्व की जिसको चिन्ता और रा-धा रा माने Energy और धा माने धारने वाली। उसको क्या ये सब दुनिया भर का रोमॉस करने की ज़रूरत? अब डाल दिया उन पर रोमाँस। यहाँ तक कि वाजिद अली साहब जिनके 165 बीवियाँ थीं वो भी संगीत में भी देखते हैं कि उसमें जापानी भी ले तरह एसे Mixtures करना। संगीत में भी शुद्धता आनी चाहिए। अब 14
Original Transcript : Hindi आते हैं और अंग्रेज़ी भी ले आते हैं और सब ले रंग समाया ये रंग बनके जब फैल जाता है। ये अपने देश में ही होली हो सकती है और किसी आते हैं, क्योंकि शुद्ध संगीत गाना नहीं आता। और मिला- मिला के. मिलाकर करते चलों। देहात में गाते हैं लोग कितने प्रेम से और शारदा देवी के पूर्ण आशीर्वाद से! उनके आशीर्वाद से में नहीं। रंगों के हमारे यहाँ जो खेल होता है, रंगों के हमारे यहाँ जो साड़ियाँ बनती हैं, कपड़े बनते ही जितने महान ग्रंथ हैं वो बने। कितने महान हैं, लँहगे बनते हैं, ये सब उनके देश में कहाँ? नाटक या कादम्बरियाँ लिखीं गई वो सब इस वहाँ तो Grey कपड़े पहन कर चलेंगे। अब Grey से बढ़ गए तो काले ऐसे भूत के जैसी शक्लें और ऊपर से काले कपडे पहन कर घूमते हैं एक से उतरे तो दूसरे। उनकी कोई हिम्मत है ऐसी एक भी साड़ी बना कर दिखा दें तो हम फिर से अंग्रेजों शारदा देवी के आशीर्वाद से। किन्तु इस वर्तमान में ऐसा लगता है कि शारदा देवी ने अपना हाथ कुछ रोक लिया है या ये आशीर्वाद कम हो गया हैं। इस राजस्थान में जो कला का प्रार्दुभाव हुआ है, मैं देखती हूँ कि दो-तीन साल में ही एकदम कला फूट पड़ी है। ये बिल्कुल शारदा देवी का ही आशीर्वाद है इसमें कोई शक नहीं। ऐसी-ऐसी नक्काशियाँ। ऐसी-ऐसी चीजें बनाने लग गए लोग हाथ से अपने! बड़ा आश्चर्य! पहले भी यहाँ बड़ी अच्छी नक्काशियाँ होती थी, सफाई का ख्याल बहुत है । औरतें बहुत साफ हैं। लोग तराशते थे, पर अब सारे Pottery में देख लीजिए, कहीं देख लीजिए। क्या सुन्दर-सुन्दर है। आदमी लोगों को कोई मतलब ही नहीं बाहर कला! बढ़़िया ऐसे रंग-विरंगी ऐसी चीजें! हम कल ही एक फैक्टरी देखने गए थे तो हमने सोचा आज ये साड़ी पहनें। ये राजस्थानी रंग हैं में झाडू लेकर को मान लें। एक, रंग-बिरंगे हर तरह औरतों के Dress होते हैं। इस राजस्थान में तो क्या कहें? इतना सुन्दर शारदा देवी ने इन लोगों को यहाँ बसाया है। वैसे एक बात जरूर कहींगे कि यहाँ घर वगैरह साफ रखती हैं। पर बाहर बहुत गंद व और, परदेस में है से। सब कृड़ा बाहर फिकता बाहर साफ है क्योंकि आदमी लोग खुद साफ करते हैं। यहाँ आदमी लोग हाथ साफ करेंगे। अरे बाप रे, उनके तो सर का ताज सारे। और डरते नहीं। ऐसा रंग हर एक तरह का ा उतर जाएगा। तो सफाई और व्यवस्थितता, ये भी शारदा देवी का ही आशीर्वाद है। औरतें तो रंग पहनते हैं। अंग्रेज ऐसे नहीं। वो कहते हैं एक गर हो तो उसके ऊपर बिल्कुल मेल नहीं ना उनके हृदय में और दिमाग में, लगता है दिमाग में उनके मेल नहीं। अपना घर वगैरह बहुत सुन्दर साफ सजा के रखती है। देखते हैं हम पर आँगन से बाहर हुए इनको भाषा की समझ तो है नहीं, कुछ कि आदमियों के सब वहाँ वहाँ सब नज़र आते भी कह लो। अब जब हृदय और दिमाग एक ह होगा तब लोग समझेंगे ये चीज क्या है कि जिसे सब आदमी मिल करके सन्डे के रोज उसका अंग्रेज़ी में यूँ बदल सकते हैं। मारे खुशी के जो हैं। गर ऐसी प्रथा हम सीख लें अंग्रेजों से कि वो जलसा मनाते हैं। सब लोग आपस में बाहर 15
Original Transcript : Hindi पता हुआ कि वहाँ जरमन लोगों से बडे impressed हैं क्योंकि टक्की से बहुत से लोग जर्मनी गए थे इसलिए जर्मन लोगों को बहुत मानते हैं और ये कहूँगी कि आप लोगों के यहाँ निकल कर और सब लोग मिलकर जलसा करें, चलो आज सफाई करेंगे, गार्डन ठीक करेंगे। ये करेंगे, बो करेंगे। पर हमारे यहाँ नौकर चाकर हैं। हम क्यों करें। नौकरों से करवाएँ। ये गंदगी जो है ये शारदा देवी को पास में नहीं आने देती है| वो हट ही गई। बहुत जरूरी है कि सफाई करनी चाहिए और सफाई भी सुचारू रूप से Artistic होनी चाहिए। यहाँ तो बहुत ही कला का प्रा्दुभाव है। और ये कोई सोच भी नहीं सकता और ऐसी चीज़ कहीं और बन ही नहीं सकती, जो आपने बना कर रख दी । असंभव लेकिन है। कला है खाना है बहुत बढिया, जरा भारी है पर अच्छा है, बहुत स्वाद, बढ़िया है। पर गर आप टकिश खाना खाएँगे तो आप कहेंगे माँ ये तो खाने की विल्कुल चरम सीमा हैं। और एक साथ एक होटल में हम गए थे 5000 आदमी एक साथ खाना खा रहे थे और गरम-गरम ऐसी फूली हुई रोटियाँ कि पूछिए नहीं। मुझे जरा खाने की बैसे या आपके पास। सब कुछ है पर इसे मंडप तक इतनी ज्यादा अक्ल नहीं है पर मेरा वर्णन करना कोई विशेष ना होगा पर अगर कोई टक्की जा कर पूजा तक और उसके बाद। तो सीमा में आप बाँध नहीं सकते शारदा देवी को। वो असीम है। कोई खाना खाए तो बाह-वाह ऐसा तो हमने और उनकी कृपा असीम तक चलती है। आप कहें कि बस हम शारदा देवी के पुजारी हैं तो आपके घर तक तो ऐसी बात नहीं। वैसे बहुत ही वहाँ लोग आ करके खाना खाते हैं। पर आपको कला पूर्ण यहाँ के लोग हैं बहुत सुन्दर। इतने हैरानी होगी कि ये टकिश लोग जर्मनी से खाना सुन्दर घर आपको मेरे ख्याल से हिन्दुस्तान में मँगा कर खाते हैं और कपड़े सिलते हैं वहाँ कहों नहीं मिलेंगे। उसका कारण हैं यहाँ की जर्मन भेजते हैं, कपड़े वो वहाँ सिले जाते हैं पृथ्वी से ये बढ़िया पत्थर निकले। ये एक से टर्की में, फिर वापस जाते हैं जर्मनी में फिर वहाँ एक और उसका आपने इस्तेमाल किया और से import होते हैं। ये अपने यहाँ भी हैं काफी पत्थर हैं और इसके अलावा और भी यहाँ बड़ी ये बीमारी कि imported चीज, ये हम imported कभी खाना खाया ही नहीं। वहरहाल जो भी हो इतना अच्छा वहाँ खाना मिलता है कि परदेस से लाए। Import करने का जैसा इस देश में कुछ भी नहीं। एकदम रद्दी लोग। क्या बनाते हैं वहाँ अच्छा घड़ी. घड़ी बनाते हैं; ये तो गुलामी की पत्थरों को आप तराशें और उसका सदुपयोग चीज़़ है बेकार है। अपने देश में जो चीजें बनती करें। जैसे कि टर्की में बड़ी गरीबी आ गई और हैं उसका क्या कहना। उनके यहाँ जो Pottery बड़े कलात्मक लोग। कुछ मेरी अक्ल में नहीं बनती है टर्की में, आपको दुनिया में ऐसी आया कि इतने कलात्मक लोग हैं और इनमें Pottery नहीं मिलेगी। China से भी better, इतनी गरीबी क्यों आ गई? आखिर क्या बात है? लेकिन उनके Dinner set में खाना खाते हैं तो कलात्मक चीजें हैं। इतनी कलात्मक चीज़ें इस धरती ने आपको दीं। ये भी शारदा जी की हो कृपा से कि आपके अंदर ये शक्ति आई कि इन 16
Original Transcript : Hindi की जगह हिन्दुस्तानियों को रख दो और कहेंगे हम बहुत गरीब हो गए। तो जाओ और हिन्दुस्तानियों की जगह अंग्रेज़ों को। Solution तो निकल आया लेकिन मेरे दिमाग में ये बात आई आप गरीब नहीं होएगे तो क्या होएगे? और अब जर्मनी में जा कर भीख माँगो, वो अच्छा रहेगा। तो शारदा देवी की जिस देश में इतनी कि ये अच्छी बात नहीं। जो जंगलों में जाते थे कृपा है तो उनकी क्या जरूरत है परदेसी चीज़ों वो बड़े अच्छे थे ये एहदीपना का लक्षण है। हाँ को इस्तेमाल करने की? उनके ना तो संस्कृति में बुड्ढे लोग हों मेरी समझ में आती है लेकिन कुछ है, न तो उनके कपड़ों में कुछ है और नही उनके खाने पीने में कुछ है। सब बासी खाना चढ़ती है क्योंकि वो विदेशी चीजज़ है इसलिए जवान लोगों को एहदीपना की कहाँ से बात खाते हैं सुबह से शाम तक। ताज़ी सब्जी वहाँ बहुत ज्यादा Smart है। कम से कम औरतों में मिलती नहीं। अब काँटे चम्मच से खाए बगैर कुछ अक्ल आ गई है। पहले मैं नायलोन की आजकल लोग सोचते हैं कि आप देहाती हो साड़ियाँ हमारे घर वालों के लिए लाती थी तो गए! अब बाहर के सहजयोगी हाथ से खाते हैं बहुत खुश होते थे, उन्होंने कहा माँ हम तो अपने और अपने Indian सहजयोगी जो हैं काँटे चम्मच यहाँ की साड़ियां ही पहनते हैं. ये हमें नहीं से खाते हैं यहाँ तक इस कदर हम अंग्रेज़ होने पसंद। अब वहाँ कोई सिल्की साड़ियाँ हुई? वहाँ की कोशिश करते हैं कि गणपति पुले में बड़े से तो लाएँगे तो नायलोन की साड़ियाँ ही लाएँगे। मत लाओ साड़ियाँ हमको नहीं चाहिए। बो मेरे घर वाले लेकिन बाकी लोगों में ऐसा नहीं। एक मुश्किल से इंडियन्स के लिए और Foreigners के लिए अलग-अलग Bathr০oms बनाए। देवी से हमने कहा कि वहाँ तो नायलोन ही है, Indians के Indians ढंग के और Foreigners का में तो शिफान पहनती हूँ सिर्फ शिफॉन। अच्छा ये मोटी है और मैं शिफॉन पहनती हूँ। मैंने कहा कितने गज़ लगते हैं आपको? और इस कदर हम लोगों में जो पहले की औरत की शालीनता के Foreigners ढंग के। तो Indians ने कहा हमें तो वैसे ही अंग्रेजी के ढंग के चाहिए माँ। अंग्रेज़ी ढंग के आपको चाहिए। और Foreigners बहुत खुश हुए कि हिन्दुस्तानी ढंग के हमारे लिए। Very clean Mother, very celan। वो थी वो पैसे वो बचाती थी रोकती थी और उन बहुत खुश हुए। लेकिन हिन्दुस्तानियों को तो औरतों का हाल ये है कि वो आदमियों से भी attached चाहिए। पहले जाते थे जंगलो में और अब attached इतनी अंग्रेज़ीयत हमारे अंदर जाओ। नाखून कटवाने हैं पता नहीं क्या-क्या? आ गई। बहरहाल उसमें भी हर्ज नहीं। तो बेचारे अमेरिका में एक आर्टिकल निकला था वहुत हैं। Hair dressers के पास ज्यादा खर्च करती माग वहाँ के leader साहब आए कि माँ में क्या करू? मैंने तो अंग्रेज़ों के लिए वो बनाए. उनकी हैं क्योंकि Hair dresser आ गए हैं कुछ मुझे वो पसंद नहीं और हिन्दुस्तानियों के लिए जो संबंध समझ में नहीं आया। कहने लगे ऐसे बनाए उनको वो पसंद नहीं। मैंने कहा अंग्रेजों आदमी किसी एक औरत पर गर फिदा हो जाएँ अच्छा कि आजकल इसलिए Divorse हो रहे 17
Original Transcript : Hindi तो वो उनके Hair dress से। अब दूसरे दिन हो। ऐसे भी लोग मैंने देखे हैं कि जो औरंगजेब से भी बढ़ कर हैं। संगीत वे जानते नहीं लेकिन उनका Hair dresser बदल गया उनका भी मन बोलेंगे बहुत। एक साहब बड़े अपने को संगीतकार हट गया। अब रोज़ ही गर आप Hair-dress बदलते फिरिए और उतने आप पति करिए, समझ कर बैठे। उतनी आप पत्नियाँ करिये तो बड़े आश्चर्य की मैंने कहा, हैं कौन महाराज? बोले इनका GEE बात है। उनके पागलपन सीखने की अपने को बड़ा भारी Association है संगीत पर मैने कहा जरूरत नहीं। कम से कम हिन्दुस्तान में औरतों ने । अच्छा। तो कहते अभी इन्होंने गाना गाया था अपना तरीका छोड़ा नहीं। जिस तरह से बो और बाजा भी बजा रहे थे। बाह-वाह, तो इनसे चलती हैं, घूमती हैं. अपने को वो समझती हैं। ये कहिए कि दरबारी गाए। तो दरबारी तो गा जिस दिन औरत ने अपनी शालीनता छोड़ दी चुके भाई। अभी दरवारी गा चुके। तो अब क्या उसी दिन उस के अंदर से जितना कुछ शुद्ध दरबारी गाएँ। तो तानड़ा गाएँ। दरबारी. कानडा ब कला की स्वरूप कहिए, या स्त्री का स्वरूप, एक ही बात। हर प्रोग्राम में हाजिर, हर जगह अध्यक्ष। पत्नि का स्वरूप, माता की स्वरूप सब खत्म हो जाएगा। ये शारदा देवी की कृपा में रहने वाले Musician से पहले उनको ही हार पहनाया सब लोगों को पता होना चाहिए। एक कहावत जाता। मैंने कहा ये बहरा है कि क्या है। ये साी है। दरबारी गा रहा था या क्या। तो फि़िर आप इस दौर में आए क्यों| ठीक है आप संगीत के लिए “Art is in hiding the art” कि आप जो भी कुछ करते हैं उसको दिखावे नहीं आए। फिर इसमें क्यों आए। हर चीज़ में की ज़रूरत नहीं और उसमें Show बाज़ी की मास्टरी। जरूरत नहीं। किन्तु आप जो कुछ भी करते हैं, पहनते हैं, ओढ़ते हैं गर आपको शारदा देवी की पूर्ण मेहरबानी चाहिए तो दूसरों के लिए करिए, अपने लिए नहीं। दूसरे क्या कर रहे हैं तो लोग एक देवी जी थों। वो तो पता नहीं क्या थी अपनी Govt. में। उनके बाल पक गए और वो कला वला कुछ नहीं जानती थीं। कला की सूक्ष्मता कुछ नहीं जानती थी और बड़ा नाम था! कहेंगे कि हाँ एक Actress बन कर घूमेंगे, सब तो गर आपको शारदा देवी के शरण में रहना है लोग हमें देखेंगे. और क्या। बहुत Popular हो तो अपने गाँव में, अपने देश में जो कुछ होता जाएँगे। नहीं! मैंने देखा है जितनी भी Actress है और जो कुछ आज तक उन्होंने बनाया है, लोग हैं उनका नाम एसे लोग लेते हैं जैसे कोई कलाकारों ने उसका इज्जत करनी चाहिए। अजंता रास्ते पे खड़ी औरत हो। उसकी कोई इज्ज़त नहीं देखा लोगों ने पर स्विटजरलैंड जाएँगे! नहीं। नुमाइश की चीज़ है । सारी चीज़़ में भी अजंता जैसी चीज Switzeriland के नाम के शारदा जी का एक आवरण होना चाहिए। संगीत, बाबा के दादा कोई नहीं बना सकता। आपको मालूम होना चाहिए। चाहे देहात का ही Switzerland में दखने का क्या है? पत्थर। हम 18
Original Transcript : Hindi औरतों को ज़मीन में गाड कर मार रहे हैं और कुछ लोग. कराची में कल देखा मैंने, दूसरों को तो Switzerland गए थे अजंता नहीं देखी? आबू नहीं देखे। जो अपने देश के बारे में जानेगा ही नहीं वो इस देश को प्यार कैसे करेगा? पत्थरों पर पत्थर मार रहे हैं। वहाँ पर कला केसे है होगी? तो इस भारतवर्ष में जो देवी की कृपा उसे आप अपनी नज़रों से देखिए । उसको समझिए जब कला इस देश में चारों तरफ से बह रही है। चारों तरफ से बहने लगी है। सो कला उसका आनंद उठाइए। फिर नाट्यकला है, बंगाल की तरफ रूचि रखना और अपने देश की कला को पहले अपनाना चाहिए। नहीं तो वाकई में में और महाराष्ट्र में, नाट्यकला बहुत ऊँची है। बेवकूफी की भी हद होती है। एक साहब ने वहाँ लोग Cinema नहीं जाते। नाटक को जाते मुझे बड़े Special बुलाया। ये बहुत दिन पहले हैं। महाराष्ट्रियन लोग आप लोगों जैसे रईस नहीं की बात है। 30 साल हो गए होंगे अमेरिका से हैं। पर पांच रु. का टिकट हो चाहे सात रु.का हो वो जा कर नाटक देखेंगे। इसलिए नाट्यकला। आए। आप माता जी को बुलाओ। उनकी बहन हमारी सहज योग में हैं। आप Airport पर जाने पहले सिनेमा बहुत अच्छे थे। पर अब से पहले आपको एक चीज़ दिखानी है। अमेरिका सिनेमा तो गड़बड़ा गए। अब नाटक भी गड़बड़ा से आए थे मैंने कहा पता नहीं क्या लाए हैं। मैं जाएंगे और ना जाने क्या-क्या हो जाएँगी। कुछ-कुछ वहाँ गई। देखती क्या हूँ वो एक पंप ले कर ऐसी अजीब चीजें देखने में आई हैं कि लगता है आए हैं और एक बलून में भरने लगे और शारदा देवी यहाँ से भाग खड़ी हो जाएँगी। उनका उसका सोफा बनाया कहने लगे देखिए। अब विराजिए इस पर। मैंने कहा भई देखो, मेरे पास मान तो छोड़ो उनका बिल्कुल अपमान लोग करते हैं। इतनी विचित्र चीज़ें मेंने इस India में देखीं। मुझे आश्चर्य लगता है कि ये ऐसे चल बहुत ज्यादा Vibrations हैं। ये फट जाएगा। मेरे लिए कोई तख्त-वख्त बिछा दो तुम, उस पर मैं बैठ जाऊँगी। मैं अपनी देसी हिन्दुस्तानी मोटी औरत हूँ, मेरे बस का नहीं है। अरे कहने लगे कैसे रहे हैं। अब उन्होंने कहा है कि फिल्मों में से हम निकाल देंगे ये वो। हमारे जिन्दा जी हम अगर देख लें कि ये गंदगी निकल जाए तो बड़ा आनंद आएगा। तो India की जो Art हे वो सूचक आप पर कुछ impression ही नहीं पड़ा। मैंने कहा impression अभी पड़ा है पर जब इस है। जैसे आप Chinese Art देखिए तो सींग पर से मैं गिरूगी तो Depression हो जाएगा। तो जैसे, एक भूत के जैसा बना है Chinese, और सबसे पहले जो बात कही वो अब फिर कहूँगी Egypt की Art देखिए तो सब Dead है। कहीं कि शारदा देवी की कृपा आपके पर बहुत है और क्योंकि पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे कोई लाश खड़ी कर दी। पहले England, द प इस भारत वर्ष वो Mummies बनाएंगे, ये आदमी ऐसे बनाएगे America में कला ठोक थी जब तक realistic भी इसी देश का एक भाग है वहाँ पर भी है। पर धीरे-धीरे हट जाएगी। आजकल तो लोग वहाँ वनाते रहे । फिर impressionistic बनाया, तब तक भी ठीक थी पर अब वहाँ जो Modern एक दूसरे को पत्थर ही मार रहे हैं। कुछ लोग 19
Original Transcript : Hindi कला बन गई है ये आपके मेरे और किसी भी इंसान के बस की नहीं। ऐसी विकृति आ गई है बहुत अच्छा बजाने लगते हैं शारदा जी की कृपा हो गई उन पर। लेकिन आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश का जो संगीत और नृत्य है, कि लगता है शारदा देवी बाकई भाग गई हैं और जितनी गरदी और जितनी उल्टी-सीधी और जितनी ऐसा कहीं भी दुनिया में नहीं है। कहीं भी। अब तीसरी जो हमारे अंदर शक्ति है। अधमी Picture बनेगी उतना ही उसका दाम, त्रिगुणात्मिका वो महालक्ष्मी की शक्ति है। अब सिनेमा में। शारदा का बड़ा अपमान है। आप सब सहजयोगियों को कला की समझ होनी लक्ष्मी जी की पूजा तो अभी करके आए हैं टकी चाहिए और कलात्मक चीजें आप इस्तेमाल करिए। खासकर हाथ से बनी हुई। तो ये Ecological Problem ही खत्म हो जाए। अपने घर में दो सुन्दर चीजें होने से लगे अब हमको उसी का taste हो गया। अच्छा है बनिस्वत 25 प्लास्टिक की चीजें और 40 घेपर प्लेट्स। ये अपने भारत की संस्कृति है। तो मैंने सोचा वहाँ लक्ष्मी जी की पूजा हो जाए में। वहाँ गरीबी आ गई थी इसलिए। पर जब तक जर्मनी से वो सामान मंगाना बंद नहीं करेंगे तब तक उनकी गरीबी नहीं जाने वाली। कहने मैंने कहा वाह भई। अब भूखे मरोगे तो क्या होगा? तो दीवाली वहीं हो गई। अब महालक्ष्मी की जो इसके रोम-रोम में शारदा का प्रकाश है। ओरतों पूजा हैं यह सिर्फ साधकों के लिए। जब लक्ष्मी जी का पूरी तरह से उपयोग ले लिया और बहुत हो गई लक्ष्मी, जैसे बुद्ध को हुआ था. महावीर को हुआ था, उपरति (विरक्ति) आ गई और उपरति आने के बाद वो परमात्मा ने इसे बचाए रक्खा है अब आदमियों को भी चाहिए कि इसकी रक्षा करें। सब क्योंकि अब हिन्दुस्तान में ऐसे बहुत से लोग हैं जो चार रंग से ज्यादा पांचवाँ रंग नहीं जानते। आप जानते हैं ना डाक्टर साहब बहुत से रंग, आते हैं? नहीं तो डॉक्टर लोग नहीं जानते। मैं तो डाक्टरों के साथ रही हूँ, डाक्टरों के साथ पढ़ी हूँ। इनको कला कभी नहीं आएगो। लेकिन जानते हैं तो बहुत बड़ी बात है। सों वो भी सूक्ष्म दृष्टि अपने अंदर आनी चाहिए। नाट्य कला में, हर चीज़ में नृत्य में हर चीज़ में अब ये नहीं आदमी औरतों जैसे नाचे. ये नहीं लेकिन आदमी आदमियों जैसे, औरतें औरतों जैसे उसके शुद्ध स्वरूप में जब को खोजने निकले। ये जो खोजने की शक्ति है ये महालक्ष्मी की शक्ति है। ये महालक्ष्मी का temple है कोल्हापुर में, स्वयंभू है। तो वहाँ के जोगवा गाते हैं, कि हे अम्बे तू जाग, जाग। ये नामदेव ने लिखा 16वीं शताब्दि में| वहाँ के ब्राह्मणों से मैंने कहा कि महालक्ष्मी के हे अम्बे तू मन्दिर में ये क्यों गाते हो भई? कहने लगे पता नहीं अनादि काल से यहाँ हैं। चल रहा है तो अम्बे कौन है? कहने लगे देवी है कोई। मैंने कहा आपको इतना भी नहीं मालूम? मैंने कहा यही गाना। जब से नामदेव उते तो तब शारदा जी की तो कृपा है ही। हुए संगीत में नृत्य में मैने बहुत दफा देखा है कि लोग जब हमारे सामने बजाते हैं तो बहुत जल्दी बे उनका नाम बढ़ जाता है, बहुत नाम होता है। आपको तो मैं नहीं समझा पाऊँगी। ये बड़ी 20
Original Transcript : Hindi मुश्किल है पर महालक्ष्मी के मन्दिर में भी अम्बे जागती है। वो वैसे। मध्यमार्ग में महालक्ष्मी महामाया। जब सहस्त्रार को खोलने का काम आता है तो वो महामाया का स्वरूप धारण है। उस मार्ग में आपकी सारी खोज left की करती है और वो स्वरूप बहुत छिपा हुआ, बड़ा छिपा हुआ और जैसे-जैसे उसे जानने का आप प्रयत्न करते हैं, तो आप सूक्ष्म से right की, बुद्धि की सब खत्म हो जाती है। और आप मध्यमार्ग में आ गए। जब आपने खोजना शुरू कर दिया तब आप पर महालक्ष्मी की कृपा हो जाती है। Bible में इसे Redeemer कहा सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम हो जाते हैं। यह सूक्ष्मता अत्यंत आवश्यक है क्योंकि हमारे अंदर जो कुछ भी गौरवशाली विशेष धन है उसको जानने बाी है। तीन शक्तियाँ बताई उन्होंने। पहली शक्ति को कहा है Comforter, Left side की। के लिए सूक्ष्म होना हुत आवश्यक है। उसमें एक बाधा आती है और वो है आपकी left और । Right Side की को कहा हैं Councellor Right की खींच। इसलिए हमसे हमेशा कहते हैं और बीच वाली को Redeemer ये Holy कि अपने को आप परत्यक्ष करा करो। Ghost की तीन शक्तियाँ हैं। सो जो मध्य Introspection दूसरों को नहीं, अपने को। धीरें धोरं ये होने से आप सहज में उतरेंगे। आप चक्रों के मार्ग में आप प्रवेश करने लगते हैं और मध्य मार्ग में आ जाते हैं तब आप एक साधक हो बारे में जानते हैं। महाकाली की शक्ति के बारे गए और साधक के ऊपर महालक्ष्मी उमड़ में मैंने बता दिया और महासरस्वती के बारे में, पड़ती है। महालक्ष्मी की कृपा उस पर होती है। महालक्ष्मी की शक्ति का चढ़ना बहुत और महालक्ष्मी के बारे में मेंने बहुत बार, बहुत मुश्किल है क्योंकि कभी मन Left को जाता है, कभी Right को जाता है। कभी left को है। जब तक साधक उस स्थिति को प्राप्त जाता है, कभी Right को। एक भाग कुण्डलिनी नहीं होता उसे चैन नहीं आता। उस स्थिति के जागरण से ही मध्य मार्ग को प्राप्त करते को प्राप्त करने पर भी उसको इस्तेमाल नहीं हैं। पहले तो वो एक सोपान ब्रिज बनाती हैं। Void और उससे गुज़र कर कुण्डलिनी शक्ति, मध्य मार्ग से गुज़रती हुई व्रह्मरंद्र को छेदती हुई ब्रह्माण्ड से करती है और जब ये घटना हो जाती है, आदिशक्ति है और उनका वर्णन करना कोई बार बताया है। ये सब बताना बताना रह जाता का करते तो ये विश्वास पक्का नहीं बनता और निर्विकल्प में उतरना मुश्किल हो जाता है। आज का lecture कुछ ज्यादा हो गया क्योंकि विषय ही कुछ ऐसा था। ये तो तीनों एकाकारिता प्राप्त शक्तियों का वर्णन किया लेकिन उससे परे उसके बाद त्रिगुणात्मिका मिलकर के आपकी आज्ञा चक्र को छेदकर जब आप सहस्त्रार में आते हैं तो यहाँ आदिशक्ति का स्वरूप हूँ। आसान नहीं। वो बड़ी ऊँची चीज़ हैं। उनका वर्णन करना तो कठिन है। आप ही लोग उनका वर्णन कर सकते हैं मैं नहीं। ये आप पर छोड़ती सबको मेरा अनन्त आशीर्वाद। महामाया का है। सहस्त्रारे महामाया, सहस्त्रारे 21