Talk, Paane ke baad dena chaahiye swagat samaroh

New Delhi (भारत)

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Aapko Sahajayoga Badhana Chahiye Date 5th December 1999: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

सत्य को पाने वाले सभी सहजयोगियों को जो आप उठा रहे है वो दूसरों को भी देना हमारा प्रणाम । आप लोग इतनी बड़ी संख्या में चाहिए। यहाँ उपस्थित हुए है ये देखकर मेरा वाकई में हिन्दुस्तान तो है ही मेरा देश और यहाँ आने में जो एक विशेष आनन्द होता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता और जब में आप लोगों के लोगों ने, सत्य को प्राप्त किया है। सत्य के को देखती हैं, एयरपोर्ट पर, तब मुझे लगता है बगैर मनुष्य का जीवन बिल्कुल व्यर्थ है, जैसे कि न जाने कितने हृदयों में ये आनन्द आड़ोलित अन्धेरे में इन्सान टटोलता रहता है उसी तरह हो रहा है और कितने ही लोग इस आनन्द से हृदय भर आया है और सोच-सोच के कि मेरे ही जीवन काल में इतने लोगों ने, इतने दूर – दूर सत्य के बगैर मनुष्य भटक जाता है। उसमें प्लावित हो रहे हैं। इसी से हमारे बच्चों की भी रक्षा होगी, और हमारे युवा लोगों की भी रक्षा का जो उसे घेरे हुए है। जैसे कहा है आपको इतना ही नहीं, लेकिन हमारे देश में और सबको सहजयोग बढ़ाना चाहिए। ये मेरी सबद्धता और असली माने में स्वराज्य आएगा। उसका मैं दोष नहीं मानती, दोष है उस अन्धेरे होगी। भी बड़ी इच्छा है कि सहजयोग आप लोग बढ़ा स्व: का मतलब है आत्मा और आत्मा का राज्य सकते हैं और फैलना चाहिए। सबको ये सोचना चाहिए यह हमने पाया है हम भी दृूसरों को दे फिर वही आत्मा का तन्त्र माने आत्मा की एक और इसको बढ़ाएं। इससे सहजयोग बढ़ेगा ही रीत। ये दोनों आनी चाहिए और वो आ गई है। लेकिन उससे एक शान्तिमय, सुन्दर सा ऐसा स्वर्ग इस संसार में आ जाएगा। यह आपके जीवन में उतारा है। लेकिन अब दूसरों को भी आना ही स्वराज्य है। स्वतन्त्र का मतलब है आप लोगों ने इसे स्वीकार किया है अपने हाथ में है कि आप लोग इस कार्य को पूरी तरह है उबारने का, उनके भी उद्धार का यही समय से करें और हिन्दुस्तान में यह कार्य बहुत जोरों में हो रहा है, उसका कारण ये है कि भारतवर्ष देखीं तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि मिलेनियम एक योग- भूमि है एक पुण्यभूमि है और पुण्यभूमि में इस तरह का कार्य होना था ही, लिखा ही हमारे बहुत से सहजयोगी विदेश से भी आए था विधि थी। किन्तु इतने जोरों में और इतना बढ़कर ये परिवार इतना परिपक्व होगा ऐसी सहजयोग सिखाया और वहाँ उन्होंने नौ सेन्टर कभी भी मुझे उम्मीद नहीं थी। लेकिन यह स्थापित किये। जब साइक्लॉन (Cyclone) इसको करना चाहिए। अभी मैंने बहुत सी बातें का असर कितने जोरों में आ रहा है। जैसे कि थे और जो गए थे उड़ीसा, वहाँ लोगों को घटित हो रहा है और होगा भी। इसका आनन्द आया, उड़ीसा में, उसका कारण है, क्योंकि ন

हमारा जो सुख है, हमारा जो आनन्द हैं, हमने बातें हो रही थी। तो एक भी, एक भी सहजयोगी जिसे प्राप्त किया वो और भी प्राप्त करें इस को कुछ क्षति नहीं हुई। उनके मकान नहीं गिरे, विचार से गर आप उधर थोड़ी सी दृष्टि लगाएं उनको कुछ नहीं हुआ। इसी प्रकार टर्की में तो बहुत कुछ हो सकता है इस भारत वर्ष में। हालांकि वो लोग पहले मुसलमान थे और अब और मैं तो सोचती हूँ कि ये कार्य कोई कठिन असली मुसलमान हो गए और जब ये सहजयोग नहीं क्योंकि इसमें कोई झगड़ा नहीं, कोई में आ गए, करीबन दो हज़ार से ऊपर लोग वहाँ आफ्त नहीं कोई दवा नहीं, कोई दारु नहीं, कुछ सहजयोग में है। तो वहाँ भी दो बार बहुत बुरी नहीं, सिर्फ लोगों की कुण्डलिनी जागृत करना तरह से भूकम्प आया लेकिन एक भी सहजयोगी और उसकी शक्ति आपके अन्दर है उसको अनाप शनाप बातं हो रही थी, गलत वहाँ बहुत उस भूकम्प में ज़रा सा भी दुखी नहीं हुआ। इस्तेमाल करना है। जब आपके अन्दर शक्ति किसी के रिश्तेदार तक नहीं मरे, वो लोग तो है तो आप उसको इस्तेमाल नहीं करोगे तो बच ही गए। ऐसी अनेक वारदात हुई इटली में उसका क्या फायदा? उस शक्ति को आप सब भी और हर जगह मै देखती हूँ कि सहजयोगी इस्तेमाल करें और निश्चय करें कि हर आदमी, एकदम बिल्कुल पूरी तरह से जैसे संरक्षित है हर सहजयोगी कम से कम सौ आदमियों को और इस संरक्षण में आप लोग पनप रहे हैं। पार करे, सबसे बात करें और उसमें शर्माने की इसका मतलब है जो हम कहते है कि ये Last कोई बात नहीं है, घबराने की कोई बात नहीं Judgement है वो शुरु हो गया है और वो चल है क्योंकि हम सत्य पर खड़े हैं। और आजकल रहा है बड़े जोरों से। आप लोग सब ध्यान करते जो तरह-तरह के गुरु घण्टाल निकले हुए हैं ही हैं ओर आपने सहज में बहुत उन्नति कर ली, उनका यही इलाज है कि हम खुले आम ये बातें लेकिन ये सब पाने पर दूसरों को भी देने की करें, सबसे बात करें और उनसे कहें कि इस इच्छा होनी चाहिए। ये इच्छा होगी जुरूर लेकिन चक्कर से बचो नहीं तो वो लोग भी खत्म हो किसी न किसी वजह से इसकी इच्छा पूर्ति नहीं जाएंगे। ये हमारा कर्तव्य है कि जैसे संसार की होती 1 । उसे आप लोगों को पूरी तरह से जोश नाव डूब रही है और उसको बचाने वाले आप से करना चाहिए। संसार के कार्य तो चलते ही ही है। आपको किसी तरह से भी यही कोशिश रहते हैं घरेलू बातें चलती ही रहती है और उसमें करनी चाहिए कि हम कितने लोगों को पार से निकलके और लोगों को जागरण देना उनको कराएं। ये आनन्द अपने ही हृदय में कभी समा संवारना उनका उद्धार करना ये आपका एक नहीं सकता, गर समा सकता तो हम क्यां परम कर्तव्य है। और इसकी दारोमदार आप ही के ऊपर में है । आप ही लोग इसे कर सकते और लोगों को पार कराते। ये ऐसी स्थिति है है और बहुत से कर भी रहे है लेकिन मेरे विचार कि उसमें लगता है कि दूसरों के साथ भी से इससे भी ज्यादा सोच-विचार करके कि मिल-जुल करके इसका उपयोग लें। और इस अपना घर द्वार छोड़ करके और बाहर घूमते

स्थिति पर गर आप है तो उसका पूरा इस्तेमाल सत्कार करो। पर बो तो मुझे उसी दिन दिखाई करना चाहिए और उस ओर अग्रसर होना चाहिए, दिया जब मैं यहाँ पर एयरपोर्ट पर आई थी और उस तरफ बढ़ना चाहिए। और आशा है कि किस तरह से लोग बिल्कुल, प्यार से बिल्कुल अगले वर्ष जब हम यहाँ फिर से हिन्दुस्तान दीवाने हो गए। तो ये प्यार की महिमा है और आएं तो इससे कई गुना ज्यादा लाग सहजयांग ी में उतर हुए नजर आए। आपने सत्कार किया बात है। और इस जन्म में गर ये होगा तो न है वा मै क्या कहूँ, कोई जुरूरत नहीं थी पर जाने कितने ही पुण्यों का फल मिल जाएगा। आपकी इच्छा है तो मैं मान लेती हैं भई चला मेरे अनन्त आशीर्वाद हैं आप सबको। इस प्यार को बाँटना और देना ये भी बडी भा तल की