Navavarsha, Hindi New Year

New Delhi (भारत)

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1995-10-25 Navavarsha (Hindi New Year) Delhi (Part 1)

आज नया साल का शुभ दिवस है | आप सब को शुभ आशीर्वाद!

हर साल, नया साल आता है और आते ही रहता है | लेकिन नया साल बनाने की जो भावना थी, उसको लोग समझ नहीं पाते, सिवाय इसके कि नए साल के दिन नए कपड़े पहनेंगे, ख़ुशी मनाएंगे | कोई ऐसी बात नहीं सोचते हैं कि नया साल आ रहा है, इसमें हमें कौन सी नयी बात करनी है | जैसा ढर्रा चल रहा है, वही चल रहा है और उसी ढर्रे के सहारे हर साल नया साल सब को मुबारक हो |

सहज योग में हम लोग जब इतने सामूहिक हैं, ये सोचना चाहिए कि अब कौन सी नयी बात सहज योग में करें? ध्यान में आप लोग काफी गहरे उतर गए हैं | ध्यान आप समझते हैं और एक आपने स्थिति भी अपनी प्रस्थापित कर ली | पर नए साल में कौन सी नयी बात करनी चाहिए, इस ओर हमारा ध्यान जाना ज़रूरी है | असल में पहले तो हमें ये भी सोच लेना चाहिए कि हमारे देश के क्या प्रश्न हैं और सारी दुनिया के कौन से प्रश्न हैं और उन प्रश्नों को हम किस तरह से नतीजे पर ला सकते हैं?

उसके लिए मैं सोचती हूँ कि जिन सहज योगियों का जहाँ interest (रुझान) हो, उसे वो ध्यानपूर्वक देखें | ऐसे तो बहुत सी चीज़ें सहज योग में नयी-नयी शुरू हो  गयी | आप जानते हैं, कि इस बार हमने सोचा है कि शिया मुसलमानों को बुलवा के समझाया जाये, उसके लिए कोशिश कर रहे हैं और शिवाजी महाराज का  जो बड़ा पवित्र जीवन रहा, उसका भी प्रचार करने की कोशिश करें | तो दोनों चीज़ें बहुत अच्छी है कि शिया लोग समझ जाएँ, धर्म क्या है और शिवाजी के जीवन को देख कर के हम लोग भी समझ जाएँ कि धर्म क्या है और उनके आदर्श क्या थे और उस आदर्श के लिए उन्होंने क्या- क्या किया, इतने थोड़े से समय में  उन्होंने कितना कार्य कर के दिखा दिया |

अब संघटित रूप में हम लोग बहुत ठीक हो गए हैं, खास कर दिल्ली में, और दिल्ली के आसपास | और सहज योग बढ़ भी रहा है | उसके साथ-साथ ये भी सोचना है कि हमारे अंदर गरुआपन आ रहा है या नहीं | बस अगर सहज योग बढ़ रहा है, उसकी quantity (संख्या) बहुत बढ़ रही है, तो quality (गुणवत्ता) आयी कि नहीं, ये बहुत ज़रूरी है, उस तरफ सोचना है और उसकी तरफ ध्यान देना चाहिए | इसकी ओर मैं ये कहूँगी कि ध्यान-धारणा आदि के जो कुछ भी आपके groups (सामूहिकता) चल रहे हैं, उधर थोड़ा आप लोग मद्देनज़रमद्यनज़र  करें; जा कर देखें क्या चल रहा है और अपनी तादाद बढ़ाने के लिए आसपास के जो गॉंव हैं और इस पे जो आपने कार्य किया है | इसी प्रकार और भी आप आगे बढ़ सकते हैं |

लेकिन इस नए साल में आपको ये ख्याल रखना चाहिए कि हम लोगों ने जैसे कि बहुत से projects निकाले, जिससे हम लोगों के पास ये flats आ गए, घर आ गए और आश्रम भी बन रहा है | ये भी अच्छी बात है | लेकिन उस आश्रम में हम लोग क्या करने वाले हैं? क्या-क्या चीज़ें, हम उसको बढ़ा सकते हैं? उसमें कौनसी-कौनसी चीज़ें हम छाप सकते हैं, जिससे कि हमारे बारे में लोग जाने | एक चीज़ मैं सोचती हूँ कि ये बहुत साल पहले  इसको मैं ने सोचा था (हंसती हैं), कि एक news paper (अख़बार) ज़रूर सहज योग का चलना चाहिए, तो बम्बई में सहज योग का news paper (अखबार) चल पड़ा | उन्होंने कुछ ऐसी गलतियां कर दी कि वो बंद करना पड़ा | लेकिन अब इतनी तादाद में लोग हैं; तो हम, जैसे आपका वो news letter आता है, वहां से,  उसको translate करते हैं, तो उसमें ज़्यादातर बाहर के बारे में आता है | इसी के तरह हिन्दुस्तान के बारे में भी आप खबर लोगों को दे सकते हैं और कार्य कर सकते हैं |

अब मैं सोचती हूँ, तीन पैमानों पर खास ध्यान देना है, जिसका कि जागतिक प्रश्न आज है | उन तीनों  चीज़ों पे आप अगर ध्यान दें, तो पहली चीज़ मेरी समझ में आती है, वो है शांति कि हम अपने अंदर शांति प्रस्थापित करें और बाहर जो अशांति है, उसका कारण ढूंढ के निकालें | वो क्यों अशांति है? किस वजह से सारे देश में गड़बड़ या दूसरे देशों में गड़बड़ है? इसकी जड़ हमें पहले पता लगानी चाहिए और उसमें हम किस तरह से कार्यान्वित हो सकते हैं?

अब जैसे कि चेचेन्या का प्रश्न है | तो हमनें रशियन से बात करी | तो उनकी बात, वो कहते हैं कि हमारी तो कोई छापता ही नहीं | सब one-sided (एक-तरफ़ा) मामला चल रहा है | तो उन्होंने जो बताया कि चेचेन्या में जो गड़बड़ है, वो ये है कि हम अग़र सम्राज्यवादी हैं और हम अगर democratic country (लोकतंत्र देश) हैं, तो इसमें दोनों में बड़ा फर्क है | Democratic country में आप, लोकशाही में, जो लोकशाही है, उसमें आप किसी भी एक धर्म के ऊपर राज्य नहीं कर सकते और वो धर्म कि जो अपना अकेलापन  लिए हुए; exclusive religion है |

जैसे ये तीनों धर्म जो हैं, बुद्ध का भी वही हाल है; बुद्ध भी वही और महावीर भी वही | तो ये, और ये जो तीन धर्म हैं, जो कि पांच एइन्जीलस से आये, जिनको हम कह सकते हैं कि यहूदी, jews (यहूदी), christians (ईसाई) और मुसलमान |  जो एक-एक किताब को सिर्फ मानते हैं और एक ही incarnation (अवतार ) को मानते हैं और इसलिए वो exclusive हैं| लेकिन वास्तविक में exclusive नहीं है | अब ये point उनको लिखना चाहिए, वो क्या है कि ये सब धर्मों में समझ लीजिये | आप अगर मोज़ेस की बात लिखें, तो उन्होंने अब्राहम के बारे में कहा | फिर इसा मसीह आये, उन्होंने मोज़ेस, अब्राहम सब के बारे में कहा | फिर जब मोहम्मद साहब आये, इन्होने तो सब तीनों के बारे में, यहाँ तक कि ईसामसीह की माँ के बारे में भी लिखा | तो ये धर्म जो हैं, exclusive नहीं हैं, ये बनाये गए हैं |

इसलिए झगड़ा होता है और अगर उनसे, अगर कोई कहे कि कोई विश्व धर्म बनायें तो वो इस बात को बिलकुल नहीं पसंद करते, क्योंकि फिर वो लड़ेंगे कैसे? फिर लड़ने की उनकी जो अभी इच्छा है, प्रवृत्ति है उसे वो कैसे समाधान दे सकते हैं? इसलिए वो इस चीज़ को मानने को तैयार नहीं कि धर्म है, उनका जो है exclusive | और ये सारे exclusive धर्मं के ऊपर हम अगर चाहें कि democracy में एक-एक, इधर ये यहूदी आ जाये, उधर वो आ जाये, उधर वो आ जाये, तो झगड़ा  चलते ही रहेगा |

इसलिए उनको विश्व धर्म में आना चाहिए | विश्व धर्म में आते ही ये भावनाएं टूट जाएँगी कि हम अलग हैं और वो अलग हैं| अब देखिये, आप अगर देखें तो, आज भी, इस वक्त भी हर जगह धर्म को ले कर के बड़े-बड़े संग्राम हो रहे हैं, वो सब ख़त्म हो जाएँ, अगर ये हो जाये कि ये धर्म exclusive है ही नहीं | आप लड़ क्यों रहे हैं? ये अगर यहूदी है, तो वो मानता है, फिर ईसामसीह वाले लोग हैं, वो मानते हैं | ये सब लोग उसी एक-एक प्रणाली से ही निकले हैं, जब ये बात है, जब वो कोईसा भी धर्म exclusive नहीं है, तो ये झगड़ा ले कर के और सारी दुनिया में जो आज क्रंदन चल रहा है वो, उसको बंद करना (अस्पष्ट) |

तो उन्होंने यही कहा कि समझ लीजिये, अभी चेचन्या में मुसमलमानों को हमने राज दे दिया, तो ये मुसलमान कौम अब प्रसिद्ध है कि एक-एक आदमी 28 बच्चे तक पैदा करता है और इन्होंने ऐसे बच्चे पैदा कर-कर के, वो तो कहते हैं कि फैक्ट्री हैं वहां की औरतें, और अपने को majority (बहुमत) बना लिया है | अब कल उनको ये अगर राज दे देंगे तो फिर यही करेंगे, फिर आप उनको कैसे रोक सकते हैं ? तो इनके धर्म में जो है, जो कुछ भी शक्ति है वो ये है, कि हम बहुत बड़ी तादाद में हैं| तो ये बढ़ाना कोई मुश्किल नहीं है इनके लिए और इस तरह से ये अगर बढ़ गए, तो ये तो सारे रशिया को खा जायेंगे | तो ये रशियन क्यों नहीं होते? किसी एक धर्म को ले कर क्यों चलते हैं?

तो मुसलमानों का तो ये है कि अब जैसे हिंदुस्तानी है, तो वो पहले मुसलमान है, फिर हिंदुस्तानी, ये सारे देशों में है| पर अब यहाँ के मुसलमानों ने ऐसी चपत खायी, पाकिस्तान में कि हर रोज़ 18 से ले कर 20 लोग मारे जा रहें हैं, जो हिंदुस्तानी हैं | अब वो उनका (पाकिस्तान के, लन्दन में निष्कासित, मुहाजिर नेता अल्ताफ हुसैन का) interview (साक्षात्कार) आया था, शायद कहीं आप ने देखा हो, वहां आया था, तो उन्होंने ये कहा “न खुदा ही मिला, न विसाल-ए-सनम (प्रेमी के साथ मिलन), न यहाँ के रहे, न वहां के रहे |” ऐसी बुरी हालत है | अब यहाँ के हिंदुस्तानी लोगों की खोपड़ी में आ गयी बात कि हिन्दुस्तान में जो लोग रुरूक गए, वो बहुत समृद्ध हैं, वो सब ठीक हैं | उनकी कोई परेशानी नहीं, वहां तो सबको ये है कि कौन आदमी कल कट के खत्म हो जायेगा पता नहीं, ये दृश्य है| और मारे जा रहे हैं पाकिस्तान में, क्योंकि वहां सिंधी और पंजाबी जो हैं वो नहीं चाहते ये लोग रहें | अच्छा, हिंदुस्तानी होने की वजह से उन्होंने अपना एक group बना लिया |(हंसती हैं|) और सब करांची के आसपास रहते हैं | अब कहते हैं, हमें करांची दे दो, और क्योंकि हम majority (बहुमत) में हैं | अब करांची उनका एक-ही port (बंदरगाह) है |

तो सारे जो ये धर्म है, जो कि, खास कर इस्लाम, इस्लाम में जो सब से बड़ी बात उन्होंने कही है कि जब तक तुम खुद को नहीं जानोगे, तुम खुदा को नहीं जानोगे, पहले खुद को जानो |

और जो दूसरी बात, जिस पर इन्होंने आफत मचाई हुई है, वो ये है कि ये निराकार को मानते हैं, साकार को मानते ही नहीं | जो निराकार को मानते हैं वो ज़मीनों के लिए क्यों लड़ रहें हैं, | (हंसती हैं|) वो तो साकार जड़-जीव है? जब आप निराकार को मानते हैं, तो निराकार को प्राप्त करें, और निराकार को प्राप्त किये बगैर आप सिर्फ ज़मीनों के लिए लड़ रहे हैं, ये भी दूसरी गलत बात है |

पर इन लोगों को समझाना आसान नहीं है और इनके तो खून सवार है | जो भी बात है, लेकिन कहीं-कहीं ऐसे हम लोग articles देना शुरू कर दें, ऐसी बातें कहना शुरू कर दें, तो लोग सोचने लगेंगे, “देखिये, ये जो बात कह रहे हैं, इसमें सच्चाई कितनी है और झूठ कितना है?” और फिर ये भी देखेंगे कि हम आज तक लड़ते रहे, मरते रहे, उससे हमें क्या फायदा हुआ?

उसके बाद, मतलब एक मुसलमान जाति ऐसी है कि जो सहज योग के लिए बड़ी मुश्किल है और आती कम है | हालांकि ऐसा नहीं कहना चाहिए क्योंकि मुसलमान काफी जगह से आये हैं, सहज योग में हैं, अपने 15-20 सहजयोगी (हंसती हैं|) सारे world (संसार) में आप कह सकते हैं | लेकिन इस बार मेरा जब भाषण वहां हुआ रेडिओं पर, तो मैंने उनसे साफ-साफ कह दिया सारी बातें | और जब मैंने सारी साफ़ बातें करी, तो किसी ने कुछ मुझसे वो नहीं करी, क्योंकि वो लोग सब टेलीफोन से बात कर रहे थे | पर वहां की कुछ ladies (महिलाओं) ने फोन किया कि हमें तो ठंडा-ठंडा आ रहा है, माताजी की बात सुन कर और बहुत से लोग पार हो गए | तो ये भी एक सोच रहे हैं कि एक तरीका, जरिया है, जिससे जो लोग बाहर गए हुए हैं, जैसे iranians (ईरानी) हैं| अब वो लोग सब वहां बसे हुए हैं अमेरिका में, उनको हम पकड़ सकते हैं |

इस प्रकार, हर जगह मुसलमान जहाँ-जहाँ गए हैं, एक तो उत्पाती बहुत हैं, झगड़े करते हैं| और दूसरे ये कि ऐसी-ऐसी बातें सोचते हैं, जैसे कि अफ्रीका में उन्होंने अब सब अपना गुट बना लिया है और अभी एक आदमी जिसने कि एक बड़ा भरी एक गैंग बनाया था और वो चाह रहे थे कि वहां का जो वर्ल्ड ट्रेड, वो है, उसको उड़ा दें | उसमें वो पकड़ा गया, उसको 18 साल की सजा हुई | तो ये लोग जहाँ भी रहते हैं, उत्पाती हैं, समझते नहीं, समझाने की ज़रुरत है कि जब आप निराकार में विश्वास करते हैं, तो आप ज़मीन के पीछे में क्यों लड़ रहे हैं?

और दूसरी बेवकूफी की बात इनकी ऐसी हुई कि (हंसती हैं) जब आप मर जायेंगे और जब आप गाड़े जायेंगे, तो जब कियामा आएगा, जब resurrection (पुनरुत्थान) का टाइम आएगा, तो उस वक्त में आपके शरीर निकल आएंगे और उनको resurrection (पुनरुत्थान) होगा | तो अब बताइये 500 साल बाद कौन सा शरीर का हिस्सा निकलेगा और किसको ये होने वाला है | (हंसती हैं|)

इस प्रकार, आप सोचिये कि काफी अजीब चीज़ है | पर इसको किसी तरह से लिख कर के और ये करके हम लोगों को चाहिए कि कुछ न्यूज़-पेपर में ये लिखा जाये और उनको बताया जाये कि बेवकूफ़ी की बातें न करें और इस बेवकूफ़ी में (अस्पष्ट) फंसे | और सब से बड़ी बात तो ये है कि मोहम्मद साहब ने कुरान नहीं लिखी, चालीस साल बाद मोहम्मद साहब के ये कुरान लिखी गयी | ईसा मसीह ने कभी कोई बाइबल नहीं लिखी और न ही मोज़ेस ने कुछ लिखा (हंसती हैं)| इस प्रकार ये भी बात है कि इसकी authenticity (प्रमाणिकता) क्या है, इसके लिए आप लोग लड़ रहे हैं | अब ये अगर इस तरह से चलते रहे, तो नर्क में जायेंगे  और कोई इलाज तो मुझे दिखाई नहीं देता है| बेवकूफ़ी की भी कोई हद होती है और ऐसी बेवकूफी की बातें कर के और इनका कोई कल्याण नहीं हो सकता | अब अगर इनमें से, मुसलमानों में से कोई ढूंढो तो बहुत मुश्किल है, हो सकता है एकाध-दो निकल आये और आदमी इतनी हिम्मत कर ले कि ये बातें कहे और समझाए| पर ये लोग सब डरते हैं कि वो मारे जायेंगे और उनको ख़त्म कर देंगे | पर ऐसा होगा नहीं क्योंकि अगर सहज में आएं, तो किसी को मार नहीं सकता | उतनी हिम्मत कोई अगर करे तो इन लोगों को समझा सकते हैं और ये जो सब से बड़ी चीज़ है कि हमारी शांति ख़त्म हुई है, ये धर्म की वजह से | ये जो अधर्मी धर्म है उसकी वजह से हमारे अंदर शांति नहीं है | अगर एक चीज़ ये ही ख़त्म हो जाये तो युद्ध का, मैं कहती हूँ कि at least (कम से कम)  75% problem solve (प्रश्न हल) हो जाये | 

अब दूसरी बात ये है कि अशांति कहाँ से आती है, क्योंकि अगर उस पैमाने पे देखा जाये कि बड़े-बड़े देशों में लड़ाई हो रही है, झगड़े हो रहे हैं, तो ये दूसरी बात है| अब जैसे शिराक़ साहब ने वहां पर एटम बॉम्ब लगा दिए, तो अब उनके यहाँ भी बहुत से बॉम्बस पड़ रहे हैं | लेकिन अगर आप व्यक्तिगत देखें, individually देखें, तो individual (एक व्यक्ति) में जो अशांति है वो कहाँ से जाती है, किस वजह से मनुष्य अशांत हो जाता है? अब उसकी जड़ें अनेक हैं | आप कहेंगे jealousies (ईर्ष्या) हैं, ambitions (महत्त्वाकांक्षाएँ) हैं, ये है, वो है | और राइट साइडेड आदमी हो तो अशांत रहेगा, लेफ्ट भी रह सकता है | क्योंकि लेफ्ट दुखी बन के रहेगा और राइट जो है वो अपने को सुखी समझ के रहेगा, पर है तो दोनों में ही अशांति | उसके लिए उनकी अशांति को हमें ठीक करना है |   

अब मैंने, मेरी किताब में आपने पढ़ा होगा कि मैंने उसमें जीन्स के बारे में लिखा है | सहज में आने से जीन्स ठीक हो जाते हैं और जब जीन्स ठीक हो जायेंगे, तो इंसान अपने-आप शांत होगा, कहने की कोई ज़रुरत नहीं और उसकी सारी ही तबियत बदल जाएगी | तो उसमें मैंने काफी explain (विस्तार से) कर के बताया है फॉस्फोरस पे, कि फॉस्फोरस जो जीन्स में होते हैं, तो जब आदमी ड्राई(कठोर/रसहीन/रूखा) हो जाता है तो फॉस्फोरस explode (विस्फोट) करता है, वो तो आप जानते हैं explode करता है | तो अभी वर्लीकर कह रहे थे कि, “माँ, ये तो पॉइंट किसी ने आज तक कहा ही नहीं| एक साहब को फॉस्फोरस पे तीन बार, तीन लोगों को नोबल प्राइज़ मिला, पर ये जो बात आपने कही, ये किसी ने आज तक कही नहीं |” तो कहा भई ये तो नोबल प्राइज़ के लिए गए ही हुए हैं, शायद हो ही जायेगा peace (शांति) पर |

पर बात क्या है, कि जब आदमी के अंदर अशांति आ जाती है, तो अशांति में ग्रुपबाजी हो सकती है | मैं सोचती हूँ, दो तरह से होती है, एक तो अहंकारी लोगों की होती है और दूसरी जो कि लेफ्ट साइडेड है, possessed (भूत-बाधित) हैं | अफ्रीका की जो गड़बड़ है, वो है possessed (भूत-बाधित) लोगों की, लेकिन बाक़ी जो है इनके अहंकार की | तो अगर अहंकार और possession (भूत-बाधा) दोनों को अगर हम लोग  नष्ट कर दें, तो हम शांत हो जायेंगे और उस शांति के माध्यम से हम स्वयं ही दूसरों को शांति दे सकते हैं | तो ज्यादा ध्यान इधर करना चाहिए कि भई, देहात में गए, वहां लोगों को realisation (आत्म-साक्षात्कार) दिया था, उनको शांति का मार्ग समझाना है |

अब जैसे north (उत्तर)  के जो गाँव हैं, उसमें एक खराबी जो बहुत पायी जाती है, वो कि यहाँ पर मुसलमान mentality (मानसिकता) की वजह से औरतों को बहुत दबाया जाता है और फिर औरतों को जब आप दबाते हैं, तो जब वो खड़ी होती हैं तो भी मर्दानों से बढ़ के | (हंसती हैं|) तो ये जो Respect for woman (महिलाओं के प्रति इज़्ज़त) होनी चाहिए |  और यहाँ की औरतें भी ऐसी कुछ पिछड़ी हुई हैं कि वो समझ नहीं पाती कि अपना self-respect (आत्म-सम्मान) क्या है? अब सहज योग में मैं देखती हूँ, हमारे यहाँ औरतें बड़ी कमज़ोर हैं, हालांकि मैं एक औरत हूँ |  ध्यान नहीं करना, मतलब back-biting ( दूसरों की बुराई करना), झगड़ा लगाना, अब भी ये धंधे चलते रहते हैं और सब से बड़ा तो domination (दूसरों को दबाना)|  अब ये चीज़ें जो इन औरतों में आ गयी हैं, उससे अपनी शक्ति हीन हो जाती है, क्योंकि औरतों से शक्ति आती है, Potential तो वो हैं| और जब वो इस तरह से behave  करने लग जाती हैं, तो सारे ही समाज की जो शक्ति है, खत्म हो जाती है |

तो सबसे बड़ी बात ये है कि अपनी औरतों में शांति प्रस्थापित करना चाहिए | और उसके लिए husband में भी शांति होनी चाहिए | (हंसती हैं|) वो अगर शांत हो और wife की respect करे, तो मेरे ख्याल से बच्चों में भी शांति आ जाएगी, घर में भी शांति आ जाएगी | अब यहाँ पर जो  तरह का aggression  है, पुरुषों का, वो वहां तक कभी सीमित रहेगा ही नहीं, वो वापिस लौट कर के आदमियों पे आएगा | तो जो companionship होती है, जो आपस में प्यार से बात करना, आपस में अच्छे से बात करना, सब के सामने किस तरह से behave  करना चाहिए और वैसे भी इस चीज़ पे हम लोगों को ध्यान देना चाहिए |

जैसे बहुत से लोगों को मैंने देखा है, कि उनकी बीविबियां किसी काम की नहीं, सहज के लिए, उनको खोपड़ी पे बिठा देंगे, खोपड़ी पे बैठ जाएँगी | बहुतों के husband ऐसे हैं जो बीविबिओं की परवाह नहीं करते और उनको मारते-पीटते रहते हैं | अब भी सहज योग में ऐसे cases (उदहारण) हैं | इससे बड़ा दुःख होता है मुझे कि अब भी अगर मियां और बीवी में companionship (साहचर्य/सामंजस्य) नहीं आता है, तो ये कोई serious (गंभीर) बात है | मेरे लिए बड़ी serious बात है कि complete companionship (पूर्ण सामंजस्य)  | क्योंकि आप अभी सहज योगी हो गए हैं, वाइफ भी आपकी सहज योगी है और जब दोनों आदमी एक ही इसमें बैठे हुए हैं, तब उनमें आपस में झगड़ा कैसे होगा ? होना ही नहीं चाहिए, क्योंकि ये बड़ी dangerous (खतरनाक) चीज़ हैं, जब आप सहज योग में आये हैं और आपस में लड़ रहे हैं, तो सबसे तो बड़े कि आपसे deities (देवी-देवता) सब नाराज़ हो जायेंगे और किस आफत में फंसेंगे, वो कह नहीं सकते | ये बड़े ध्यान देने की बात है |

समझ लीजिये, एक औरत है और एक आदमी ऐसा है, कि जबरदस्ती उसे परेशान कर रहा है, बेकार में, ये नहीं अच्छा, वो नहीं अच्छा, ऐसा नहीं, वैसा नहीं | तो एक दिन ऐसा आ जायेगा कि उस आदमी की सारी deities उससे नाराज़ हो जाएगी, लक्ष्मी का problem (समस्या)! लक्ष्मी का नहीं हुआ तो हार्ट का problem | सब से तो बढ़ के लेफ्ट नाभि जब पकड़ जाती है तो और तरह की बीमारियां हो सकती हैं | अब लेफ्ट नाभि पर बहुत ही जयादा मैंने काम किया है और मैं देखती हूँ कि लेफ्ट नाभि जो है, वो बड़ी मुश्किल से ठीक होती है, क्योंकि introspection (अंतर-अवलोकन) नहीं, सोचते नहीं कि लेफ्ट नाभि हमारी क्यों पकड़ रही है | फिर समझ लो, wife (पत्नी) है, वो जबरदस्त है, सुनने को तैयार नहीं और अपना ही चलाती है, जो भी है, अपमान करती है, उससे बैठ के बात करो | आपस में rapport ( संपर्क) होना चाहिए, बातचीत होनी चाहिए |

अब लोग सहज योग में आते हैं, तो देखा जाता है कि चले सहज योग के पीछे, कभी मियां-बीवी की बातचीत नहीं, बच्चों  से बातचीत नहीं | ये तो ऐसा ही हुआ जैसे कि इंग्लॅण्ड, अमेरिका में लोग holiday  पे जाते हैं | सहज योग के लिए टाइम देना चाहिए, उसके लिए मेहनत करनी चाहिए, पर companionship में, दोनों मिल कर | बच्चों को भी इसमें लाइए, wife को भी लाइए, सब को ला कर के | अगर आप चाहें कि आप तो सहज योग का कार्य करते रहें  और wife अपनी घर में बैठी रहती है, जाते ही साथ तो वो बिगड़ पड़े | तो कोशिश ये करनी चाहिए कि पूरी companionship हो | wife से discuss करें, उसे बताएं क़ी ये plan  है, कैसे करें, क्या करें| उनका भी उत्थान होना चाहिए, उनकी भी intellectual level  बढ़नी चाहिए, उनकी भी सूझबूझ बढ़नी चाहिए |

सो, ये जो मुसलमानों के असर से यहाँ पर मैंने देखा है कि अब उल्टा हो रहा है | पहले तो मैं देखती थी कि औरतें बहुत दब्बू थी, अब वो औरतें आदमियों को दबोच रही हैं | (हंसती हैं|) तो ये जो action-reaction (क्रिया-प्रतिक्रिया) है इसको सहज योग में एकदम ख़त्म कर देना चाहिए और उसका इलाज ये है कि पहले अपने जीवनी में, अपने वैवाहिक जीवन में ये ठीक करना चाहिए | अब जब आप शांत हो जायेंगे, तो आपके बच्चे भी शांत हो जायेंगे |

ये सारी जितनी भी बीमारियां हैं जो अशांति की जिसमें आप बड़े-बड़े युद्धों में आप देखते हैं, ये आती कहाँ से हैं? ये मनुष्य से आती है, कोई आकाश से नहीं आती, कोई आपके पेड़ों से नहीं आती | ये जो जड़ इसकी जो है, मनुष्य है और अगर मनुष्य ही इस चीज़ में, शांति में रम जाये और उसमें वो पनप जाये और उसके लिए वो बड़ी गौरवशाली चीज़ समझे कि, “मैं बहुत शांत चित्त हूँ |” कम से कम अपने सामाजिक ढर्रा ठीक हो जायेगा |

जो सामाजिक ढर्रा है उसको ठीक करने का भी कार्य सहजयोगियों को करना है, पर जो आपस में लड़ते रहते हैं, वो क्या जा कर के सामजिक ढर्रा (ठीक) करेंगे | बहुत बार ऐसी शिकायत आती है कि, “माँ वो साहब तो बहुत अच्छे हैं, उनकी बीवी बड़ी जबरदस्त है |” फिर कहीं आता है उनकी बीवी अच्छी तो (हंसती हैं) साहब बड़े ज़बरदस्त हैं | इस प्रकार बहुत बार reports (समाचार) आते हैं |

तो हम लोगों के पास तो अपनी एक सभ्यता है, अपना एक तौर-तरीका है, उस सभ्यता से वंचित हो कर के और हम गलत काम कर रहे हैं| क्योंकि अपने यहाँ, कम से कम, जैसे हम महाराष्ट्र में देखते हैं, बीवी की बहुत इज़्ज़त करते हैं, बीवी भी husband  (पति) की बहुत इज़्ज़त करती है| एक सभ्यता है और उसमें ऐसा नहीं चलता है कि husband, wife (पति, पत्नी) को सोचता है कि वो कोई और चीज़ है या उसका दर्जा उससे कम है | ये बहुत बार मैंने समझाया कि रथ के दो पहिये होते हैं, एक अगर छोटा-बड़ा हो जाये तो ठीक नहीं | दोनों की similarity (समानता) नहीं होती| उनकी, ये कहना चाहिए कि उनकी height (ऊंचाई) एक होती है, बनावट एक होती है, सब होती है | पर दोनों, अगर राइट का लेफ्ट में लगाओ और लेफ्ट का राइट में लगाओ तो लगेगा ही नहीं |

तो दोनों में जो है अपनी-अपनी विशेषता है, जैसे एक औरत है, औरत की अपनी कमज़ोरियाँ, कमज़ोरियाँ कहने से (हंसती हैं) उसकी एक अपनी तबियत होती है, आदमियों की अपनी एक तबियत होती है, वो घड़ी लगाए रहते हैं, ऐसे, घड़ी चलती रहती है आदमियों की | तो, मैं तो बहुत आदमियों से कहा कि तुम घड़ी उतार दो पहले | अब औरतों को है, ज़रूर थोड़ा टाइम लगता है, कहीं जाना हो, कुछ हो और वो टाइम से नहीं चले तो हो गया आदमी लोगों का तो | इस प्रकार छोटी-छोटी चीज़ है, I mean (मेरा मतलब है) (हंसती हैं) ये बड़ी छोटी चीज़ है, इस पे ही सारा झगड़ा शुरू हो जाता है और मुझे ये लगता है कि कुछ आदमी सोचते हैं वो in-charge (उत्तरदायी) हैं सब चीज़ के कि अब टाइम से पहुंचना है| नहीं हुआ टाइम से तो कोई ऐसी आफत नहीं आने वाली |

धीरे-धीरे अपने mind (मन ) को ऐसा train (प्रशिक्षित) करें कि जिससे आप react  (प्रतिक्रिया) न करें |  हर समय mind (मन) को ऐसी दशा में रखना चाहिए कि react (प्रतिक्रिया) न करें, सिर्फ उसको देखते मात्र रहें | धीरे-धीरे आपको आश्चर्य होगा कि आप भी ठीक हो जायेंगे, आपकी बीवी भी ठीक हो जाएगी और दोनों को ही ये चीज़ practice (व्यवहार में लानी) करनी है कि दोनों जो ही इसको witness (साक्षी) की तरह से देखें | तो ये जान लेना चाहिए कि औरत चीज़ अलग है, आदमी अलग चीज़ है और उनके ज़रिये अलग है और उनके तरीके अलग हैं | हालाँकि दोनों की समझ लीजिये similarity (समानता) यही है कि दोनों इंसान हैं | अब इस पर थोड़ा सा आप लोगों को खोज करना चाहिए कि सहज योग में इस प्रकार के problems (समस्याएँ) क्यों आते हैं ?

जैसे एक लड़की लखनऊ की आयी थी, यहाँ पे, शादी हो कर, उसके पच्चीसों problem (समस्याएँ) खड़े हुए हैं, उस लड़की के| उससे बातचीत करना चाहिए, उससे पूछना चाहिए कि क्या बात है, क्या नहीं? सहज योग किसी को तोड़ने के लिए नहीं, सब को जोड़ने के लिए है | तो कोई जैसे अगर चीज़ टूटती है, उसके पीछे क्या कारण है, कैसा है, इस तरफ आप लोगों को देखना चाहिए और उसको जोड़ना चाहिए |

अब जब ये जोड़ना शुरू हो गया, तो ये भी सोचना चाहिए कि अब दिल्ली वाले हैं, तो वो बम्बई वालों से एकदम जुड़ जाएँ, वैसा नहीं होता | ‘नहीं, दिल्ली में पूजा होनी चाहिए|’ क्यों साहब? अगर बम्बई में हुई, तो भी दिल्ली में ही हो रही है | जब आप अपने दिल को बड़ा कर के देखिये, तो आप तो सारा विश्व हैं | कहीं भी पूजा हो रही है तो भी वो आप ही के लिए हो रही है | बहुत ये है, कि हमारे दिल्ली में होना चाहिए, आप यहाँ ज़रूर आइये | अब इसी सिलसिले में मैं यहाँ-वहां भटकती रहती हूँ | कोई साहब आएंगे कहेंगे कि मुरादाबाद ज़रूर आइये, फिर कहेंगे कोई (हंसती हैं ) आप और फैलाने जगह ज़रूर आइये | ऐसे कितनी, इस उमर में हम कितने सफर करते हैं, इसलिए कि लोग ये न सोचें कि हमने किसी को और को favor (पर ज़्यादा कृपा कर दी) कर दिया और किसी को |

तब फिर मैंने, अब जैसे सोचा कि मैं European tours में नहीं जाऊँगी, यूरोप में जाऊँगी नहीं| तब Europeans, हम जहाँ जाते हैं, वहां आते रहते हैं| रोमानिया गए, वहां पहुँचे हुए हैं  और हम रशिया गए, वहां पहुँचे हुए हैं| सारे वहां पहुँच जाते हैं, क्योंकि अब माँ से मुलाकात कहाँ हुई, माँ तो आ नहीं रही हमारे देश में, तो जो वो खर्चा हमारे आने का करते थे, वगैरह, उसी से वो लोग सब इस तरह से अब सब दूर-दूर  (अस्पष्ट) | अब देखिये सहज योग में आप सब का नाम सब को मालूम, ये कौन है, वो कौन है | रिश्तेदारी कितनी है,  बहुत बड़ी रिश्तेदारी, दुनिया भर में | और जब आप घूमने लगेंगे इस तरह से, जैसे अब हम कह रहे हैं कि अच्छा हम दिल्ली कभी नहीं आएंगे और हम अब नागपुर आएंगे, समझ लीजिये, तो सारे नागपुर आएंगे |  है कि नहीं बात! तो इस तरह से ये detachment (निर्लिप्तता) होना चाहिए | तो मैं देखती हूँ कि माँ, आप यहाँ आइये, आप वहां आइये | कोई सोचता ही नहीं कि इस उमर में हम इतनी मेहनत कर रहे हैं, इतना हमें चलना-फिरना पड़ता है | और जरा सा, इस तरह से, अगर हर समय आप, ये इधर खींच रहा है, वो उधर खींच रहा है, तो कैसे हो सकता है?

तो इस पर भी थोड़ा सब लोगों को समझाना चाहिए कि माँ को जितना कार्य करना चाहिए था, उतना माँ ने कर दिया और अब वो उनकी मर्जी होगी, वो होना चाहिए | हम लोग उन पे कोई चीज़ नहीं लगाएंगे | वो कहेंगे तो पूजा करेंगे…

Part 2

तो इस पर भी थोड़ा आपसब लोगों को समझाना चाहिए की माँ को जितना कार्य करना चाहिए, तो उतना माँ ने कर लिया। अब वो उनकी जो मर्ज़ी होगी वो होना चाहिए। हम लोग असपे कोई नई,  

वोह कहेंगे तो पूजा करेंगे वोह खुद कहे मान जाए तो है नहीं तो नहीं,  उनपे ज़बरदस्ती किसी तरह का नहीं होना। इससे एक होजाएगा की हमारी हेल्प थोड़ी बच जाएगी। अगर और थोड़ा कार्य करने का हैं। उसके लिए में नहीं चाहिती की मेरी खींचातानी हो। अब जो भी आपको प्रोजेक्ट करना आप लोग उसे करिए,  व्यवस्थित रूप से उसे सोच ले और वह भोजा मेरे सर पे मथ डालिए। 

छोटी छोटी चीजों  के लिए, अब कोई बीमार है, फोन कर दे पलाने बीमार हैं। अरे बई तुम सब सहजा योगी ही तो हो तुम्हें इतने पावेर्स (शक्तियाँ) दे दिये, मुझे क्यूँ परेशान करने की जरूरथ हैं। आप लोग करिए, अब आपकी जिम्मेदारी मेरे,। मैं तो सोचती हूँ कि मेरे बच्चे बहुत बड़े बड़े हो गए है। बोहोतबहुत रेस्पोन्सिब्ल (जिम्मेदार) हो गए हैं और सब कुछ समझते हैं और ये दिलासा आपको देना चाहिए कि माँ आपको परेशान होने कि जरूरथ नहीं हैं, । हम लोग टीक कर देंगे। हम इस चीज को टीक कर लेंगे, उस चीज़ को टीक कर लेंगे  

ऐसी तरह से जब शुरू हो जाएगा तब मुझे एक मिनान हो जाएगा कि ऐसी कोई बात नहीं। अभी तो हाला कि ऐसी हालत है कि यहां से चिट्ठीयों पे चिट्ठी, किसी का कुछ, किसी का कुछ।  लेकिन उसे कहना चाहिए कि बई, आपको अगर चिट्ठीयान भेजना हैं तो सेंटर्स में भेजो, आप क्यूँ माँ को परेशान कर रहे हैं। अब ये देखना चाहिए कि कितने लोगों ने सहज योगा के कितने प्रॉब्लेम्स (परेशानियाँ) का सॉल्व (हल) कर रहे हैं, हमारे जैसे। हम ही सॉल्व (हल) करे। उसका ये प्रोब्लेम (परेशानी)। अब जब ये बात आ जाती हैं तब पहले तो आपको सहजा योगा पूरी तरह से मालूम होना चाहिए और आप शुद्ध अंतःकरण से करे। दोनों चीज बोहोतबहुत ज़रूरी हैं। क्यूंकी अगर आप, बोहोतबहुत से लोगों को मैंने देखा हैं, हाँ आप लाओ मैं उनको टीक करता हूँ। उसके ऐसे दम निकाल देते हैं कि वोह आदमी केहता हैं, बाबा सहजा योगा से छुट्टी कर दो। 

तो ऐसा करिए कि कमेटी बनाए और उस कमेटी के थ्रू (मादयम) से सोल्युशंस (हल) होने चाहिए। और जैसे उनको ये हैं,  अब आप कहीं गए हैं तो यह बताते हैं, हमे यह प्रोबेल्म (परेशानी) हैं उनका यह प्रोब्लेमपरेशानी हैं। अब मेरे खयाल से एक दशा से आप लोग पूरी तरह से परिचित हैं। आप ये जानते हैं क्या करना चाहिए, हर एक चीज के बारे मैं। और अगर मन पड़ा तो मैं इसके ऊपर एक किताब लिखना चाहिती हूँ कि किसी को कोई प्रॉब्लम हो तो उसको कैसे सलूशन देना है। पर आप लोग खुद ही इसको लिख सकते आप खुद ही एस्को बता सकते हैं। अब उससे क्या हो जाएगा कि जो यह भोजा जो मेरे ऊपर हैं ये आप लोगों पर आ जाएगा और उससे आप पनपेंगे उससे आप पढ़ेंगे और यह नया साल जिस दिन आप सोचते हैं अगले साल और कोई नईहीं चीज़ होगी।

इसके लिए मैं आपसे सबसे पहले केह दू बाद में मैं परदेश में कहूँगी। इसलिए कह रही हूँ कि आप में जो धर्म हैं, वह जो एडवांटेज हैं, जो सभ्यता आपके अंदर है, उसके बूते पर आप बहुत ज्यादा कुछ कर सकते हैं। फ़ॉरेन में भी लोग आप को बोहोतबहुत मानते हैं। कहते हैं कि अगर कोई इंडियन्स मिल जाये तो नथिंग लाइक इट (इससे बड़िया कुछ नहीं)। अब एक लेडी को भेजा हैं इंडियन को वहाँ शादी करा कर उन्होने ऐसे तमाशे कर दिये की, बाबा उनको फिर तो आप इसको अंग्रेज़ी कहते हैं। तो यह छीजे हैं जो की खास करके देखने की और सोचने कि। रही दूसरी शादी कि भी बाथ तो उस पर भी मैं कहना चाहिती हूँ आप लोगों से कि आप लोग लीडर्स हैं। ये शादी को बोहोतबहुत सोच समज के सजेस्ट करनी हैं। इससे अपने को तोह कोई फाइदा तोह होता नहीं हैं। आप कितनों कि शादी करिए उससे कोई फाइनन्शियल (आर्थिक) भी फाइदा नहीं होता न कि कोई और फाइदा होता सिवाय इसके कि अगर वोह हेप्पिली मर्रीड (खुशी से विवाह) हो जाये, हस्बण्ड अँड वाइफ़ (पति और पत्नी) तोह उनको फाइदा होता हैं। और बड़े बड़े संत सादु भी जनम ले सकते हैं। पर वोह लोग ये सोचते हैं कि हमे ओबलाइज (लाचार) करे अगर शादी करे। उनका एट्टीट्यूड (मनोभाव) ही हैं कि वोह बड़े हमे ओबलाइज (लाचार) करे कि उन्होने शादी कर ली। उसका हमे क्या एडवांटेज (फाइदा) हैं। तो जब आप रिकमेंड (सलाह) करे तोह उनको बता दे कि स्वयं माँ का कोई एडवांटेज (फाइदा) नहीं हैं। सहजा योग में कोई एडवांटेज (फाइदा) नहीं हैं सिवाय इसके कि आपकी शादी हम करा रहे हैं, आपका एडवांटेज (फाइदा) हैं। उसके बाद बोहोतबहुत छान बीन के बाद हि शादियाँ कराने चाहिए। क्यूंकी एक दम से कहि से कहि शादी हो जाती तोह बोहोतबहुत प्रॉब्लेम्स (परेशानियाँ) हो जाते हैं। यह सब देखते हुए कि अब लोग ठीक हो रहे हैं। मेरेजेस (शादियाँ) ठीक हो रहे हैं। मुझे बच्चों की तरफ भी ध्यान देना हैं। औरअब जो पहली चीज मैंने कही कि सब की शांति रहनी चाहिए। दूसरी मैंने चीज की कि सामाजिक औरतों का मान और औरतों को संभाला, और समाज की जो अधूरी, जो समाज के जो आधार है वो औरतें हैं। औरतों को समाज संभालना पड़ता है। उसके लिए पुरुषों कि उतनी जरूरथ नहीं, पुरुषों का काम हैं की अपना एकेनोमिक्स और पोलेटिक्स करते रहे, औरतों को समाज। तोह वो सक्रिफ़िसिंग (त्याग) होनी चाहिए, समझदार होनी चाहिए और सुद होनी चाहिए, तब यह समाज अपना ठीक रहेगा। 

अब बोहोतबहुत सी औरते हैं भी, गेनेरस (उदार) नहीं हैं। कभी सहज योग के बारे में खास जानती नहीं हैं और जो जानती है वह पता नहीं अपने आप को पता नहीं क्या समजति हैं। तोह उनमे बैलेन्स (संतुलन) लाना उनको भीटाकेबिठाके समजाना, ये बोहोतबहुत हिही ज़रूरी काम हैं। दिखने में लगता है कि ऐसी कोई बात नहीं लेकिन मैं सोचती हूं कि यह बड़ी अहम बात है। बहुत इंपोरटेंट (ज़रूरी) बात हैं कि जो हमारे यहाँ जो स्त्री हैं, उसको पता होना चाहिए कि वोह क्या हैं, किसलिए इस दुनिया में आए, उसका क्या कार्य है। वोह हैं समाज बनाने वाली और उसको समाज बनाने में कहां तक आप मदद कर रहे हैं यह समझना हैं। इस तरह से एक द्यान इदर हो जाये तो दूसरा मतलब यह कि औरतों की तरफ ध्यान देना चाहिए। बोहोतबहुत ज़रूरी हैं।  तीसरी जो चीज मैंने बताइए वह के कि बच्चों के बारे में। अब बच्चों के बारे में भी हमारे जो खयालात हैं, जो कुछ भी है उसको समझना चाहिए। बच्चों से बातचीत करनी चाहिए, पूछ ताछ करनी चाहिए। इंग्लैंड में उन्होने एक किताब चापि जिनमे उन्होंने बच्चे सब के बारे में क्या कहते हैं वोह लिखा। वोह जब चापि जिस दिन पब्लिश हुई दूसरे दिन सारी कि सारी बिक गयी और अभी यह हाल हैं कि वो किताब मिलना मुश्किल हैं। क्यूंकी वोह इतनी मजेद्दार हैं बच्चों कि चीज़ कि वोह सब लोग पड़ना चाहते हैं। बच्चे क्या कह रहे है, बच्चों का क्या हैं। बहुत ही प्यारी प्यारी बातें उसमें बच्चों ने बताया। यहां तक उस जमाने में जो प्रैम मिनिस्टर थे वो और मिनीस्टेर्स ते उनके बारे में। 

उससे दो चीज हो जाएगी कि एक तो समाज में बच्चों की कोई अपनी, कहना चाहिए, शक्ति हो जाएगि।  बच्चे जो कह रहे हैं उनमें क्या इन्नोसेंस (भोलापन) हैं, उसके माध्यम से ये क्या कह रहे हैं। यह सारे समाज को मालूम हैं। तब समाज से आदान-प्रदान होता है। बच्चे देखते हैं कि हमने जो कहीं बात माने गए हैं। फिर जो बड़े हैं वो सोचते हैं कि यह बच्चों ने बात कही इसको कैसे हमें एट्ट्ण्ड (ध्यान) देना चाहिए। तो आदान प्रदान    शुरू करना चाहिए। उसमे बच्चों में रूदनेस्स (असभ्यता) नहीं आनिणि चाहिए न हि उनमे कोई अहंकार होना चाहिए, पर अपनी बात कहने की क्षमता उनमें आजानी चाहिए। उस बात को भी आप ध्यान देकर और ऐसी प्यारी प्यारी बातें बच्चे करते हैं कि मुझे तो बड़ा मजा आता हैं। मुझे अगर सौव बच्चे दे दिये जाये तोह फिर कोई चीज़ कि जरूरथ नहीं हैं। 

उनकी जो समझ है वह बड़ी गहरी हैं और बड़ी संवेदनशील। छोटी छोटी चीजों को देखते हैं और छोटी छोटी चीजों को इतने प्यार से बताते हैं कि, जैसे कि कोई सारे डिवैन क्णोलेड्ज (दिव्य ज्ञान) और डिवैन अक्टिविटी है, उसमें बिल्कुल समाया हुआ है। छोटी-छोटी बातें, अब जैसे यहां यह रखा है, यहाँ कोई अगर बच्चा होगा तो वोह आकरके उसको अर्गनाइज़ (संघटित) कर देता हैं। ऐसे नहीं, माँ के लिए यह चीज पहले रखनी चाहिए, वो चीज़ बाद में रखनी चाहिए ला के रख दिये एक जैसे ऐसे नहीं रकते हैं। वो लोग वाइब्रेशन से सारी बात करते हैं।  मैंने देखा अधिकतर बच्चे वाइब्रेशंस पे बात करते हैं और फिर वह बड़ों को भी बोहोतबहुत ठीक कर देते हैं। 

एक साब आए तो वो बैट गए और बैटते बैटते ऐसे हाथ कर दिये। तो बच्चों ने उनसे कहा की आप ऐसे पीछे हाथ करके क्यूँ बैठे हैं। आप सीदे बैटिए इस तरह से, तो वोह थोड़ा नाराज़ होगाए। तो उससे क्या मतलब। कहने लगे ऐसे मठ बैटिए। तो उन्होने कहाँ क्या बाथ, तो आपको माँ के चैतन्य कैसे मिलेंगे। ये तो आपके सारे चैतन्य ज़मीन के वाइब्रेशंस मिलेंगे। में गए। तो हैरान होगाए की ये बच्चे, छोटे छोटे हैं, तीन चार साल के होंगेबच्चे। ऐसे अनेक छीजे हैं उनकी हैं जो मुझे मालूम हैं और मुझे बड़ा मज़ा आता हैं। किस तरह से बच्चे बोहुहोत सारी बाते कह डालते हैं और समझाते हैं और मेरा भी बड़ा खयाल रखकते हैं। तो बच्चों से सीकखना। जो तीसरा यह हैं की बच्चों से सीखना, बच्चों से राप्पोर्ट (संसमबंबंद) रखकना, उनसे बातथ करना। फिर जब बड़े होजाजते हैं तब हम उनही जैसे हो जाते हैं। लेकिन जो संवेदनशीलता हैं, वो बचपन में होती हैं। तो उनसे बैट कर बाथे करना हैं। उनसे पूछना किसी चीज के बारे में कुछ। यह बड़ी अहलाद्दाईनी चीज़ हैं और इस अहल्लाहलाद सब को प्राप्त करना चाहिए। तो मैंने आप से बताया की रिलीजियन (धरम) के नाम से जो लोग जगदा करते हैं उनके अंदर शांति प्रस्तापित करनी हैं। उनसे बाथ चीत करना, सम्झना। 

और फिर जो सेकंड (दूसरी) चीज़ हैं, मैंने आप से बताया की समाज। समाज अगर अच्छा नहीं होगा तो अभी भी अमन, चैन, शांति उस देश में नहीं आएगा।  उसकी प्रगति नहीं होगी।  अब जैसे देखे रशिया की बात मैंने देखी कि वहां का समाज बहुत अच्छा हैं। चैना का समाज बहुत अच्छा है। इसी तरह हिंदुस्तान का भी समाज अचा हैं और इसका कारण वहां की स्त्रियां हैं। उन्होने समाज को बांद रखा हैं। अम्रीका में बोहोतबहुत समृद्धि हैं सब कुछ हैं पर समाज बहुत खराब है।

तो सहज योग का बड़ा भारी कार्य है कि समाज की जो फाउंडेशन (आधार) है उसको बनाये। हर जगह के जो समाज है उसमें क्या-क्या गैरकानूनी चीज होते हैं क्या क्या गैर बातें होते हैं। अब जैसे वहां पर अमेरिका में एक छोटी लड़की को बहुत मारा-पीटा गया, ये, वो, तो उनका फोन आया मुझे। माँ हम चाह रहे हैं कि उस लड़की को support (मदद) करे तो मैंने कहा बिलकुल करो। उसको बहुत ज़रूरी हैं। उसको क्या चाहिए, क्या नहीं।  उसको अपने पास लाकर देखो और उसकी बहुत मदद करो। पुलिस से पूछ कर के, कि हम इसको संभालते हैं।

तो एक तरह का नया आयाम नया dimension आपको मिल जाएगा कि ये लोग बहुत परवाह करते हैं। कोई परेशान है, किसी के पास में खाने पीने को नहीं है, किसी के पास में और कोई चीज जिसके लिए परेशान है, वो किसी लालच की वजह से नहीं, परेशानी की वजह से परेशान है, तो उसकी तरफ ध्यान देना हम लोगों को अब बहुत ज़रूरी हो गया है। टाइम आ गया है कि जब हम सामूहिक तरीके से समाज के प्रश्नों का हल निकालें और इस तरफ ध्यान देना चाहिए। जैसे एक infirmary (हस्पताल) निकालें। जो लोग बुड्ढे हो गए हैं, जो चल फिर नहीं सकते। तो उनको जो है कोई रहने की जगह होनी चाहिए। फिर वहां एक refugee कैंप निकालना हैं, फिर वहाँ एक leper (कोडी) होम निकालना हैं। काफी छोटे उम्र थी हमारे, तीनों चीजें शुरू कर दी। हम चले आए पर अभी तक वो चल रही हैं।

तो इस तरह की तरफ भी ध्यान देना चाहिए कि समाज में इस तरह के लोग हैं जो, कहना चाहिए कि एक तरह से वंचित। उनकी हैल्थ नहीं हैं अच्छी, कुछ नहीं है। अगर आप इस तरह के समाज को मदद करे तो बड़ा आपके प्रति सबको आदर और प्रेम हो जाएगा। अपने प्रति तो हम लोग कर ही रहे हैं। अपने को तो हमने  पा ही लिया है पर हम औरों को क्या दे रहे हैं। और खासकर सहज की शक्ति के कारण आप जितने लोगों को चाहे उनकी बीमारियाँ ठीक कर सकते हैं, उनको मदद कर सकते हैं, उनके साथ अच्छाई कर सकते हैं, उनके आश्रम बना सकते हैं।

तो एक तरह से समाज का एक बोझ हमारे ऊपर है कि जब हमारे पास परमात्मा ने इतनी शक्ति दी हैं तो हम इस समाज को सुचारु रूप से किस तरह से परिवर्तित करे कि जिससे इनकी शारीरिक, मानसिक, बौधिक और सांस्कृतिक, इसके अलावा इनकी spiritual (आध्यात्मिक) शक्ति भी बढ़ जाएगी। ये एक कार्य सहज योगियों को लेना चाहिए और अलग-अलग जगह से ऐसे लोगों को ले के समाज में जो लोग पिछड़े हैं, जो दुर्बल हैं उनकी मदद करना चाहिए। धीरे धीरे आपको आश्चर्य होगा कि आपके बारे में popularity (लोकप्रियता) सारे देश में फैल जाएगी। असल में लोग ऐसे फॉरम बनाते हैं, इस तरह की चीजें बनाते हैं, सिर्फ वोट लेने के लिए या कुछ कमाने के लिए। हमको तो वो सब नहीं चाहिए। पर सिर्फ अपनी शक्ति से आप इस तरह के लोगों को ठीक कर सकते हैं। अब वो लोग अगर ठीक हो जाएं तो वो स्वयं अपनी शक्ति से यह सिद्ध कर सकते हैं कि सहज योग से लोगों का भला होगा। और इतना ही नहीं और ये भी वो सबसे खुले आम कह सकते हैं, सहज योग क्या हैं क्या नहीं।

पर आपको अब मेरा मतलब हैं कि आज नए साल में ये जो हमारा एक दर्रा हैं या ये जो शीलशैल हैं जिसमे में हम रहते हैं उससे निकलकरके बाहर कि और प्रॉजेक्शन (प्रक्षेपण) करे। शुरुवाथ में प्रॉब्लेम्स (समस्याए) होंगे। , खुद आपहीके के अपने। ईगो (अहंकार) पहली चीज़ खड़ी हो जाएगी। अब वो आपको खोपड़ी खराब कर देगा। गुस्से आएंगे आपको, नाराजी होएगी। तरह तरह कि छीजे है। पर इस तरह काबू पाने केलिए भी तो आपको बाहर निकलना पड़ेगा। तब जानिएगा कैसे यहाँ ठीक हैं। यहाँ तो सभी राम नाम हैं ठीक हैं। पर जब बाहर निकलेंगे तो पता चलेगा कि बाहर वालों के साथ हम कैसे रहेंगे। क्यूंकी उनको भी इंटीग्रेट (एकीक्रत) करना हैं हमको। और जब मैं उनके साथ अच्छे से समज जाएँगे शांति पूर्वक तब समजना चाहिए कि हमारे अंदर एकदम से सफाई होगयी। ये सफाई के बाद की बाथ हैं। बहुत से लोग हैं, हम आपकी बात ठीक है। आप जो करे सो ठीक हैं पर हम नहीं कर सकते हैं। क्यूँ भई? क्यूंकी आप भगवान हैं और हम ये। मैंने कहा हैं भगवान तो कुछ भी नहीं करते। वो तो बिलकुल दूर ही रहते हैं। अगर हम भगवान हैं और हम कर रहे हैं इसका मतलब यही कि आप भी अपनी स्थिति है जो आपने इतनी उचित स्थिति जो पायी हुई है उसको आप इस तरह से बनाइए कि उसकी उपादेईता हो। ये नहीं कि बेकार में आप सहजा योगी बने बैठे। उसको उपयोग में लाने किकी पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए जो आपके पास आज शक्ति हैं और उसके जब आप अपने और ध्यान देंगे तो आप देखेंगे कि आपका घर, आपका समाज, और आपका देश, सभी जगह एक तरह का नया स्वरूप आजाएगा। अभी भी सहजा योगी देखिये तो है बड़े अच्छे, जिनके मुंह पर तेज है, आंखें चमक रही है, वाइब्रेशंस आ रहा है। ये तो कोई भी रियलाईज्ड सोल का हो सकता हैं पर आपमे एक और चीज़ हैं, इसकी उपादेयता हैं, इसका यूज। आप दूसरों पर कर सकता हैं, सामूहिकता में। और जब वो चीज़ शुरू हो जाएगी सामूहिकता में जब आपका, आप अग्रसर होंगे मूवमेंट होएगी आपकी तो आपको आश्चर्य होगा कि यह जो आपकी पावेर्स हैं यह न तो आप सबको इससे ठीक कर सकते हैं पर आप उनको दे भी सकते हैं। पर ये आजतक हम लोगों ने जैसे हैं न कि सब लोग एक्ष्क्लूसिव (अनन्य) हैं इस मामले में। सहजा योग माने सहजा योग और किसी से कैकु बाथ करे। तो किसी भी पैमाने पर यह बात हो रही हो उसमें ध्यान देना चाहिए और उधर बातचीत करने में कोई हर्ज नहीं और न ही इसमें कोई हर्ज है कि आप उन लोगों को सहजा योग में कीचे। और जो नहीं है सहजा योग में, कोई हर्ज नहीं पर उनके लिए तसल्ली और उनके लिए शांति देना ज़रूरी हैं। तो इस तीन पैमाने पर आप लोगों को काम करना है कि हम कैसे कर सकते। अब जैसे आप लोगों ने बैठकर के मकान के लिए ठीक कर दिया और ज़मीन ठीक करदि, बड़ी बात हैं। लेकिन उससे बड़ी बाथ में कह रही हूँ वो ये कि हम लोगों के जो दुनिया भर में रेपुटेशन (प्रतिष्टा) हैं उसमे आना चाहिए कि यह गरीबों की मदद करते हैं, औरतों की मदद करते हैं, ये कुचले हुए लोगों को मदद करते हैं, विमानों की मदद करते हैं। मिशनरी दिल से नहीं पर यह कि अंदर से। इनको महसूस होता हैं और ये करते हैं। इससे सहजा योग के लिए चार चाँद लग जाएगा। पर यह हम लोगों को करना चाहिए। उसकी मेहनत करनी चाहिए, कोई मुश्किल चीज़ नहीं हैं। तो यह नया साल में जो मैंने कहा इसको ट्रांसलेट करके भी आपको भेजना पड़ेगा क्यूंकी वो लोग तो सुनना चाहेंगे कि कैसे तैयार रहे।  एक तरह से हमारे इंट्रोस्पेक्शन (आत्मनिरीक्षण) को बढ़ाना चाहिए। और जब वह बडने लगेगा तो आप उस पॉइंट पे पहुंचेंगे जहां बिल्कुल निर्विचारिता आजाएगी। और जैसे निर्विचारिता आ जाएगी आप को चाहिए कि उसको किसी तरह से आगे बढ़ाते रहे। निर्विचारिता में जो आप कार्य कर सकेंगे और कभी भी कर सकते हैं। तो इसलिए अपनी तरफ ध्यान दे करके अपनी और द्यान दे करके अपने को निर्विचार होने का प्रायत्न करे।  द्यान में निर्विचारिता लानी चाहिए। उस निर्विचारिता में आप अपने मैड से ऊपर चले गए और सारी जो कि कोस्मिक शक्तियां आपको मदद करेंगे और आपको जो मन होगा वो सब हो सकता हैं। पर यह सब करते वक्त आपको निर्विचार होना चाहिए। बहुत ज़रूरी बाथ हैं। और नहीं तो यह आधा इधर आधा उधर उस तरह से चलेगी। फिरहल अब तो यह सब कहना चाहिए कि बहुत अच्छे हम लोग को व्यवस्थित रूप से संगठित हो गए हैं पर इसकी उपादेयता ये जो हमने किया, जो हम रियालाईस्द सौल्स हो गए तो क्या वो किस लिए किए। क्या बुद्द जैसे मरने के लिए किया या महावीर जैसे कपड़े उतारने किया। किस चीज़ में इसका उपयोग किया हमने कहां और मैंने देखा लोगों को वाइब्रेशन्स का उपयोग बोहोतबहुत करते हैं। काही जाये और प्रोब्लेम हो तो वाइब्रेशन्स करना शुरू। पर यह तो अपने लिए हम करते हैं, अपने उपादेईता के लिए या ज़्यादा से ज़्यादा सहजा योग के लिए। पर जो नोन सहजा योगिस हैं, उनके लिए भी इनको इस्तेमाल करना चाहिए और कोई खटिन बाथ नहीं हैं। जो आप के अंदर ये शक्ति हैं, चाहे जिसको देना चाहे आप दे सकते हैं। तो तब जो ये परोपकारी होने की जो प्रवृत्ति आपके अंदर जागृत होगयी तो कोई भी प्रश्न नहीं रहेगा। अब यही कहना हैं की मैंने जो बी कहा वो भइतके लिख लीजिये और उसका सिल सिला बना लीजिये और इस पर सोचिए की क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते। धन्यवाद।