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आज का दिन पृथ्वी के उत्तर भाग में महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य दक्षिण से उत्तर में आता है। इसलिये नहीं कि ये हम कर रहे हैं। हर साल एक ही तारीख जो कि सूर्य के ऊपर कार्य हम करते हैं, तो हम लोग उसको क्यों इतना मानते हैं? क्या विशेष बात है कि सूर्य अगर उत्तर में आ गया, तो हम लोगों को उसमें इतनी खुशी क्यों? बात ये है कि सूर्य से ही हमारे सब कार्य जो हैं प्रणीत होते हैं। अँधेरे में, रात्रि में हम लोग निद्रावस्था में रहते हैं। लेकिन जब सूर्य उदित होता है, तो उसके बाद ही हमारे सारे कार्य चलते हैं। इसलिये इस कार्य को प्रभावित करने वाली जो चीज़ है वो है सूर्य। और वो क्योंकि हमारे कक्ष में आ जाती है, तो हम इसको बहुत मान्य करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि बाकी सारे त्यौहार चंद्रमा पर आधारित होते हैं और सिर्फ यही एक त्यौहार ऐसा है, कि जो हम सूर्य के आधार पे करते हैं। ऐसे हमारे यहाँ सूर्यनारायण की भी बहुत महती है और लोग सूर्यनारायण को मानते हुये गंगाजी पर जा कर नहाते हैंऔर अनेक तरह के अनुष्ठान करते हैं। पर सब से महत्त्वपूर्ण है यही एक दिन है।
अब हम लोगों को ये तय करना पड़ता है, कि इस दिन क्या करना चाहिये? इस विशेष दिन को क्या कार्य करना चाहिये? सूर्य का नमस्कार हो गया, सूर्य को अर्घ्य दे दिया और सूर्य के प्रति अपनी कृतज्ञता हम लोगों ने संबोधित की। किंतु क्या विशेष हम कर सकते हैं? विशेषतया सहजयोगी क्या कर सकते हैं? आज्ञा चक्र पे सूर्य का स्थान है, आप लोग जानते हैं। और आज्ञा चक्र से आप हर एक चीज़ को सोचते हैं। तो आज्ञा चक्र को ठीक करना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये सूर्य को प्रभावित करता है। इसके लिये आज्ञा का जो महत्त्व है वो ये है, कि आज्ञा पर हमारे ग्रह हैं, उनके अनुसार हम लोग आज्ञा चक्र से लोगों पर क्रोधित होते हैं और उनके साथ हमारा व्यवहार बिगड़ जाता है। गुस्सा आता है और हर तरह की आस्थायें टूटती जाती हैं। आज्ञा बहुत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसको हमें समझना चाहिये कि इस पर ईसा मसीह का स्थान है। और ईसा मसीह ने एक ही चीज़ बताई थी कि सब को क्षमा करना चाहिये।
क्षमा करना बहुत जरूरी चीज़ है। अब वो कैसे किया जाये? लोग बहुत से कहते हैं की हमने तो कर लिया पर होता नहीं है। क्षमा के लिये जरूरी है कि संतोष अन्दर से आना चाहिये। और ये सोचना चाहिये कि जिसने जो करना था वो भोगेगा हमको क्या करना है। जिसने जो कहा था वो खुद इसमें उसको इस्तेमाल होगा। हमको इसमें क्यों पड़ना है? इस तरह से निरिच्छता आ जाये और आप क्षमा कर दे सब को, तो आज्ञा चक्र ठीक हो जाये। आज्ञा चक्र ठीक होने से जो बहुत बड़ी रुकावट हमारे उत्थान में है, जो कुण्डलिनी को रोकती है, वो है आज्ञा, और इसके लिये हमें क्षमा करना आना चाहिये। हर समय हम सोचते रहते हैं कि किसने क्या दु:ख दिया? किसने क्या तकलीफ़ दी? उसकी जगह ये सोचना चाहिये कि हमें क्षमा कर दें। जिसको उसको हमने क्षमा कर दिया और क्षमा करने से एकदम से आपको हैरानी होगी कि कुण्डलिनी झट से उपर चढ़ जायेगी। हमको तो अपनी कुण्डलिनी को चढ़ाना है और उसके लिये हमें जरूरी है कि आज्ञा को साफ़ रखें। गुस्सा आना मनुष्य का स्वभाव है परमात्मा का नहीं। मनुष्य का स्वभाव है। इसलिये उस गुस्से को रोकना चाहिये। और उसकी जगह क्षमा, क्षमा, क्षमा ऐसे तीन बार कहने से आज्ञा चक्र ठीक हो जाता है। सब को अनंत आशीर्वाद!